मुंबई जाने से पहले दिल्ली में एक्सपोर्ट का बिजनेस करते थे कैलाश खेर, 22 लाख का हुआ नुकसान तो नदी में लगा दी थी छलांग
By अनिल शर्मा | Updated: July 7, 2021 07:02 IST2021-07-07T07:02:27+5:302021-07-07T07:02:27+5:30
कैलाश खेर ने 4 साल की उम्र से ही गाना शुरू कर दिया था। थोड़ी और उम्र बढ़ने के साथ इसमें वे महारथ हासिल कर लिए थे। परिवारवाले भी उनकी गायिकी से हैरान हो जाया करते, इसके बावजूद वे नहीं चाहते थे कि कैलाश संगीत को ही अपना करियर बनाएं।

मुंबई जाने से पहले दिल्ली में एक्सपोर्ट का बिजनेस करते थे कैलाश खेर, 22 लाख का हुआ नुकसान तो नदी में लगा दी थी छलांग
तेरी दीवानी से लाखों को अपना दीवाना बनाने वाले कैलाश खेर ने संगीत की दुनिया में आज जो पहचान कायम की है वो कई चुनौतियों के बाद हासिल हुई है। कैलाश खेर का जन्म एक कश्मीरी पंडित परिवार में 7 जुलाई 1973 को मेरठ में हुआ था। यूं तो कैलाश खेर के पिता भी लोक संगीज्ञ थे फिर भी संगीत को ही करियर के रूप में चुनना उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं था।
कैलाश 4 साल की उम्र से ही गाना शुरू कर दिया था। थोड़ी और उम्र बढ़ने के साथ इसमें वे महारथ हासिल कर लिए थे। परिवारवाले भी उनकी गायिकी से हैरान हो जाया करते, इसके बावजूद वे नहीं चाहते थे कि कैलाश संगीत को ही अपना करियर बनाएं। कैलाश खेर के लिए ये पशोपेश वाली स्थिति रही। लेकिन उन्होंने मन में ठान लिया कि वे गायकी ही करेंगे। लिहाज महज 14 साल की उम्र में घर छोड़कर दिल्ली भाग आए थे।
कैलाश जब दिल्ली आए तो उनको संगीत गुरु की तलाश थी। लेकिन ये भी नसीब नहीं हुआ। फिर कैलाश ने नुसरत फतेह अली खान, भीमसेन जोशी, पंडित गोकुलोत्सव महाराज पंडित कुमार गंधर्व जैसे क्लासिकल गायकों को सुनना शुरू किया और इन्हीं को वे अपना वास्तविक गुरु माना। खैर दिल्ली में कैलाश रोजी रोटी के लिए छोटे बच्चों को संगीत की शिक्षा देनी शुरू की जिसके लिए वे 150 रुपए लेते थे।
कैलाश खेर की परिस्थियां तब भी अनुकूल बनी रहीं। जैसे तैसे कैलाश खेर ने हैंडीक्राफ्ट का एक्सपोर्ट बिजनेस शुरू किया। इसी दौरान कुछ बचत कर कैलाश ने एक प्लॉट खरीदा। एक इंटरव्यू में इसका जिक्र करते हुए कैलाश खेर ने कहा था-“मैंने यह सोचकर जमीन का एक प्लॉट खरीदा था कि मुझे उस व्यापारिक सौदे से बहुत पैसा मिलेगा। मेरे माता-पिता एक किराए के घर में रहते थे। और जब मैंने प्लाट खरीदा, तब मुझे अपने ऊपर बहुत गर्व हुआ।
कैलाश के मुताबिक उनको लगा कि माता-पिता के लिए घर खरीद लिया लेकिन अचानक कुछ ऐसा हुआ कि वह सौदा विफल हो गया। और कैलाश खेर को 22 लाख रुपए का नुकसान हो गया। इसके बाद वे डिप्रेशन में चले गए थे। जीवनभर का कमाया एक झटके में मिट्टी में मिल गया। इससे उबरने के लिए कैलाश पिता के पास ऋषिकेश चले गए और सोचा कि पिता के साथ कर्मकांड में ही हांथ बटाएंगे। लेकिन वहां भी मन नहीं लगा। एक रोज वह गंगा नदी के किनारे घाट पर बैठे थे और सोचते हुए नदी में छलांग लगा दी। कैलाश खेर ने आत्महत्या का कदम उठा लिया। हालांकि पास एक दोस्त ने उनकी जान बचाई थी।