UK general election updates: क्या ब्रिटेन में आगामी 4 जुलाई को होने वाले आम चुनावों के बाद भी देश के पहले हिंदू प्रधानमंत्री ऋषि सुनक अपने पद पर बने रहेंगे? क्या ऋषि सुनक की कंजरवेटिव पार्टी को ब्रिटेन में बसे हिंदू वोट देंगे? क्या भारतवंशियों के वोट लेबर पार्टी को भी मिलेंगे? बेशक ये सवाल महत्वपूर्ण हैं. ब्रिटेन की 2011 की जनगणना के अनुसार, वहां भारतीय मूल के लगभग 15 लाख लोग हैं, जो देश की कुल जनसंख्या का 2.5 प्रतिशत है. ब्रिटेन में भारतीय सबसे बड़ा प्रवासी समूह है. ये बाकी प्रवासी समूहों की तुलना में अपेक्षाकृत अच्छी तरह से शिक्षित है.
ब्रिटेन में भारतीय सबसे मालदार लोग माने जाते हैं. हिंदुजा, लक्ष्मी मित्तल, स्वराज पाल जैसे भारतवंशी ब्रिटेन के सबसे धनी लोगों की सूची में जगह पाते हैं. संडे टाइम्स की बीती मई में जारी ब्रिटेन के सबसे बड़े धनकुबेरों की सूची में ऋषि सुनक और उनकी पत्नी अक्षता मूर्ति का 245 वां स्थान है. अक्षता इंफोसिस टेक्नोलॉजीज के फाउंडर चेयरमैन एन.आर. नारायणमूर्ति की पुत्री हैं.
दरअसल ब्रिटेन में बसे भारतीयों का लंबे समय तक झुकाव लेबर पार्टी के साथ रहा है. लेबर पार्टी की सरकार के दौर में ही भारत को ब्रिटिश राज से मुक्ति मिली थी. हालांकि हालिया सर्वेक्षणों से पुख्ता संकेत मिल रहे हैं कि भारतीयों का लेबर पार्टी की मुख्य प्रतिद्वंद्वी, दक्षिणपंथी कंजरवेटिव पार्टी की तरफ झुकाव बढ़ा है.
लंदन में 1970 के दशक से बसे हुए लेखक विनोद चव्हाण मानते हैं कि आगामी आम चुनावों में ब्रिटेन में बसे हिंदू वोटर कंजरवेटिव पार्टी के हक में एकमुश्त वोट दे सकते हैं. ये खबर ऋषि सुनक और उनकी कंजरवेटिव पार्टी को सुकून दे सकती है. एक बात समझनी होगी कि जब हम ब्रिटेन में बसे भारतीयों की बात करते हैं, तब उनमें वे भी शामिल होते हैं जो ब्रिटेन में ईस्ट अफ्रीका, कैरीबियाई टापू देशों और अन्य स्थानों से आकर बसते रहे हैं. ऋषि सुनक का परिवार 1960 के दशक में केन्या से ब्रिटेन में जाकर बसा था.
हालांकि उनके पुरखे मूल रूप से पंजाब से थे. एक राय यह भी है कि नरेंद्र मोदी के 2014 में भारत का प्रधानमंत्री बनने के बाद ब्रिटेन में बसे बहुत बड़ी संख्या में भारतीय कंजरवेटिव पार्टी के समर्थक हो गए. इनमें हिंदू सर्वाधिक हैं. वहां भारतवंशियों की कुल आबादी में हिंदू दस लाख से अधिक हैं.
ब्रिटेन के हिंदुओं का 2010 से रुख कंजरवेटिव पार्टी की तरफ होने लगा था. उन भारतीयों में दूसरी और तीसरी पीढ़ी के धनी और शिक्षित हिंदू भी थे. पिछले 20-25 वर्षों में भारत से एक नया प्रवासी समुदाय ब्रिटेन पहुंचा है. ये डॉक्टर, इंजीनियर, आईटी पेशेवर वगैरह हैं. ये सब अपने को कंजरवेटिव पार्टी का वोटर बताते हैं. यूं ही भारतवंशियों का लेबर पार्टी से मोहभंग नहीं हुआ.
हुआ यह कि लेबर पार्टी ने 2019 में एक प्रस्ताव पारित करके जम्मू-कश्मीर के लोगों को ‘आत्मनिर्णय का अधिकार’ देने की मांग की. लेबर पार्टी के इस प्रस्ताव के कारण ब्रिटेन में बसे भारतीय प्रवासी समुदाय का एक बड़ा हिस्सा लेबर पार्टी से दूर होने लगा.
उसे लगा कि यह भारत के आंतरिक मामलों में सीधा हस्तक्षेप है. इस बीच, ऋषि सुनक करीब दो साल पहले 2022 में ब्रिटेन के पहले हिंदू प्रधानमंत्री बने. इसके चलते वहां के हिंदुओं और कंजरवेटिव पार्टी के बीच संबंध और गहरे हो गए.