पुण्यतिथि: दर्द भरी सुरीली आवाज के सरताज थे मुकेश, आखिरी गीत में कहा था- जग में रह जाएंगे प्यारे तेरे बोल

By ऐश्वर्य अवस्थी | Updated: August 27, 2018 10:21 IST2018-08-27T10:01:28+5:302018-08-27T10:21:27+5:30

Mukesh Death Anniversary Special:आज ही के दिन मुकेश ने 27 अगस्त 1976 को दुनिया को अलविदा कहा था। कहते हैं मुकेश को बचपन से ही अभिनेता बनने का शौक था।

bollywood playback singer mukesh death anniversary | पुण्यतिथि: दर्द भरी सुरीली आवाज के सरताज थे मुकेश, आखिरी गीत में कहा था- जग में रह जाएंगे प्यारे तेरे बोल

पुण्यतिथि: दर्द भरी सुरीली आवाज के सरताज थे मुकेश, आखिरी गीत में कहा था- जग में रह जाएंगे प्यारे तेरे बोल

'दोस्त-दोस्त ना रहा', 'जीना यहां मरना यहां',  'दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समाई', 'आवारा हूं', 'मेरा जूता है जापानी' जैसे खूबसूरत नगमों के सरताज मुकेश माथुर की आवाज की दीवानी पूरी दुनिया है। आज ही के दिन मुकेश ने 27 अगस्त 1976 को दुनिया को अलविदा कहा था। कहते हैं मुकेश को बचपन से ही अभिनेता बनने का शौक था। उन्होंने बतौर एक्टर व सिंगर उनकी पहली फिल्म 'निर्दोष' थी।  इसके अलावा  उन्होंने 'माशूका', 'आह', 'अनुराग'  में भी बतौर अभिनेता काम किया। लेकिन वह खुद भी नहीं जानते थे शायद की उनकी आवाज ही फैंस के बीच उनकी असली पहचान थी। भले आज मुकेश अपने फैंस के बीच ना हों लेकिन उनके गानें आज भी उनको जिंदा रखे हुए हैं।

मुकेश का पहला गाना

कहते हैं मुकेश के एल सहगल के बहुत बड़े फैन थे ऐसे में जब मुकेश पहला गाना ‘दिल जलता है तो जलने दे’ के एल सहगल को सुनाया गया तो वो बहुत हैरान हुए और कहने लगे मुझे याद ही नहीं मैंने ये गाना कब गाया है। कहा जाता है कि फिर उनको बताया गया था कि ये उनकी नहीं मुकेश की आवाज है।

दिलीप साहब की आवाज

मुकेश की गायिकी का कॉपी करना खासा मुश्किल है। यही कारण है कि 40 के दशक में मुकेश का अपना प्लेबैक सिंगिंग स्टाइल था। मुकेश की आवाज में सबसे ज्यादा गाने दिलीप कुमार पर फिल्माए गए थे। एक समय ऐसा भी था जब उनको दिलीप साहब की आवाज तक कहा जाता था।वहीं, मुकेश ने 40 साल के लंबे करियर में लगभग 200 से अधिक फिल्मों के लिए गीत गाए।

राज कूपर के करीब

कहते हैं 50 के दशक में मुकेश मे राज कपूर की लगभग हर फिल्म में गाना गाया था। इतना ही नहीं ये ही वो दशक था जबउन्हें 'शोमैन' राजकपूर की आवाज कहा जाता था। एक बार अपने कई इंटरव्यू में राजकपूर ने कहा था कि मैं तो सिर्फ शरीर हूं मेरी आत्मा तो मुकेश है। कहीं ना कहीं ये बात सच भी थी।

राष्ट्रीय पुरस्कार


साल 1959 में ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म 'अनाड़ी' के लिए  मुकेश को 'सब कुछ सीखा हमने न सीखी होशियारी' के लिए बेस्ट प्लेबैक सिंगर का फिल्मफेयर अवार्ड मिला था। इसके बाद फिल्म 1974 में 'रजनीगंधा' से 'कई बार यूं भी देखा है' के लिए नेशनल पुरस्कार, 1976 में 'कभी कभी' से 'कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है' के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

आखिरी गीत

मुकेश ने अपने करियर का आखिरी गाना अपने जिगरी दोस्त राजकपूर के लिए गाया था। जिसके बोल थे 'एक दिन बिक जाएगा, 'माटी के मोल, जग में रह जाएंगे प्यारे तेरे बोल'। 27 अगस्त, 1976 को अमेरिका में मुकेश को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। 

English summary :
Mukesh Death Anniversary Special: Bollywood famous playback singer Mukesh had said goodbye to the world on August 27, 1976. Mukesh had an interest to be an actor since his childhood. He played as an actor and singer in his debut film 'Nirodsh'. Apart from this, he also worked as an actor in 'Mashuka', 'Ah', 'Anurag'.


Web Title: bollywood playback singer mukesh death anniversary

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