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शोभना जैन का ब्लॉग: धधकते पश्चिम एशिया में आखिर कब स्थापित होगी शांति?

By शोभना जैन | Updated: October 5, 2024 07:28 IST

अक्सर सत्ता संघर्ष के खूनी खेल, तख्तापलट और गृह युद्ध जैसी उथल-पुथल वाली स्थितियों को लेकर सुर्खियों में आता रहा पश्चिम एशिया इस बार बेहद खतरनाक खूनी जंग से थर्रा उठा है.

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ठळक मुद्देवर्ष 2023 में इजराइल और हमास के बीच जो युद्ध शुरू हुआ, वह और भीषणता से फैल रहा है.इस बढ़ते तनाव की वजह से वैश्विक सुरक्षा पर खतरा बढ़ता जा रहा है. ```इस सबके साथ एक अहम सवाल कि पश्चिम एशिया की इस भीषण उथल-पुथल में आखिर भारत कहां खड़ा है? 

अक्सर सत्ता संघर्ष के खूनी खेल, तख्तापलट और गृह युद्ध जैसी उथल-पुथल वाली स्थितियों को लेकर सुर्खियों में आता रहा पश्चिम एशिया इस बार बेहद खतरनाक खूनी जंग से थर्रा उठा है. वर्ष 2023 में इजराइल और हमास के बीच जो युद्ध शुरू हुआ, वह और भीषणता से फैल रहा है. इस बढ़ते तनाव की वजह से वैश्विक सुरक्षा पर खतरा बढ़ता जा रहा है. 

चाहे वह इसके खनिज तेल समृद्ध होने की वजह से होने वाला विश्वव्यापी आर्थिक दुष्परिणाम हो या डिप्लोमेटिक चुनौतियां, जिसमें अरब जगत, अमेरिका जैसी महाशक्तियां या इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू के ईरान में सत्ता बदलाव का निरंकुश फरमान और धमकियां शामिल हैं. और इस सबके साथ एक अहम सवाल कि पश्चिम एशिया की इस भीषण उथल-पुथल में आखिर भारत कहां खड़ा है? 

भारत ने पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव के बीच सभी पक्षों से संयम बरतने को कहा है. निश्चय ही भारत मजबूरन अपने ऐतिहासिक सहयोगी अरब जगत और निकट सहयोगी इजराइल के साथ संबंधों को लेकर दुष्चक्र की सी स्थिति में है. तनाव कम करने के लिए हालांकि विश्वव्यापी बैठकों का दौर जारी है, लेकिन रोज ही दोनों पक्षों के सैनिकों के लहू से जमीन लहूलुहान हो रही है, आसमान मोर्टार, रॉकेटों और तोप के गोलों से दहक रहा है. 

तनाव है कि रुकने की बजाय दिनोंदिन उग्र होता जा रहा है. इन हालात में इस समय सबसे बड़ी जरूरत इस बात की है कि विश्व की बड़ी महाशक्तियां तनाव कम करने लिए पुरजोर कोशिश करें ताकि समय रहते विश्वव्यापी भीषण तबाही को टाला जा सके. इस उलझी हुई डिप्लोमेटिक स्थिति में भारत की बात करें तो उसने सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील करते हुए दोनों देशों में रह रहे अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है. 

भारत इस मुद्दे पर शांतिपूर्ण समझौते के पक्ष में रहा है. हालांकि भारत साल 1988 में फिलिस्तीनी राष्ट्र को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था, लेकिन हाल के वर्षों में मध्य-पूर्व के हालात पर भारत किसी एक पक्ष की तरफ स्पष्ट तौर पर झुका नजर नहीं आता है. हालांकि पिछले कुछ वर्षों मे इजराइल उसका निकट सहयोगी बनकर उभरा है.

बहरहाल, यह संघर्ष अभी पश्चिम एशिया के कुछ क्षेत्रों तक सीमित तो जरूर है लेकिन जिस तेजी से यह आसपास फैल रहा है, बेहद जरूरी है कि अमेरिका और विश्व की बड़ी ताकतें इस संघर्ष को इस क्षेत्र के साथ ही दुनिया भर में फैलने से रोकने में जिम्मेवारी निभाएं और डिप्लोमेटिक प्रयासों के जरिये अविलंब सुलह का रास्ता निकालें.

टॅग्स :इजराइलLebanonHamas
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