Death Anniversary: गुलशन कुमार की मौत पर सन्न थी पूरी म्युजिक इंडस्ट्री, आज भी नहीं पता चला है हत्या के पीछे का राज

By प्रतीक्षा कुकरेती | Published: August 12, 2019 07:06 AM2019-08-12T07:06:11+5:302019-08-12T07:06:11+5:30

गुलशन कुमार की हत्या मामले में साल 2002 में 19 में से 18 आरोपियों को बाइज़त बरी किया गया और अबुल राफुल पर आरोप तय हो गए और उन्हें उम्र कैद की सजा हुई।

Gulshan Kumar Death Anniversary: know the death misty of music king gulshan kumar | Death Anniversary: गुलशन कुमार की मौत पर सन्न थी पूरी म्युजिक इंडस्ट्री, आज भी नहीं पता चला है हत्या के पीछे का राज

Death Anniversary: गुलशन कुमार की मौत पर सन्न थी पूरी म्युजिक इंडस्ट्री, आज भी नहीं पता चला है हत्या के पीछे का राज

12 अगस्त1997  गुलशन कुमार मुंबई के अंधेरी में अपने बंगले के पास बने शिव मंदिर में रोज़ की तरह पूजा करने जा रहे थे. उस दिन उनके साथ कोई बॉडी गार्ड भी नहीं था. गुलशन कुमार हर रोज़ उस मंदिर में आरती करते थे. उस दिन पूजा ख़त्म करके जब वो अपनीं गाड़ी की तरफ बड़े तब एक लम्बे बालो वाला अनजान व्यक्ति उनके पास आकर बोला बहुत पूजा कर ली अब ऊपर जाकर पूजा करना. तीन हमलावरों ने मिलकर  मंदिर के बाहर गुलशन कुमार को एक के बाद एक 16 गोलियों से छलनी कर दिया. गुलशन कुमार की हत्या ने पूरी म्यूजिक इंडस्ट्री और बॉलीवुड में सनसनी मचा दी थी.

5 मई, 1956 में जन्में गुलशन कुमार ने संगीत को नई पहचान दी. उनका पूरा नाम गुलशन कुमार दुआ था. अपने शुरूआती दिनों में गुलशन कुमार अपने पिता के साथ दिल्ली की दरियागंज मार्केट में जूस की दुकान चलाते थे. लेकिन गुलशन कुमार के सपने बहुत बड़े थे. उन्होंने दिल्ली में ही कैसेट्स की दुकान खोली जहां वो सस्ते में गानों की कैसेट्स बेचते थे. बाद में उन्होंने नोएडा में अपनी कंपनी खोली और म्यूजिक इंडस्ट्री में बड़ा नाम बन गए. उन्होंने अपने ऑडियो कैसेट के बिजनेस को 'सुपर कैसेट्स इंडस्ट्रीज लिमिटेड' का नाम दिया. बहुत ही कम समय में उनका कारोबार बहुत बढ़ गया था. आज वो कंपनी टी-सीरीज के नाम से जानी जाती है.

गुलशन कुमार ने टी सीरीज के कैसेट के जरिये संगीत को घर-घर पहुंचाने का काम किया. मुंबई आने के बाद उन्होंने गाने के साथ फिल्म प्रोडक्शन का भी काम किया. साल  1989 में आई फिल्म ‘लाल दुपट्टा मलमल का’बालीवुड में उनकी पहली फिल्म थी.  लेकिन फिर 1990 में आई फिल्म आशिकी ने गानों के सारे म्यूजिकल रिकॉर्ड तोड़ दिए थे. इसके बाद गुलशन कुमार ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. 

आज T-series भारत की सबसे बड़ी म्यूजिक कंपनियों में शुमार है. गुलशन कुमार को कसेट किंग भी कहा जाता था. इतना ही नहीं गुलशन कुमार का नाम भक्ति संगीत के लिए भी जाना जाता है. वो भक्ति गाने रिकार्ड करवाने के साथ-साथ खुद गाते भी थे. गुलशन कुमार कुमार शिव भक्त थे. इसके साथ मां वैष्णों देवी में उनकी अटूट श्रद्धा थी. आज भी वैष्णों देवी में पूरे 12 महीनो तक उनके नाम का भंडारा चलता रहता है.

गुलशन कुमार उस वक़्त म्यूजिक इंडस्ट्री और बॉलीवुड का सबसे बड़ा नाम बन चुके थे. शायद उनकी हत्या के पीछे भी येही कारण था. 22 साल के बाद भी गुलशन कुमार की  मौत की गुत्थी अनसुलझी है. बेहरमी से हुई उनकी हत्या के पीछे गहरी साजिश थी. लेकिन आजतक इस बात का खुलासा नहीं हो पाया. रिपोर्ट्स के अनुसार दाऊद इब्राहीम के करीबी अबू सलेम ने गुलशन कुमार की हत्या करवाई थी. 

80's और 90's अंडरवर्ल्ड का बॉलीवुड पर काफी इम्पैक्ट था.  बताया जाता है दाऊद की कंपनी ने गुलशन कुमार से फिरौती मांगी गई थी लेकिन गुलशन कुमार ने फिरौती देने से मना कर दिया था. उन्होंने पैसे देने की बजाए वैष्णों देवी में भंडारा शुरू करवा दिया. इस बात का ज़िक्र मशहूर क्राइम रिपोर्टर और राइटर एस हुसैन जैदी ने अपनी किताब माई नेम इज अबु सलेम में भी किया था. फिरौती ना देने की बात से नाराज़ अंडरवर्ल्ड डॉन अबु सलेम ने शूटर को हायर करके उनका मर्डर करवा दिया था.

हत्या के षड़यंत्र में  पुलिस ने इस हत्या का आरोप म्यूजिक कम्पोजर नदीम सैफी पर लागाया गया. नदीम को डर था कि गुलशन कुमार उनका म्यूजिक कैरियर तबाह कर दे. अपने ऊपर आरोप लगने के बाद से ही नदीम सैफी लन्दन भाग गए थे. उनका केस लन्दन हाई कोर्ट शिफ्ट कर दिया गया. लेकिन सबूतों की कमी से नदीम सैफी पर कोई आरोप तय नहीं हो पाया. 

अबू सालेम ने भी नदीम के इस मर्डर में इन्वोल्वेमेंट से मना कर दिया.  इस केस में कई लोगो की गिरिफ्तारी हुई थी. टिप्स कैसेट के मालिक रमेश तौरानी पर भी आरोप था की उन्होंने शूटर को गुलशन कुमार को मारने के लिए 25 लाख की फिरौती थी. लेकिन साल 2001 में शूटर Abdul Rauf alias Daud Merchant की इस मामले में गिरिफ्तरी हुई जिसके बाद कोर्ट में ट्रायल शुरू हुआ. 

साल 2002 में 19 में से 18 आरोपियों को बाइज़त बरी किया गया और अबुल राफुल पर आरोप तय हो गए और उन्हें उम्र कैद की सजा हुई, माना जाता है अबुल राफुल अब्राहिम के बेहद करीब था. फ़िलहाल अब्दुल रौफ मुंबई के जेल में अपनी सज़ा काट रहा है. लेकिन गुलशन कुमार की हत्या के पीछे कारण क्या था वो आज भी राज़ ही है.

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