Begum Akhtar Birth Anniversary: मल्लिका-ए-ग़ज़ल बेगम अख्तर इस वजह से 5 साल नहीं गा पाईं थी गाना, जानिए उनकी जिंदगी के चुनिंदा किस्से
By ज्ञानेश चौहान | Updated: October 7, 2019 09:13 IST2019-10-07T09:13:26+5:302019-10-07T09:13:26+5:30
बेगम अख्तर को दुनिया ग़ज़ल, ठुमरी और दादरी को एक नई पहचान देने के लिए याद करती है। इन्हें कला के क्षेत्र में बेहतरीन योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा संगीत नाटक अकादमी, पद्मश्री और पद्म भूषण जैसे सम्मान से नवाजा गया।

Begum Akhtar Birth Anniversary: मल्लिका-ए-ग़ज़ल बेगम अख्तर इस वजह से 5 साल नहीं गा पाईं थी गाना, जानिए उनकी जिंदगी के चुनिंदा किस्से
संगीत जगत की मल्लिका-ए-ग़ज़ल बेगम अख्तर की आज 105वीं बर्थ एनिवर्सरी है। इन्हें संगीत की रानी भी कहते हैं। दुनिया में वे तमाम लोग जो हिन्दी और उर्दू की समझ रखने के साथ-साथ मौसिकी का शौक रखते हैं। वे लोग बेगम अख्तर से नावाकिफ हों ऐसा हो ही नहीं सकता। बेगम अख्तर को दुनिया ग़ज़ल, ठुमरी और दादरी को एक नई पहचान देने के लिए याद करती है। हम इस महान सिंगर के जन्मदिन पर उन्हें याद करते हुई उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ किस्से आपसे शेयर कर रहे हैं।
7 साल की उम्र में ली थी मौसिकी की तालीम
बेगम अख्तर की पैदाइश 7 अक्टूबर, 1914 को यूपी के फैजाबाद में हुई थी। पहले उनका नाम अख्तरीबाई फैजाबादी हुआ करता था। बाद के दिनों में उन्हें लोग बेगम अख्तर और मल्लिका-ए-ग़ज़ल के नाम से जाना गया। उन्होंने महज 7 साल की उम्र में मौसिकी की तालीम लेनी शुरू की और 15 बरस की होने पर पहली स्टेज परफॉर्मेंस दी। बेगम अख्तर अब तक 400 गीतों को अपनी आवाज दे चुकी हैं। संगीत से गहरा लगाव रखने वाली बेगम अख़्तर ने ताउम्र संगीत नहीं छोड़ा। उन्होंने ग़ज़ल, ठुमरी और दादरा में अपनी आवाज का जादू बिखेरा।
45 की उम्र तक गाती रहीं गाना
बेगम अख्तर ने न सिर्फ गानों से ही शोहरत हासिल की बल्कि उन्होंने कंपोजिशन और फिल्मों में एक्टिंग के जरिए भी अपना हुनर दिखाया। उन्होंने 45 बरस की उम्र तक ग़ज़ल गायन में सक्रियता दिखाई। उन्होंने रोटी फिल्म में एक्टिंग भी की। इस फिल्म के निर्माता महबूब खान थे। यह फिल्म उन्होंने साल 1942 में बनाई थी।
पति ने लगा दी थी गाने पर रोक
पर्सनल लाइफ की तरफ रुख करें तो उन्होंने साल 1945 में इस्तियाक अहमद अब्बासी से शादी कर ली। अहमद पेशे से वकील थे। इसके बाद अपना नाम बदलकर बेगम अख्तर रखा। शादी के बाद बेगम अख्तर को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ा। उनके पति ने बेगम अख्तर के गाने पर रोक लगा दी। वे इस दौरान 5 सालों तक गाना नहीं गा पाईं। मगर संगीत से उनका रिश्ता हमेशा से बहुत गहरा था।
मरणोपरांत मिला पद्म भूषण
बेगम अख्तर, गालिब, फैज अहमद फैज, जिगर मुरादाबादी, शकील बदायुनी और कैफी आजमी की लेखनी से काफी प्रभावित थीं। वे अधिकतर समय तो अपने गाने खुद कंपोज करती थीं और क्लासिकल राग पर बनाती थीं। उन्हें कला के क्षेत्र में बेहतरीन योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा संगीत नाटक अकादमी, पद्मश्री से सम्मानित किया गया। साथ ही मरणोपरांत उन्हें पद्म भूषण जैसे सम्मान से नवाजा गया।
डॉक्टर ने गाने से किया था मना
बेगम अख्तर ने नसीब का चक्कर, द म्यूजिक रुम, रोटी, दाना-पानी, एहसान जैसी कई फिल्मों के गीतों को अपनी आवाज दी। उन्होंने कई नाटकों और फिल्मों में अभिनय भी किया। अपने करियर के अंतिम दिनों में जब वे बीमार चल रही थीं तो डॉक्टर्स ने भी उन्हें गाने से मना कर दिया था। मगर इसके बाद भी उन्होंने परफॉर्मेंस दी। मगर अफसोस अहमदाबाद का कंसर्ट उनके जीवन का आखिरी कंसर्ट साबित हुआ। गुजरात के अहमदाबाद में परफॉर्म करने गईं बेगम अख्तर का कंसर्ट के कुछ समय बाद ही निधन हो गया। 30 अक्टूबर, 1974 को 60 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।
बेगम अख्तर की आवाज में ये हैं 6 शानदार ग़ज़लें
- वो जो हममें तुममें क़रार था, तुम्हें याद हो के न याद हो (शायर- मोमिन खान ‘मोमिन’)
- ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया (शायर- शकील बदायूंनी)
- मेरे हमनफ़स, मेरे हमनवा, मुझे दोस्त बन के दवा न दे (शायर- शकील बदायूंनी)
- ये न थी हमारी किस्मत के विसाल-ए-यार होता (शायर- मिर्ज़ा ग़ालिब)
- हमरी अटरिया पे आओ सवारिया, देखा देखी बालम होई जाये (दादरा)
- कुछ तो दुनिया कि इनायात ने दिल तोड़ दिया (शायर- सुदर्शन फ़ाकिर)