Gulabo Sitabo Review:मिर्जा और बांके की खट्टी-मीठी नोकझोंक को पेश करती है गुलाबो-सिताबो, पढ़ें रिव्यू
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: June 12, 2020 08:41 AM2020-06-12T08:41:57+5:302020-06-12T08:41:57+5:30
Gulabo Sitabo Movie Review: बॉलीवुड सुपरस्टार अमिताभ बच्चन और आयुष्मान खुराना की फिल्म गुलाबो सिताबो आज यानी 12 जून को ऑनलाइन रिलीज हो गई है। जानें कैसी है शूजित सरकार के डायरेक्शन में बनी ये फिल्म।
कलाकार- अमिताभ बच्चन, आयुष्मान खुराना, विजय राज़, बृजेंद्र काला, सृष्टि श्रीवास्तव आदि।
निर्देशक- शूजित सरकार
निर्माता- रॉनी लाहिड़ी, शील कुमार
स्टार- **1/2 (ढाई स्टार)
कोरोना काल में सिनेमाघरों की तालाबंदी और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की बढ़ती लोकप्रियता के शोर-शराबे के बीच शूजित सरकार निर्देशित 'गुलाबो सिताबो' अमेज़न प्राइम वीडियो पर 200 देशों में 15 भाषाओं के सबटाइटल्स के साथ रिलीज़ हो गयी। लखनऊ के दो फुकरे मिर्जा और बांके की कहानी को निर्देशक सुजीत सरकार ने एक बेहद अनोखे अंदाज में पेश किया है। फिल्म एक हल्की-फुल्की कॉमेडी है, जो फैंस को जमकर पसंद आने वाली है।
क्या है फिल्म की कहानी
फ़िल्म की कहानी 78 साल के लालची, झगड़ालू, कंजूस और चिड़चिड़े स्वभाव के मिर्जा के आस पास घूमती नजर आती है। मिर्जा की जान उस हवेली में बसती है। लेकिन दिलचस्प बात ये है कि ये हवेली मिर्जा की बीवी फातिमा की पुश्तैनी जायदाद है। इसीलिए इसका नाम फातिमा महल है। मिर्जा लालची ही नहीं बहुत कमी निकालने वाला भी है। पैसों के लिए हवेली की पुरानी चीज़ों को चोरी से बेचता रहता है। उसे खुद से 17 साल बड़ी फातिमा के मरने का इंतजार है ताकि हवेली उसे मिल सके।
इस पुरानी हवेली में कई किराएदार रहते हैं, जिनमें से एक बांके रस्तोगी है। बांके (आयुष्मान खुराना) हवेली में रहता है, वह अपनी मां और तीन बहनों के साथ रहता है। वह केवल छठी तक पढ़ा है और आटा चक्की की दुकान चलाता है। बांके एक लड़की से प्यार करता है, शादी के लिए दबाव बना रही है। मिर्ज़ा, बांके को बिल्कुल पसंद नहीं करता। उसे परेशान करने के नए-नए तरीके ढूंढता है और हवेली से बेदखल करना चाहता है। दोनों में आए दिन बहस भी होती रहती है अब देखना होगा कि मिर्चा बांके को निकाल पाता है कि नहीं-
एक्टिंग
मिर्जा के लिए अमिताभ बच्चन को एक खास लुक दिया गया है। जिसमें लंबी नाक और ढीला कुर्ता खास है। उनको एक टिपिकल लुक दिया है। अमिताभ इस करैक्टर मे खुसे नजर आएंगे। अमिताभ ने फिल्म में बहुत ही शानदार एक्टिंग को पेश किया है। वहीं निम्न मध्यम वर्गीय परिवार के बांके का किरदार निभाने के लिए आयुष्मान खुराना ने मैले-गुजले कपड़े पहने हैं। थोड़ा पेट निकाला है। आयुष्मान ने अपने उच्चारण को भी बदला है।
कैसी है फिल्म
पीकू के अमिताभ बच्चन और विक्की डोनर आयुष्मान खुराना को अलग अलग निर्देशित करने वाले शूजित सरकार कहीं कभी कभी चूकते से भी नजर आए। फिल्म पीकू और विक्की डोनर के मुकाबते कुछ कमजोर नजर आ रही है। हालांकि फिल्म आपका मनोरंजन जरुर करेगी।