चीन को आखिर इतनी मिर्ची क्यों लगती है?, दलाई लामा के 90वें जन्मदिन पर पीएम मोदी ने दी बधाई

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: July 9, 2025 05:25 IST2025-07-09T05:25:25+5:302025-07-09T05:25:25+5:30

जन्मदिन पर आयोजित समारोह में स्वाभाविक रूप से कुछ भारतीय अधिकारी भी उपस्थित थे. बस इसी बात को लेकर चीन ने भारत सरकार के समक्ष विरोध दर्ज करा दिया.

Why China so angry PM narendra Modi congratulates Dalai Lama on his 90th birthday | चीन को आखिर इतनी मिर्ची क्यों लगती है?, दलाई लामा के 90वें जन्मदिन पर पीएम मोदी ने दी बधाई

file photo

Highlightsमाओ के इस आरोप में एक साथ कई झूठ छिपे हैं. शिजांग को चीन से अलग करने का प्रयास करते रहे हैं. 14 वें दलाई लामा एक राजनीतिक निर्वासित हैं.

भारत यदि तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा का नाम भी लेता है तो चीन को आखिर मिर्ची क्यों लग जाती है? अभी दलाई लामा के 90 वें जन्मदिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें शुभकामनाएं देते हुए कहा था कि दलाई लामा प्रेम, करुणा, धैर्य और नैतिक अनुशासन के स्थायी प्रतीक रहे हैं. जरा सोचिए कि दलाई लामा जैसी शख्सियत को कौन बधाई नहीं देना चाहेगा? उनके जन्मदिन पर आयोजित समारोह में स्वाभाविक रूप से कुछ भारतीय अधिकारी भी उपस्थित थे. बस इसी बात को लेकर चीन ने भारत सरकार के समक्ष विरोध दर्ज करा दिया.

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने बीजिंग में मीडिया से बात करते हुए कहा कि 14 वें दलाई लामा एक राजनीतिक निर्वासित हैं. वह लंबे समय से अलगाववादी गतिविधियों में लिप्त रहे हैं और धर्म की आड़ में शिजांग को चीन से अलग करने का प्रयास करते रहे हैं. माओ के इस आरोप में एक साथ कई झूठ छिपे हैं.

हकीकत तो यह है कि चीन जिस शिजांग प्रांत की बात करता है, उसका वास्तविक नाम तिब्बत है. दलाई लामा तिब्बत के धर्मगुरु हुआ करते थे. सत्ता उन्हीं के पास थी. लेकिन चीन ने जब तिब्बत को हड़पना शुरू किया तो स्पष्ट हो गया था कि वह दलाई लामा को या तो कैद कर लेगा या मार देगा. इसलिए 17 मार्च, 1959 को ल्हासा, तिब्बत स्थित अपने महल से दलाई लामा चुपके से बच निकलने में कामयाब रहे.

चीनी फौज को चकमा देते हुए वे 31 मार्च 1959 को तवांग के रास्ते भारत पहुंचे. भारत ने उन्हें शरण दी और तब से वे तथा तिब्बत की निर्वासित सरकार हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में है. चीन को यह बात कभी हजम नहीं हुई कि एक देश पर उसने कब्जा कर लिया लेकिन उस देश की निर्वासित सरकार भारत में चल रही है.

यही कारण है कि जब भी दलाई लामा या भारत के प्रधानमंत्री अरुणाचल प्रदेश की यात्रा करते हैं तो वह आपत्ति दर्ज कराता है. वह अब भी इस मुगालते में हैै कि अरुणाचल प्रदेश उसका हिस्सा है. हकीकत यह है कि अरुणाचल प्रदेश की सीमा तिब्बत से मिलती है लेकिन वह चीन का हिस्सा तो इतिहास में कभी नहीं रहा.

चीन के भारी दमन के कारण तिब्बत के लोग सांसत में हैं और बहुत विरोध नहीं कर पा रहे हैं लेकिन विद्रोह की चिंगारी वहां अभी मौजूद है. हालांकि बहुत से बौद्ध भिक्षुओं को चीन ने मौत के घाट उतार दिया है लेकिन जिस दिन दुनिया की ओर से तिब्बत को समर्थन की थोड़ी सी हवा भी मिली तो विद्रोह की ज्वाला भड़कते देर नहीं लगेगी.

ऐसी स्थिति में तिब्बत की निर्वासित सरकार चीन के लिए बड़ा संकट साबित हो सकती है. चीन को ऐसा लगता रहा है कि 14 वें दलाई लामा जब कभी भी देह त्याग करेंगे तो उसी के साथ तिब्बती धर्म गुरु की परंपरा खत्म हो जाएगी और धर्म गुरु के अभाव में तिब्बती फिर कभी एकजुट नहीं हो पाएंगे. मगर इसी महीने दलाई लामा ने इस बात के संकेत दे दिए हैं कि वे फिर लौट कर आएंगे.

मान्यता है कि दलाई लामा जब देह त्यागते हैं तो उसके पहले वे कई ऐसे संकेत दे जाते हैं जिससे यह पता चलता है कि वे किस स्थान पर और किस बालक के रूप में जन्म लेंगे. उसी संकेत और अन्य कई मान्यताओं तथा परंपराओं के अनुरूप नए दलाई लामा की खोज की जाती है. जिस बच्चे के दलाई लामा होने के संकेत मिलते हैं, उसे दलाई लामा की पुरानी चीजें दी जाती हैं,

यदि वह उन चीजों को पहचान लेता है या कुछ ऐसी बातें बताता है जिससे यह स्पष्ट हो सके कि दलाई लामा के रूप में उसका पुनर्जन्म हुआ है तो फिर उसे दलाई लामा की पदवी मिल जाती है. चीन इस प्रक्रिया को लेकर भी पहले से खुराफात करता रहा है. वह कहता रहा है कि दलाई लामा की नियुक्ति में उसकी भूमिका होगी. जाहिर सी बात है कि वह ऐसा धर्मगुरु चाहता है जो उसका पिछलग्गू हो!

14 वें दलाई लामा का रुख उसे परेशान कर रहा है. चीन की परेशानी यह भी है कि भारत में करीब-करीब एक लाख तिब्बती शरणार्थी हैं. वे हर साल तिब्बत दिवस मनाते हैं और दुनिया को याद दिलाते हैं कि चीन ने उनके देश को हजम कर रखा है. दुनिया को भी पता है कि तिब्बत के लोग चीनी तानाशाही में जी रहे हैं लेकिन दुनिया अभी खामोश बैठी है. उम्मीद करें कि किसी दिन यह खामोशी टूटेगी!

Web Title: Why China so angry PM narendra Modi congratulates Dalai Lama on his 90th birthday

विश्व से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे