वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः यूक्रेन के मामले में मोदी करें पहल

By वेद प्रताप वैदिक | Published: April 9, 2022 08:42 AM2022-04-09T08:42:20+5:302022-04-09T08:43:05+5:30

भारत ने अन्य दर्जन भर मतदानों की तरह इस मतदान में भी तटस्थता बनाए रखी लेकिन कोई यह नहीं कह सकता कि यूक्रेन के नरसंहार पर उसने आंख मींच रखी है।

Vedpratap Vaidik blog Modi should take initiative in the matter of Ukraine russia crisis | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः यूक्रेन के मामले में मोदी करें पहल

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः यूक्रेन के मामले में मोदी करें पहल

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने रूस को अपनी मानव अधिकार परिषद से निकाल दिया है। उसके 193 सदस्यों में से 93 सदस्यों ने रूस के निष्कासन के पक्ष में वोट दिया और 24 ने विरोध में। 58 सदस्य तटस्थ रहे, जिनमें भारत भी शामिल है। रूस के पहले सिर्फ लीबिया को इस परिषद से निकाला गया था लेकिन लीबिया रूस की तरह सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य नहीं था। रूस का निकाला जाना अपने आप में ऐतिहासिक घटना है। वैसे मानव अधिकारों के उल्लंघन में अमेरिका और चीन ने भी रिकॉर्ड कायम किए हैं लेकिन यूक्रेन में जिस तरह का नरसंहार चल रहा है, वैसा द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद कहीं देखा नहीं गया। दुनिया के कई देश, खास तौर से अमेरिका से जुड़े हुए, उम्मीद कर रहे थे कि भारत कम से कम इस बार तटस्थ नहीं रहेगा, वह रूस के विरुद्ध वोट करेगा।

भारत ने अन्य दर्जन भर मतदानों की तरह इस मतदान में भी तटस्थता बनाए रखी लेकिन कोई यह नहीं कह सकता कि यूक्रेन के नरसंहार पर उसने आंख मींच रखी है। अंतरराष्ट्रीय मंचों तथा भारतीय संसद में भी भारत सरकार कई बार कह चुकी है कि वह यूक्रेन में युद्ध बिल्कुल नहीं चाहती। वह हिंसा और दबाव के बजाय बातचीत से सारे मामले को शांतिपूर्वक हल करवाना चाहती है। वास्तव में बूचा में हुए नरसंहार की उसने जांच की मांग की है। ऐसी मांग करनेवाला भारत पहला राष्ट्र है। संयुक्त राष्ट्र में भारतीय प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने यूक्रेन में चल रहे रक्तपात पर गहरा दुख भी व्यक्त किया है। असलियत तो यह है कि अमेरिका और यूरोपीय राष्ट्र यूक्रेन पर शुद्ध जबानी जमा-खर्च कर रहे हैं। उसकी वे खुलकर सुरक्षा का कोई प्रबंध नहीं कर रहे हैं। यदि ये पश्चिमी राष्ट्र यूक्रेन को पानी पर नहीं चढ़ाते तो रूसी आक्र मण की ये नौबत ही क्यों आती? 

रूस के विरुद्ध इन प्रस्तावों और मतदानों का पुतिन पर क्या असर पड़ रहा है? कुछ नहीं! इस समय भारत का रवैया अत्यंत व्यावहारिक और तर्कसंगत है लेकिन वह अत्यंत सीमित है। उसके अफसर यद्यपि जो कुछ बोल रहे हैं, ठीक बोल रहे हैं लेकिन उनसे ये आशा करना उचित नहीं है कि वे पुतिन और जेलेंस्की के बीच मध्यस्थता कर सकते हैं या उनके बयानों का इन दोनों नेताओं पर कोई असर पड़ सकता है। यह भारत के लिए पहल का एकदम सही मौका है। बाइडेन और पुतिन, दोनों के साथ भारत का बराबरी का संबंध है। यदि भारत के प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी पहल करें तो निश्चय ही बाइडेन, पुतिन और जेलेंस्की उनकी बात सुनेंगे, क्योंकि इस मामले में भारत का अपना कोई स्वार्थ नहीं है।

Web Title: Vedpratap Vaidik blog Modi should take initiative in the matter of Ukraine russia crisis

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