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ब्लॉग: पाकिस्तान में चीनियों पर आखिर क्यों हो रहे हैं हमले?

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: April 2, 2024 11:04 IST

एक दौर में खैबर पख्तूनख्वा सीमांत गांधी के प्रभाव वाला क्षेत्र रहा है। पर अब यह जल रहा है। चीनियों पर हमले सिर्फ खैबर पख्तूनख्वा में ही नहीं हो रहे हैं, बलूचिस्तान में भी नियमित रूप से हो रहे हैं।

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ठळक मुद्देपाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में हुए हमला में पांच चीनी नागरिकों की मौत हो गईइसके बाद चीनी कंपनियों ने तीन महत्वपूर्ण जलविद्युत परियोजनाओं पर अपना काम रोक दियाये परियोजनाएं दासू बांध, डायमर-बाशा बांध और तारबेला पांचवां एक्सटेंशन हैं

पाकिस्तान में चीन की मदद से तैयार हो रही बहुत सारी विद्युत और अन्य विकास परियोजनाओं में काम करने वाले चीनी इंजीनियरों पर हमले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। बीते दिनों पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में एक जलविद्युत परियोजना पर आत्मघाती हमला हुआ था, जिसमें पांच चीनी नागरिकों की मौत हो गई। इसके बाद चीनी कंपनियों ने कम से कम तीन महत्वपूर्ण जलविद्युत परियोजनाओं पर अपना काम रोक दिया है। ये परियोजनाएं हैं- दासू बांध, डायमर-बाशा बांध और तारबेला पांचवां एक्सटेंशन। 

बता दें कि एक दौर में खैबर पख्तूनख्वा सीमांत गांधी के प्रभाव वाला क्षेत्र रहा है। पर अब यह जल रहा है। चीनियों पर हमले सिर्फ खैबर पख्तूनख्वा में ही नहीं हो रहे हैं, बलूचिस्तान में भी नियमित रूप से हो रहे हैं। पाकिस्तान के अखबार डॉन में 1 अप्रैल, 2024 को छपी एक खबर के अनुसार, चालू साल के पहले तीन महीनों में देश के दो प्रमुख राज्यों क्रमश: खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में बीते साल की इसी अवधि की तुलना में आतंकी और हिंसक वारदातों में 92 और 86 फीसदी बढ़ोत्तरी हुई है।

जाहिर है कि चीनी नागरिकों पर हमले के कारण चीन नाराज है। पाकिस्तान से आ रही रिपोर्टों से संकेत मिल रहे हैं कि कुछ चीनी नागरिक अपनी जान को खतरा होने के कारण पाकिस्तान छोड़ने पर विचार कर रहे हैं। चीनी नागरिकों पर हो रहे हमलों के लिए तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी), बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी और इस्लामिक स्टेट-खुरासान को जिम्मेदार माना जा रहा है। 

चीनियों पर हमले बलूचिस्तान के ग्वादर शहर में भी होते रहे हैं। आमतौर पर बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) चीनियों पर हमलों की जिम्मेदारी लेता रहा है। पिछले साल के मार्च महीने में बलूचिस्तान ग्वादर बंदरगाह प्राधिकरण परिसर पर आतंकियों ने हमला किया था। उस हमले में पाकिस्तान सेना के कई जवान मारे गए थे। दरअसल ईरान और अफगानिस्तान की सीमा से लगा बलूचिस्तान लंबे समय से चल रहे हिंसक विद्रोह का केंद्र रहा है। बलूच विद्रोही समूहों ने पहले भी 60 अरब अमेरिकी डॉलर की सीपीईसी परियोजनाओं को निशाना बनाते हुए कई हमले किए हैं।

बलूचिस्तान के नेता और सामाजिक कार्यकर्ता कहते रहे हैं कि पाकिस्तान के कुल जमा प्राकृतिक संसाधनों का एक बड़ा हिस्सा उनके प्रदेश से आता है। पर पकिस्तान सरकार उन संसाधनों का दोहन करने के बावजूद राज्य को किसी भी तरह से फायदा नहीं पहुंचाती। खैबर और बलूचिस्तान में चीनियों पर हमलों की एक बड़ी वजह यह मानी जा सकती है कि इन प्रदेशों में सक्रिय आतंकी संगठनों को लगता है कि जो विकास परियोजनाएं चीन की मदद से उनके यहां चल रही हैं, उसका लाभ उनकी बजाय शेष पाकिस्तान को ही होगा।

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