सिद्धार्थ मल्होत्रा और परिणीति चोपड़ा की फिल्म 'जबरिया जोड़ी' का ट्रेलर रिलीज हो गया है. मोस्ट अवेटेड इस फिल्म का इंतजार लोगों को इसलिए भी था क्योंकि इसमें दूसरी बार परिणीति और सिद्धार्थ एक साथ पहली बार स्क्रीन शेयर करते दिखाई देंगे। इससे पहले सिद्धार्थ और परिणीति फिल्म 'हंसी तो फंसी' में दिख चुके हैं. 'जबरिया जोड़ी' फिल्म बिहार के पकड़वा विवाह पर बनी है. फिल्म के लेखक संजीव के झा इस फिल्म से अपना डेब्यू कर रहे हैं. खास इंटरव्यू में लोकमत के साथ झा ने अपने मन की बातें साझा कीं।
जबरिया जोड़ी का आइडिया कैसे आया ?
आइडिया हमेशा आसपास से आता है. मैं मूलरूप से बिहार के मोतिहारी से हूँ तो मेरे आस-पास ऐसी घटनाएं खूब हुई हैं. मैंने ऐसी कई शादियां देखी हैं. तो यही सोचता था कई बार की क्या लिखूं. बिहार के कई जिलों में ऐसी शादियां होती रही हैं, खासतौर पर बेगूसराय में. तो बस वहीं से लिखने की प्रेरणा मिली. मैंने कोशिश की है की अभय और बबली जैसे किरदारों से लोगों को रूबरू कराऊं. एकदम रियलिटी दिखानी की कोशिश की है. परिणीति मुझे फिल्म 'इश्कजादे' से बहुत पसंद हैं, जो तेवर उनका उस फिल्म में था वो कहीं न कहीं मेरे ज़ेहन में था. एक राइटर होने के नाते आपकी रिस्पॉन्सबिलिटी होती है कि आप एक्टर को उसके किरदार से मैच करा सकें.
ओवरऑल एक्सपीरिएंस कैसा रहा आपका ?
बहुत ही अच्छा एक्सपीरिएंस रहा. राइटिंग का एक्सपीरिएंस हमेशा ही अच्छा रहता है. मज़ा आता है शूट में क्योंकि राइटर को हर चीज़ का ध्यान रखना है- डायलॉग्स, कहानी और किरदारों का. लिखना हर राइटर के लिए बहुत टफ होता है क्योंकि किसी भी बात पर कभी भी विवाद हो सकता है, लेकिन पूरी कहानी लिखने के बाद आप फिर एन्जॉय करते हो जब और लोग भी आपकी कहानी के साथ जुड़ जाते हैं.
अपने बारे में हमें कुछ बताइए...
बॉलीवुड की जर्नी तो मैं अभी शुरू कर रहा हूँ. मैंने मुंबई के एक प्रोडक्शन हाउस में लिखना शुरू किया था. वहां उनके शोज के लिए लिखता था. उससे पहले असिस्टेंट डायरेक्टर की नौकरी ढूँढ रहा था लेकिन कही मिली नहीं. जो पिक्चर ज्वाइन करता था वो पिक्चर बंद हो जाती थी. फिर लिखना शुरू किया. एक दो फिल्में ऐसी रहीं जो लिखीं लेकिन बन नहीं पाईं या फिर किसी और ने पहले बना लीं. बहुत चीज़ें करना चाहता था, कर नहीं पाया. लिटरेचर एडॉप्ट करना चाहता था लेकिन कई बार किसी एक्टर को लिटरेचर पसंद नहीं. फिर सोचा कॉमर्शियल फिल्में लिखता हूँ क्योंकि यह लोगों तक पहुंचने का सबसे तगड़ा माध्यम है.
बॉलीवुड में राइटर का क्या स्ट्रगल है ?
सारा स्ट्रगल ही राइटर का है इस इंडस्ट्री में और किसी का कोई स्ट्रगल थोड़े न है. आप इस इंडस्ट्री में सबसे अकेला एक राइटर को ही पाएंगे. वो शुरू करता है तो अकेला होता है, उसको खत्म करता है तो भी अकेला होता है लेकिन जब आप एक फिल्म बनाते हैं तो आप एक ग्रुप में होते हैं, लेकिन राइटर हमेशा अकेला होता है और इसी वजह से राइटर का संघर्ष बहुत ज्यादा होता है. बॉलीवुड में एक राइटर के लिए जगह बनाना बहुत टफ है. इस इंडस्ट्री में राइटर को कोई भी एकनॉलेज करने को तैयार नहीं है. कोई क्रेडिट ही नहीं देना चाहता.