वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः यूक्रेन मामले पर नाटो अब क्या करे?
By वेद प्रताप वैदिक | Updated: March 4, 2022 12:15 IST2022-03-04T12:15:21+5:302022-03-04T12:15:41+5:30
यहां आश्चर्य की बात यही है कि इस मतदान में चीन, भारत और पाकिस्तान तीनों ने अपना वोट नहीं दिया। तीनों ने परिवर्जन (एब्सटैन) किया। यानी तीनों राष्ट्र अपने-अपने राष्ट्रहित की सुरक्षा में लगे हुए हैं...

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः यूक्रेन मामले पर नाटो अब क्या करे?
भारत सरकार के उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके साथ तीन मंत्री जिस तरह हजारों छात्नों को यूक्रेन से सुरक्षित वापस ला रहे हैं, वह अत्यंत सराहनीय है लेकिन दुर्भाग्य है कि यूक्रेन पर रूसी हमला इतना लंबा खिंचता चला जा रहा है। उसे बंद करवाने की ठोस पहल कोई भी राष्ट्र नहीं कर रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन अपने भाषणों में पुतिन की निंदा कर रहे हैं लेकिन वे यह भूल रहे हैं कि इस हमले को उकसाने का असली जिम्मेदार अमेरिका ही है। यदि वह यूक्रेन को नाटो में शामिल करने के लिए नहीं उकसाता तो इस रूसी हमले की नौबत ही नहीं आती। यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की की औपचारिक अर्जी के बावजूद यूरोपीय संघ अभी तक मौन है। वह उसे अपना सदस्य बनाकर उसकी रक्षा के लिए अपनी फौज क्यों नहीं भेज रहा है? अब संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भी 141 वोटों से रूस की भर्त्सना कर दी है। लेकिन यह भर्त्सना निर्थक है। क्या इससे रूस सहम गया है? हमला तो जारी है।
यहां आश्चर्य की बात यही है कि इस मतदान में चीन, भारत और पाकिस्तान तीनों ने अपना वोट नहीं दिया। तीनों ने परिवर्जन (एब्सटैन) किया। यानी तीनों राष्ट्र अपने-अपने राष्ट्रहित की सुरक्षा में लगे हुए हैं। तीनों रूस और अमेरिका में से किसी का भी गुस्सा मोल लेना नहीं चाहते। जैसा कि मैंने हफ्ते भर पहले लिखा था, रूस शायद तब तक चैन से नहीं बैठेगा, जब तक वह यूक्रे न में अपनी कठपुतली सरकार कायम नहीं करवा देगा। बेलारूस में यूक्रे न और रूस का पहला संवाद अधूरा रह गया था, अब दूसरा संवाद हो रहा है। ऐसी स्थिति में रूस यह मांग भी रख रहा है कि यूक्रेन में फलां-फलां अस्त्न नाटो तैनात न करे। यह तो सबको पता है कि यूक्रेन में चेर्नोबिल का प्रसिद्ध परमाणु-केंद्र था लेकिन रूस ने यूक्रे न को परमाणुमुक्त करवा लिया था। अगर यूक्रेन के पास आज परमाणु शस्त्नास्त्न होते तो क्या पुतिन की उस पर हमला करने की हिम्मत पड़ती? इस समय पश्चिमी राष्ट्रों का कर्तव्य है कि पुतिन की मांगों पर गंभीरतापूर्वक विचार करें और रूस को आश्वस्त करें कि वे यूक्रेन को अपना मोहरा नहीं बनाएंगे। यदि वे ऐसा करें तो यह विनाशकारी युद्ध तत्काल बंद हो सकता है। भारत अपने छात्नों को निकाल लाने का उद्यम जिस लगन के साथ कर रहा है, वही लगन वह इस हमले को रुकवाने में दिखाए तो उसके परिणाम चमत्कारिक हो सकते हैं।