सत्यजीत रे: जिनके साथ काम न कर पाने के लिए आज भी पछताते हैं अमिताभ बच्चन

By मेघना वर्मा | Published: April 23, 2019 07:42 AM2019-04-23T07:42:34+5:302019-04-23T07:42:34+5:30

1950 में सत्यजीत रे को लंदन जाने का मौका मिला। यहां उन्होंने कई फिल्में देखीं. इन्हीं में से एक फिल्म थी ‘बाइसकिल थीव्स’। बस इसी फिल्म को देखने के बाद सत्यजीत ने पाथेर पांचाली बनाने की ठान ली थी।

Death Anniversary of satyajit ray know hie life, work and cinema journey | सत्यजीत रे: जिनके साथ काम न कर पाने के लिए आज भी पछताते हैं अमिताभ बच्चन

सत्यजीत रे: जिनके साथ काम न कर पाने के लिए आज भी पछताते हैं अमिताभ बच्चन

सत्यजीत रे, एक ऐसा नाम जिसने पूरे सिनेमा जगत पर अपनी छाप छोड़ी है। अपनी फिल्म पाथेर पांचाली के लिए फेमस सत्यजीत ना सिर्फ फिल्म निर्माण काम में माहिर थे बल्कि राइटिंग और कास्टिंग के साथ आर्ट डायरेक्शन और एडिटिंग के भी उत्साद थे। 24 साल पहले आज ही के दिन 23 अप्रैल साल 1992 में सिनेमा का ये चमकता सितारा हम सभी को छोड़ कर चला गया। 

ग्राफिक डिजाइनर का किया काम

साल 1912 में कलकत्ता में जन्में सत्यजीत रे की पिता की मौत तभी हो गई जब रे तीन साल के थे। बड़ी मुश्किलों से गुजकर उनकी मां ने उनकी शिक्षा पूरी करवाई। प्रेसीडेंसी कॉलेज से सत्यजीत ने अर्थशास्त्र की पढ़ाई पूरी की। आगे पढ़ने के लिए वो शांति निकेतन चले गए। 1943 में वो फिर कलकत्ता वापिस आए। और बतौर ग्राफिक डिजाइनर काम करने लगे। 

सत्यजीत रे किताबों के पहले पन्ने डिजाइन किया करते थे। 1928 में छपे विभूतिभूषण बंधोपाध्याय के मशहूर उपन्यास पाथेर पांचाली का बाल संस्करण सत्यजीत रे ने ही तैयार किया था। रे इस किताब से इतने प्रभावित थे कि इस पर पूरी की पूरी फिल्म ही बना डाली। जिसे आज भी सिनेमा जगत की कुछ कल्ट फिल्मों में गिना जाता है। 

बाइसकिल थीव्स से मिला पाथेर पांचाली बनाने का विचार

1950 में रे को लंदन जाने का मौका मिला। यहां उन्होंने कई फिल्में देखीं. इन्हीं में से एक फिल्म थी ‘बाइसकिल थीव्स’। बस इसी फिल्म को देखने के बाद सत्यजीत ने पाथेर पांचाली बनाने की ठान ली थी। बताया जाता है कि भारत लौटते ही उन्होंने अपनी नौसिखिया टीम के साथ 1952 में फिल्म बनाने की तैयारी कर ली। 

मगर फिल्म के लिए उन्हें कहीं से भी पैसे नहीं मिल रहे थे। तो रे ने अपने जेब से फिल्म पर पैसा लगाना शुरू कर दिया। जब उनके पैसे भी खत्म हो गए तो फाइनली बंगाल सरकार ने उनको पैसे से मदद की। इसी के बाद साल 1955 में पाथेर पंचाली फिल्म बड़े पर्दे पर आई। जिसे ना सिर्फ लोगों का दिल जीता बल्कि क्रिटिक्स के साथ सभी का दिल खुश कर दिया। 

कहते हैं सत्यजीत ने उस समय कुछ ऐसे शॉट्स लिए जिसे बिना किसी टेक्निकल हेल्प के लिए जाना बहुत मुश्किल था। मगर अपने जुनून और अपने काम से प्यार हो तो इंसान कुछ भी कर गुजरता है। इस बात का अंदाजा सत्यजीत की इस फिल्म को देखकर लगाया जा सकता है। पाथेर पांचाली ने ना सिर्फ कई नेशनल अवॉर्ड जीते बल्कि इंटरनेशनल अवॉर्ड भी जीते और ये फिल्म कल्ट साबित हुई। 

इसी के बाद सत्यजीत ने पारस पत्थर, कंचनजंघा, महापुरुष, अपूर संसार, महानगर, चारूलता जैसी फिल्में बनायी। सिर्फ यही नहीं बॉलीवुड के महानायक को आज भी इस चीज का मलाल है कि वो सत्यजीत रे के साथ काम नहीं कर पाए। अपने पॉपुलर टीवी शो केबीसी में उन्होंने इस बात का जिक्र किया था कि उन्हें बहुत अफसोस है कि वो कभी सत्यजीत रे के साथ काम नहीं कर पाएं। हलांकि जब रे बिग बी से मिलते थे तो यही कहते थे कि हमें एक साथ फिल्म करनी चाहिए। 

सत्यजीत रे को उनके काम और सिनेमा जगत में उनके योगदान के लिए कई पुरस्कारों से नवाजा गया। भारत सरकार की ओर से फिल्म निर्माण के क्षेत्र में विभिन्न विधाओं के लिए उन्हें 32 राष्ट्रीय पुरस्कार मिले। सत्यजीत रे दूसरे फिल्मकार थे जिन्हें ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया। साल 1985 में उन्हें दादा साहब फाल्के पुरस्कार दिया गया। 1992 में उन्हें भारत रत्न भी मिला और ऑस्कर भी। 

Web Title: Death Anniversary of satyajit ray know hie life, work and cinema journey

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