नेपाल की हिमाकत के पीछे चीन, 2015 में भारतीय सरकार ने दिए थे गहरे घाव!

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: September 12, 2018 13:32 IST2018-09-12T10:42:08+5:302018-09-12T13:32:25+5:30

2015 में भाजपा सरकार ने नेपाल की नाकेबंदी करके इतने गहरे घाव दिए थे कि उन्हें कुरेद-कुरेद कर ही ओली सरकार प्रचंड बहुमत से जीती है।

Ved Pratap Vaidik Blog on India Nepal and china relation | नेपाल की हिमाकत के पीछे चीन, 2015 में भारतीय सरकार ने दिए थे गहरे घाव!

नेपाल के प्रधानमंत्री ओली

पुणों में चल रहे ‘बिम्सटेक’ देशों के संयुक्त फौजी अभ्यास का नेपाल ने बहिष्कार कर दिया है। काठमांडू में  संपन्न बिम्सटेक सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और नेपाल के नेताओं से द्विपक्षीय सार्थक संवाद भी किया, इसके बावजूद नेपाल की यह हिम्मत पड़ गई कि वह संयुक्त अभ्यास में भाग न ले? साल में दो बार भारत और नेपाल की सेना के कुछ जवान संयुक्त अभ्यास करते ही हैं।

फिर भी बिम्सटेक के इस संयुक्त अभ्यास से बचने का कारण क्या है? क्या नेपाल चीन को खुश करना चाहता है? वह चीन के साथ शीघ्र ही संयुक्त सैन्य अभ्यास करनेवाला है। पिछले साल भी उसने किया था। क्या वह चीन को यह बताना चाहता है कि बिम्सटेक में वह भारत की अगुवाई को नहीं मानता है? यही अभ्यास बांग्लादेश या श्रीलंका में होता तो नेपाल को शायद कोई आपत्ति नहीं होती। 

यह अभ्यास तो आतंकवाद का सामना करने के लिए है, जिसका सभी बिम्सटेक देशों ने समर्थन किया था। इस भारत-विरोधी कदम का कारण नेपाल के प्रधानमंत्री के।पी। ओली ने यह बताया है कि उनके विरोधी दलों और खबरतंत्र ने इस सैन्य-अभ्यास का विरोध किया था। ओली क्यों डर गए, इस विरोध से? उनकी संसद में उनका दो-तिहाई बहुमत है। उन्होंने डरकर अपनी ही छवि धूमिल की है। यह तर्क भी बिल्कुल व्यर्थ है कि चीन के साथ होनेवाले सैन्य-अभ्यास में तो 20-25 नेपाली सैनिक भाग लेते हैं लेकिन भारत में 300 सैनिक भेजने पड़ते हैं। वे भारत में कम भी भेज सकते थे।

असलियत यह है कि 2015 में भाजपा सरकार ने नेपाल की नाकेबंदी करके इतने गहरे घाव दिए थे कि उन्हें कुरेद-कुरेद कर ही ओली सरकार प्रचंड बहुमत से जीती है। वह मोदी सरकार से बातें तो मीठी-मीठी करती है लेकिन वह नेपाल को पाकिस्तान की तरह चीन की गोद में बिठाने के लिए बेताब है। लेकिन नेपाल को पाकिस्तान से सबक लेना चाहिए। इमरान खान सरकार अब चीनी पैसों की बरसात का असली मतलब समझने में जुट गई है।

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