मनोज बाजपेयी बोले- बॉलीवुड में नेपोटिज्म बहुत सालों से है, सुशांत सिंह राजपूत की मौत पर कही ये बात
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: May 21, 2023 04:16 PM2023-05-21T16:16:29+5:302023-05-21T16:18:20+5:30
मनोज बाजपेयी ने 'बॉलीवुड और नेपोटिज्म' पर खुल कर अपनी राय रखी और कहा कि नेपोटिज्म बहुत सालों से है। पर बार-बार इसे एक्स्क्यूज बनाकर खुद को पीड़ित बताना, वह चीज गलत है। उन्होंने कहा कि अगर आपके अंदर टैलेंट नहीं है और नेपोटिज्म, नेपोटिज्म चिल्लाएंगे तो आपका कुछ नहीं हो सकता।
नई दिल्ली: 'बॉलीवुड और नेपोटिज्म' ये एक ऐसा संयोजन बन गया है कि जब भी कोई फिल्मी हस्ती किसी साक्षात्कार का सामना करती है तो उससे इससे जुड़ा सवाल जरूर पूछा जाता है। अब हाल ही में अभिनेता मनोज बाजपेयी ने इस मुद्दे पर खुल कर अपनी राय रखी है और कहा है कि किसी कलाकार की सबसे बड़ी ताकत उसकी काबिलियत है।
आजतक के कार्यक्रम सीधी बात में मनोज बाजपेयी ने कहा, "हम जैसे लोग जो बाहर से आए हैं वो नेपोटिज्म को मन से लगाना थोड़ा बंद कर दें। जो लोग बाहर से आ रहे हैं, उनका परिवार या उनके माता-पिता एक ही चीज है वो है उनकी काबिलियत। अगर आपके अंदर टैलेंट नहीं है और नेपोटिज्म, नेपोटिज्म चिल्लाएंगे तो आपका कुछ नहीं हो सकता। काम सीखकर मुझे काम मिला है। आपको सिनेमा में काम नहीं मिल रहा तो आप थिएटर करिए। नेपोटिज्म बहुत सालों से है। पर बार-बार इसे एक्स्क्यूज बनाकर खुद को पीड़ित बताना, वह चीज गलत है।"
बॉलीवुड में नेपेटिज्म और अलग-अलग समूहों की गुटबाजी की बात लंबे समय से हो रही है। इस पर सबसे ज्यादा जोर देकर बात करने की शुरुआत सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद हुई। यहां तक कि ये राजनीतिक मुद्दा भी बन गया और इसे आधार बनाकर फिल्मों के बॉयकॉट की बात भी होने लगी।
सुशांत सिंह राजपूत की मौत पर बात करते हुए मनोज बाजपेयी ने कहा, "सुशांत को मानसिक तौर पर कई चीजें परेशान कर रही थीं। वो मेरे से डिसकस करता था। जिस तरह का एक्टर वो बनना चाहता था, वहां जाने के लिए बहुत सारी पॉलिटिक्स से गुजरना पड़ेगा। उस पोजीशन को लेने के लिए बहुत राजनीति होती है तो सुशांत वह नहीं झेल पा रहा था। पर यह राजनीति उसको सहन करने की शक्ति नहीं थी। वह सहन नहीं कर पाया। वह बच्चा था। इसलिए आगे की चीजें हुईं। अगर आप मेरी बात करेंगे तो मैं मोटी चमड़ी का आदमी हूं। मुझे वहां तक नहीं जाना है, जहां राजनीति हो रही हो।"