शोभना जैन का ब्लॉग: श्रीलंका में बदलाव ला पाएंगे दिसानायके ?
By शोभना जैन | Updated: September 27, 2024 07:58 IST2024-09-27T07:58:32+5:302024-09-27T07:58:32+5:30
Anura Kumara Dissanayake: भीषण आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में न केवल वामपंथी दल के राष्ट्रपति का चुना जाना एक बड़े बदलाव वाली खबर है, बल्कि अब सबकी नजर इस ओर है कि अपनी वामपंथी नीतियों से वह देश को इस आर्थिक संकट से उबारने के लिए क्या कदम उठाते हैं।

शोभना जैन का ब्लॉग: श्रीलंका में बदलाव ला पाएंगे दिसानायके ?
भीषण आर्थिक संकट, भ्रष्टाचार, भारी जनअसंतोष और राजनैतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहे श्रीलंका में इस सप्ताह हुए राष्ट्रपति चुनाव में वामपंथी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके की जीत एक बड़े बदलाव के रूप में देखी जा रही है। भीषण आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में न केवल वामपंथी दल के राष्ट्रपति का चुना जाना एक बड़े बदलाव वाली खबर है, बल्कि अब सबकी नजर इस ओर है कि अपनी वामपंथी नीतियों से वह देश को इस आर्थिक संकट से उबारने के लिए क्या कदम उठाते हैं, देश में सभी को कैसे भरोसे में लेकर अपनी नीतियों को क्रियान्वित करते हैं और अगर विशेष तौर पर भारत की बात करें तो चीन के प्रति झुकाव वाले अनुरा की पार्टी इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाने के लिए कैसे संतुलन बनाती है।
वैसे लगता तो यही है कि अनुरा देश को आर्थिक बदहाली से निकालने के लिए निजी तथा विदेशी निवेश भी लेंगे. चीन की तरफ झुकाव वाले अनुरा से उम्मीद की जा रही है कि वह भारत के साथ भी रिश्ते बनाने में व्यावाहरिक रास्ता अपनाएंगे. अपने चुनाव घोषणा पत्र में भी उनके दल ने लिखा था कि श्रीलंका अपने भूभाग को भारत सहित क्षेत्र के किसी भी देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा बनने की इजाजत नहीं देगा।
श्रीलंका पंरपरागत रूप से भारत का प्रगाढ़ मित्र रहा है। न केवल दोनों देश भौगोलिक रूप से एक-दूसरे से जुड़े हैं बल्कि दोनों के बीच प्राचीनकाल से सांस्कृतिक, ऐतिहासिक रिश्ते रहे हैं। दोनों देशों की जनता के बीच भावनात्मक रिश्ते हैं. हाल के आर्थिक संकट के दौरान भी भारत ने हर बार की तरह श्रीलंकाई जनता की सहायता की. सवाल है कि अनुरा सरकार इन चुनावी वादों पर अमल कैसे कर पाती है।
श्रीलंका आर्थिक संकट से उबरने की कोशिश में है, ऐसे में निश्चित तौर पर वहां यह बदलाव श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने और सरकार में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय भरोसे को पैदा करने के लिए बहुत ही अहम साबित होने वाला है। 55 साल के वामपंथी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) गठबंधन के प्रमुख हैं। श्रीलंका की पूर्ववर्ती सरकारों के आर्थिक बदहाली से निपटने में नाकामयाब होने के बाद अनुरा में लोगों को उम्मीद की एक किरण नजर आई।
दिलचस्प बात यह है कि साल 2019 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में दिसानायके को महज 3 प्रतिशत वोट मिले थे। इस बार के चुनाव में पहले राउंड में दिसानायके को 42.31% और उनके प्रतिद्वंद्वी रहे सजीथ प्रेमदासा को 32.76% वोट मिले। इस साल फरवरी महीने में अनुरा कुमारा दिसानायके जब भारत आए थे, तो किसी ने शायद ही सोचा था कि करीब सात महीने बाद वो श्रीलंका के राष्ट्रपति बनेंगे। श्रीलंका के इतिहास में ये पहली बार है जब चुनाव में किसी भी उम्मीदवार को जीत के लिए जरूरी 50 प्रतिशत से अधिक मत नहीं मिले, जिसकी वजह से दूसरे राउंड की गिनती की गई।