Gold Movie Review: आजाद भारत के पहले गोल्ड की कहानी है 'गोल्ड'

By विवेक कुमार | Updated: August 14, 2018 20:03 IST2018-08-14T19:48:45+5:302018-08-14T20:03:33+5:30

रीमा कागती के डायरेक्शन में बनी गोल्ड भारतीय हॉकी के गौरवशाली इतिहास की कहानी को बयां करती है।

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Gold Movie Review: आजाद भारत के पहले गोल्ड की कहानी है 'गोल्ड'

फिल्म का नाम : गोल्ड
डायरेक्टर: रीमा कागती
स्टार कास्ट: अक्षय कुमार, विनीत कुमार सिंह, अमित शाद, कुणाल कपूर, मौनी रॉय ,सनी कौशल
रेटिंग:    3.5 /5 

कुछ फ़िल्में ऐसी भी होती हैं जो हमें अपने इतिहास से जोड़ती है, उनके करीब लाती है। रीमा कागती के डायरेक्शन में बनी फिल्म 'गोल्ड' भी इन्हीं में से एक है जो भारतीय हॉकी के गौरवशाली इतिहास को बयां करती है। गोल्ड कहानी है एक ऐसे इंसान की जो आजाद भारत के लिए 'गोल्ड' लाना चाहता है उसका सिर्फ एक ही सपना है कि विदेशी सरजमीं पर शान से भारतीय तिरंगा फहराए।

कहानी- फिल्म की कहानी शुरू होती है बर्लिन ओलिंपिक (1936) से जहां ब्रिटिश इंडिया और जर्मनी हॉकी मैच खेलती है। टीम के साथ जूनियर मैनेजर के तौर पर तपन दास (अक्षय कुमार) होते हैं और टीम के कप्तान सम्राट (कुणाल कपूर) और इम्तियाज (विनीत कुमार सिंह )। जिनके शानदार गोल के बदौलत भारतीय टीम जर्मनी को धूल चटाती है और जीत हासिल कर लेती है। लेकिन जीत के बावजूद भी भारतीय टीम खुश नहीं, ऐसा इसलिए क्योंकि ब्रिटिश इंडिया का झंडा फहराया जाता है। सभी का सिर्फ एक ही सपना है कि वह आजाद भारत के लिए गोल्ड लाए। इस बीच वर्ल्ड वार शुरू होता है और युद्ध ख़त्म होते ही भारत को आजादी की खुशखबरी मिल जाती है। फिर शुरू होता है देश के पहले गोल्ड के सपने को पूरा करने का जद्दोजहद जिसे पूरा करने की जिम्मेदारी तपन दास यानी अक्षय कुमार लेता है। देश को पहले गोल्ड दिलाने के लिए वह देश के हर कौने में जाकर बेस्ट हॉकी प्लेयर्स को सलेक्ट करता है लेकिन तपन की मेहनत उस समय बेकार हो जाती है जब भारत का बंटवारा हो जाता है। तपन की पूरी टीम टूट जाती है। सभी खिलाड़ी अलग हो जाते हैं। लेकिन क्या तपन दोबारा फिर से टीम बना पाएगा? 200 साल की गुलामी का बदला भारतीय टीम कैसे लेगी? फिल्म की पूरी कहानी आजाद भारत के पहले गोल्ड की है। जिसे जानने के लिए आपको पूरी फिल्म देखनी पड़ेगी।

डायरेक्शन- रीमा कागती की 'गोल्ड' की कहानी काफी दमदार है। जो आजादी के दौर और आजादी के बाद की कहानी को दिखाती है। डायलॉग्स और फिल्म के लोकेशन इसे एक अच्छी फिल्म बनाती है। फिल्म के ऐसे कई सीन हैं जो आपको काफी इमोशनल कर देंगे। लेकिन सेकंड हॉफ थोड़ा कम जरुर किया जा सकता था।

एक्टिंग- इस पूरी फिल्म में सिर्फ अक्षय कुमार छाए रहते हैं। उनकी दमदार एक्टिंग और डायलॉग कमाल की है। वहीं मौनी रॉय एक बंगाली पत्नी के किरदार को बखूबी निभाया है जो अपने पति को डांटती रहती हैं। वहीं कुणाल कपूर, अमित शाद और मुक्काबाज़ फेम एक्टर विनीत कुमार सिंह ने लाजवाब अभिनय किया है और सनी कौशल पंजाबी किरदार में बिल्कुल फिट नजर आते हैं। 

म्यूजिक- फिल्म का म्यूजिक उतना अच्छा नहीं है जितना इसे होना चाहिए था। किसी भी फिल्म को हिट कराने के लिए उसके संगीत का काफी योगदान होता है। फ़िलहाल 'नैनों ने बांधी' ठीक ठाक है। जो आपको पसंद आएगा।

और भी कुछ खास- देशभक्ति से जुड़ी 'गोल्ड' 1948 में भारतीय हॉकी टीम की जीत की कहानी पर बेस्ड है। जो सभी को जाननी बेहद जरुरी है। फ़िलहाल अक्षय कुमार की दमदार एक्टिंग ने गोल्ड को और भी स्पेशल बना दिया है।      

Web Title: Gold movie review in hindi, akshay kumar and mouni roy

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