अनुपम खेर ने कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार को बयां करते 1993 का साझा किया अपना वीडियो, लिखा- अपने ही देश में इन शरणार्थियों की...

By अनिल शर्मा | Updated: March 29, 2022 15:26 IST2022-03-29T15:13:27+5:302022-03-29T15:26:04+5:30

वीडियो में अनुपम खेर कहते हैं, कभी-कभी हैरानी होती है कि ये सब हो कैसे गया। दुख होता है ये कैसे हो गया। मेरे दादा जी का कमरा था नई सड़क पर। मैं जब वहां छुट्टियों में जाता था मैं सोचता था कि इस कमरे में जितनी भी किताबें हैं मैं उन्हें अपने दादा जी के बाद अपने साथ ले जाऊंगा...

Anupam Kher shared his video of 1993 narrating the massacre of Kashmiri Hindus | अनुपम खेर ने कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार को बयां करते 1993 का साझा किया अपना वीडियो, लिखा- अपने ही देश में इन शरणार्थियों की...

अनुपम खेर ने कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार को बयां करते 1993 का साझा किया अपना वीडियो, लिखा- अपने ही देश में इन शरणार्थियों की...

Highlightsअनुपम खेर ने 1993 में दिए अपने एक भाषण का वीडियो साझा किया हैखेर ने दावा किया है कि यह वीडियो कश्मीरी पंडितों द्वारा आयोजित एक गोष्ठी की है जिसमें वे शामिल हुए थेइस वीडियो में अनुपम खेर को उनके परिवार के पलायन को भावुक तरीके से बयां करते सुना-देखा जा सकता है

मुंबईः कश्मीर से कश्मीरी पंडितों के पलायन पर बनी चर्चित फिल्म द कश्मीर फाइल्स के अभिनेता अनुपम खेर ने साल 1993 का अपना एक पुराना वीडियो साझा किया है। खेर ने दावा किया है कि यह वीडियो कश्मीरी पंडितों द्वारा आयोजित एक गोष्ठी का है जिसमें अनुपम खेर को सम्मानित किया गया था। इसके साथ ही वह कश्मीर से कश्मीरी हिंदुओं के पलायन पर अपनी बात भी रखी थी।

इस वीडियो को साझा करते हुए अनुपम खेर ने लिखा है, 'कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार के बाद 1993 में दिल्ली में उनके द्वारा एक गोष्ठी का आयोजन किया गया था! जहाँ मुझे सम्मानित करने के साथ कुछ बोलने को भी कहा गया था। ये रही वो स्पीच। मैंने अपने ही देश में इन रिफ्यूजियों की आवाज बनने की हमेशा कोशिश की है।'

इस वीडियो में अनुपम खेर ने अपने परिवार के पलायन और अपने बचपन को याद करते हुए एक दर्दभरी कहानी बयां की है। अभिनेता को कहते सुना जा सकता है, 'ये कहानी उस परिवार और उसके एक बेटे की है जिसे मजबूरन वो जगह छोड़नी पड़ी जहां वह बचपन से रहा। इन चेहरों की चमक में, इन चेहरों की झुर्रियों में, इन चेहरों की आंखों के सूनेपन में, मुस्कुराहटों की खुशियों में मेरा टैलेंट है। मैं जो भी हूं इन चेहरों का मिश्रण हूं।' 

खेर आगे कहते हैं- कभी-कभी हैरानी होती है कि ये सब हो कैसे गया। दुख होता है ये कैसे हो गया। मेरे दादा जी का कमरा था नई सड़क पर। मैं जब वहां छुट्टियों में जाता था मैं सोचता था कि इस कमरे में जितनी भी किताबें हैं मैं उन्हें अपने दादा जी के बाद अपने साथ ले जाऊंगा। वो छोटी सी उनकी आलमारी जिसमें उनकी बहुमूल्य, उन किताबों का कोई मूल्य  नहीं था। जितना भी पैसा देते उन किताबों को खरीदा नहीं जा सकता था। 

अनुपम खेर वीडियो में कह रहे हैं कि कश्मीरी पंडितों से ज्यादा शांतिप्रिय बिरादरी कोई नहीं है। वह कहते हैं- 'सख्त अफसोस हुआ जब पता लगा कि मेरे दादा जी के बाद मेरे घरवालों को एक टूटे ट्रक में, डरे हुए अपना ही घर छोड़कर एक शरणार्थी की तरह 500 किलो मीटर या हजार किलो मीटर दूर रहना पड़ा। जहां हमारा घर हैं वहां हम तो जाएंगे। और कोई ताकत हमें हमारे घर जाने से नहीं रोक सकती। क्योंकि अगर कोई शांतिप्रिय बिरादरी है तो इस बिरादरी से शांतिप्रिय कोई हो ही नहीं सकता।'
 

Web Title: Anupam Kher shared his video of 1993 narrating the massacre of Kashmiri Hindus

बॉलीवुड चुस्की से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे