जयंती विशेषः जब प्रेमिका बची बेन की एक झलक पाने के लिए घंटों तेज बारिश में खड़े रहे मुकेश, जन्मदिन पर ही भागकर की शादी
By अनिल शर्मा | Published: July 22, 2022 12:32 PM2022-07-22T12:32:40+5:302022-07-22T13:29:22+5:30
बची बेन और मुकेश का वैवाहिक जीवन पूरे तीस साल (मुकेश के निधन, 27अगस्त, 1976 तक) चला। दोनों की पांच संतानें- रीता, नितिन, नलिनी, मोहनीश और अमृता हुईं।
Mukesh Kumar: बॉलीवुड के बेहतरीन गायक मुकेश की आज जयंती है। आवाज के इस जादूगर का जन्म 22 जुलाई, 1923 को दिल्ली के एक कायस्थ परिवार में हुआ था। मुकेश का पूरा नाम मुकेश चंद माथुर था। उनके पिता का नाम जोरावर चंद माथुर था तथा माता का नाम चॉंद रानी था। मुकेश माता-पिता के छठी संतान थे।
कम ही लोग जानते हैं कि मुकेश गायक नहीं, बल्कि अभिनेता बनना चाहते थे और यही हसरत लिए 1941 में मुंबई का रुख किया। खूबसूरत चेहरा होने के बावजूद उनकी अभिनेता बनने की हसरत पूरी नहीं हुई। आगे चलकर संगीत के क्षेत्र में मुकेश ने जो उपलब्धियां हासिल कीं, उनका एक पूरा इतिहास है।
मुकेश कुमार संगीत के सिर्फ सौम्य साधक ही नहीं थे बल्कि एक संजीदा इंसान और उतने ही संजीदा प्रेमी भी थे। मुकेश का दांपत्य जीवन अत्यंत सुखद तथा प्रेमपूर्ण रहा। उन्होंने सरला बेन (पुकारने का नाम बची बेन) से प्रेम विवाह किया था। लेकिन शुरू में बची बेन के माता-पिता मुकेश के खिलाफ थे। यही वजह थी कि दोनों का मिलना जुलाना बंद कर दिया था।
उन दिनों मुकेश मोतीलाल के घर रहा करते थे। मोतीलाल उनके रिश्तेदार थे और सजातीय थे। एक रात बची बेन की मुकेश को बेहद याद सताने लगी। बाहर जोरदार बारिश हो रही थी। उन्होंने मोतीलाल को उठाया और बोले चल मोती बची से मिलना है। दोनों ने टैक्सी पकड़ी और बची के घर के ठीक सामने रोकी। मुकेश तेज बारिश में सड़क पर खड़े होकर बची की खिड़की निहारने लगे।
मुकेश को बाहर बारिश में खड़े हुए 1 घंटे बीत चुके थे। ठंड से शरीर थर-थर कांपने लगा। मगर वहां से वे हिले नहीं। लगभग दो बजे बची ने अपनी खिड़की का दरवाजा खोला और मुकेश को कांपते हुए देखा। कांपते हुए मुकेश पर उन्होंने एक शॉल गिराया। जब मुकेश ने बची को जी भर देख लिया तो टैक्सी में बैठते हुए बोले चल मोती बहुत देख लिया...।
वह घंटों बची बेन के घर के सामने खड़े रहने लगे। मुकेश जब तक बची बेन की एक झलक देख नहीं लेते वहां से हटते नहीं थे। बची बेन सोमवार का उपवास करती थीं और शंकरजी के मंदिर जा कर पूजा करती थीं। मुकेश भी मंदिर के पास उनका इंतजार किया करते। वहीं दोनों की मुलाकात और बातचीत होती थी। काफी समय तक दोनों की मुलाकातें इसी तरह होती रहीं। इसका राज खुलने के बाद बची के परिवारवालों ने पहरे लगा दिए।
एक रोज व्रत में बची ने कह दिया कि जब तक पूजा नहीं करेंंगी, खाना नहीं खाएंगी। परिवार ने उन्हें मंदिर जाने दिया। उन्होंने पूजा की और यहां से टैक्सी पकड़कर मुंबई के उपनगर कांदीवली के हनुमान मंदिर चली गईं जहां मोतीलाल शादी की तैयारियां करके रखे थे। यहीं मुकेश के जन्मदिन यानी 22 जुलाई को दोनों ने शादी की। कन्यादान मोतीलाल ने किया। बची बेन और मुकेश का वैवाहिक जीवन पूरे तीस साल (मुकेश के निधन, 27 अगस्त, 1976 तक) चला। दोनों की पांच संतानें (रीता, नितिन, नलिनी, मोहनीश और अमृता) हुईं।