सारंग थत्ते का ब्लॉग: ईरान के प्रति अमेरिका की बौखलाहट

By सारंग थत्ते | Updated: May 21, 2019 07:07 IST2019-05-21T07:07:01+5:302019-05-21T07:07:01+5:30

ईरान के रणनीतिकार भी अमेरिका की हर हरकत पर पैनी निगाह बनाए हुए हैं. दोनों देशों के बीच 2015 में हुई न्यूक्लियर समझौते की शर्तो में ईरान की तरफ से कमी एक बहुत बड़ा मुद्दा है.

US-Iran Standoff blog need to all about know | सारंग थत्ते का ब्लॉग: ईरान के प्रति अमेरिका की बौखलाहट

सारंग थत्ते का ब्लॉग: ईरान के प्रति अमेरिका की बौखलाहट

न्यूक्लियर मिसाइलों से लैस अमेरिका की वायुसेना, नौसेना और थल सेना इस समय हुक्म का इंतजार कर रही हैं. विमान वाहक पोतों से बैलेस्टिक मिसाइलों को दागने के लिए राष्ट्रपति को हुक्म के कोड भेजने होंगे. अमेरिका और ईरान दोनों  ही देशों के प्रमुख यह कहते हुए सुने जा सकते हैं कि उन्हें युद्ध नहीं चाहिए. लेकिन जिस तरह की तैयारियों की खबरें आ रही हैं, इस स्थिति के सुलगने में बस एक चिंगारी ही काफी होगी. अनजाने में की गई किसी गलती का खामियाजा क्या पूरा विश्व उठाएगा? मिल-बैठकर बात करने को कोई राजी नहीं है. क्यों? सेना और मिसाइलों के जखीरे को क्या वापस नहीं भेजा जा सकता? क्यों है यह अविश्वास?

कुछ हद तक सैन्य विशेषज्ञ इस ‘नो वॉर - नो पीस’ की स्थिति को आपसी विश्वास के न होने की वजह मानते हैं. क्यों बन पड़ी है यह स्थिति अमेरिका और ईरान के बीच? अमेरिका के एहतियात के दायरे में पश्चिमी एशिया में तनाव उबाल पर है. ईरान को शक है कि अमेरिका कभी भी उस पर हमला कर सकता है. अमेरिका की सेनाएं जो इराक और सीरिया में मौजूद हैं, उन्हें भी हाई अलर्ट पर रखा गया है. अमेरिकी नागरिकों का अपहरण  किए जाने की आशंकाओं के चलते अमेरिका ने गैरजरूरी कर्मचारियों को इस इलाके से बाहर निकालने के आदेश जारी किए हैं. अमेरिकी घातक बमवर्षक बी-52 विमान तैयार खड़े हैं.  

ईरान के रणनीतिकार भी अमेरिका की हर हरकत पर पैनी निगाह बनाए हुए हैं. दोनों देशों के बीच 2015 में हुई न्यूक्लियर समझौते की शर्तो में ईरान की तरफ से कमी एक बहुत बड़ा मुद्दा है. अमेरिका का विदेश मंत्नालय इस बात से भी चिंतित है कि ईरान समर्थित देश और अन्य गुट भी इराक और सीरिया में मौजूद अमेरिकी ठिकानों को निशाना बनाने की ओर अग्रसर हैं. पिछले दिनों तेल के समुद्री टैंकरों पर किए गए हमले की वजह से चिंता दोनों तरफ बढ़ चुकी है. स्वयं ईरान भी अपने रणनीतिक पंख फड़फड़ा रहा है. भारतीय विदेश मंत्नी सुषमा स्वराज से इस बाबत ईरान के विदेश मंत्नी ने विचार-विमर्श किया है. मध्यस्थता के लिए ब्रिटेन, चीन, रूस और अन्य यूरोपीय देशों से भी आग्रह किया जा रहा है. आखिर इस किस्म का युद्ध किस करवट बैठेगा यह कहा नहीं जा सकता. ईरान अपने पड़ोसी देशों की मदद को ढाल के रूप में भी इस्तेमाल कर सकता है, मुख्यत: इराक, लेबनान, यमन और सीरिया से मदद मिलने की संभावना है. यहां अमेरिका विरोधी ताकतों को ईरान अपनी छत्न-छाया में पाल रहा है.

Web Title: US-Iran Standoff blog need to all about know

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