सुचित्रा सेन: एक ऐसी एक्ट्रेस जिन्होंने दादासाहब फाल्के अवॉर्ड लेने से किया था मना, पढ़े बंगाली से हिंदी सिनेमा का सफर
By मेघना वर्मा | Published: April 6, 2019 07:37 AM2019-04-06T07:37:32+5:302019-04-06T07:37:32+5:30
साल 1963 में सुचित्रा सेन ने वो कारनामा कर दिखाया जो अब तक भारत में किसी और अभिनेता या अभिनेत्री नहीं किया था। मास्को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में फिल्म 'सात पाके बंधा' के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार से नवाजा गया था।
बॉलीवुड में कुछ कम ही ऐसी एक्ट्रेसेस हुई हैं जिन्होंने सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेशो में भी अपने देश का खास कर रिजनल सिनेमा का झंडा गाढ़ा है। सुचित्रा सेन उन्हीं एक्ट्रेसेस में से एक थीं। आंधी फिल्म से लोगों के दिलों में आज भी घर करने वाली एक्ट्रेस सुचित्रा की आज 84वीं जयंती है। एक्ट्रेस की जयंती पर आज बात उनके बंगाली सिनेमा से हिंदी सिनेमा के सफर की।
सुचित्रा सेन 6 अप्रैल 1931 को बांग्लादेश के पबना जिले में हुआ था। ये पहले भारत में हुआ करता था। सुचित्रा का नाम उनके जन्म के समय रोमदास गुप्ता रखा गया। सुचित्रा अपने मां-बाप की पांचवीं संतान थीं और उनकी पढ़ाई-लिखाई पबना जिले में ही हुई। साल 1947 में सुचित्रा सेन की शादी एक बेहद ही अमीर बिजनेसमैन आदिनाथसेन के बेटे देबोनाथ सेन से हुई थी।
इन दोनों की ही बेटी हुई मुनमुन सेन। जो आगे चलकर बॉलीवुड की बेहद खूबसूरत और फेमस एक्ट्रेस बनीं। मुनमुन सेन लगभग तीन दशक तक अपनी एक्टिंग जरिए लोगों के दिलों में छाप छोड़ने वाली सुचित्रा सेन 17 जनवरी 2014 को हार्ट अटैक के कारण दुनिया को अलविदा कह दिया।
उत्तम कुमार के साथ की 30 फिल्में
सुचित्रा सेन ने बंगाली सिनेमा से अपने करियर की शुरूआत की। साल 1952 में फिल्म 'शेष कौथाए' से उन्होंने फिल्मी दुनिया में कदम रखा। मगर किसी कारण से ये फिल्म कभी रिलीज ही नहीं हुई। साल 1953 में डायरेक्टर निर्मल देब की फिल्म 'साड़े चुयात्तर' में उत्तम कुमार के साथ पर्दे पर दिखीं। इन दोनों की ना सिर्फ ये फिल्म सुपर हिट रही बल्कि लोगों ने इनकी जोड़ी इतनी ज्यादा पसंद की कि दोनों एक्टर्स ने एक साथ 30 फिल्मों में काम किया।
सुचित्रा सेन और उत्तम कुमार को बंगाली फिल्म इतिहास की सबसे रोमांटिक और सफल जोड़ी माने जाते हैं। सुचित्रा सेन ने अपनी पूरी फिल्मी करियर के दौरान 52 बंगाली और चार हिंदी फिल्मों में काम किया था। विमल राय की फिल्म 'देवदास' में जहां वो पारो बनीं थीं वहीं साल 1975 में आई गुलजार की फिल्म 'आंधी' में देवी की किरदार को अपनी एक्टिंग से जींवत कर दिया था।
विदेशी अवॉर्ड से सम्मानित पहली भारतीय अभिनेत्री
साल 1963 में सुचित्रा सेन ने वो कारनामा कर दिखाया जो अब तक भारत में किसी और अभिनेता या अभिनेत्री नहीं किया था। मास्को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में फिल्म 'सात पाके बंधा' के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार से नवाजा गया था। इस अवॉर्ड को हासिल करने वाली वो पहली भारतीय अभिनेत्री बन गई थीं।
नहीं लेने गयीं थीं दादा साहेब फाल्के पुरस्कार
साल 1980 के बाद सुचित्रा सेन ग्लैमर की दुनिया से खुद को दूर कर लिया। वो ना कहीं जाती और ना किसी से मिलती। उनका ये वैरागी जीवन बहुत लंबे समय तक चला। साल 2005 में जब उन्हें प्रतिष्ठित दादासाहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा था, तब उन्होंने उसे लेने से मना कर दिया। सुचित्रा सेन ने कहा था कि उस अवॉर्ड को उनके घर भेज दिया जाए। इस अवॉर्ड को लेने के लिए एक बार फिर से वो उस चकाचौंध भरी दुनिया में वापस नहीं आएंगी। लिहाजा ये अवॉर्ड उन्हें नहीं दिया गया।