ब्लॉग: हान कांग के साहित्य में दर्ज है युद्ध की त्रासदी

By शशिधर खान | Updated: October 19, 2024 08:34 IST2024-10-19T08:32:25+5:302024-10-19T08:34:09+5:30

नोबल पुरस्कार से पहले इस उपन्यास पर हान कांग को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार मिला. इस पुस्तक की मुख्य पात्र एक महिला है,

The tragedy of war is recorded in Han Kang's literature | ब्लॉग: हान कांग के साहित्य में दर्ज है युद्ध की त्रासदी

ब्लॉग: हान कांग के साहित्य में दर्ज है युद्ध की त्रासदी

दक्षिण कोरिया की बहुचर्चित लेखिका हान कांग को पुरस्कृत कर नोबल अकादमी ने राजनीति और पुरस्कार चयन में लैंगिक असमानता के आरोपों से घिरे विवादों को विराम देने का प्रयास किया है. 53 वर्षीय हान कांग को इस वर्ष का नोबल पुरस्कार मिलना एशिया के लिए ही नहीं, संपूर्ण विश्व और मानवता के लिए भी गौरव की बात है.

नोबल अकादमी ने वर्षों बाद एक ऐसी कलम की जादूगर को इस वर्ष सम्मान के लिए चुना, जिनके चयन से पहले और पुरस्कार की घोषणा के बाद भी कहीं से भी किसी तरह के विवाद की बात सुनने, देखने को नहीं मिली. हान कांग नोबल पुरस्कार पानेवाली पहली एशियाई महिला हैं और अपने देश की पहली लेखिका हैं.

इस वर्ष वाकई नोबल अकादमी ने साहित्य पुरस्कार के लिए ऐसी संवेदनशील लेखिका को चुना है, जिन्होंने मानव जीवन की पारिवारिक, सामाजिक विसंगतियों और विषम परिस्थितियों की पीड़ा को जिया है. हान कांग ने काव्यात्मक शैली में शारीरिक और मानसिक यंत्रणा से विदीर्ण तिल-तिल तड़पती आत्मा की आवाज लयबद्ध वाक्यों में ऐसे व्यक्त की है कि पाठक डूबता-इतराता साधना में लीन हो जाता है.

लेखिका की भावनाओं का मर्म समझने के बाद पढ़नेवाले को लगता है मानो उसकी अपनी ही आत्मा की आवाज हो. दर्द से मन और शरीर पर पड़नेवाले दुष्प्रभावों की गहराई हान कांग के गद्य में झलकती है.

हान कांग को अपनी कालजयी कृति ‘दि वेजिटेरियन’ और ‘ह्यूमन एक्ट्स’(मानवीय कृत्य) के लिए नोबल पुरस्कार मिला है. इन दोनों किताबों में हान कांग ने मानव होने के दर्द को युद्ध के चलते अपने देश के लहूलुहान विभाजन के दंश झेलते इतिहास के आइने से बयां किया है.

हान कांग की सर्वाधिक प्रसिद्ध और लोकप्रिय जिस किताब ‘ह्यूमेन एक्ट्स’को नोबल अकादमी ने पुरस्कार के लिए पहले चुना, वो मानव की ऐसी ही मानसिकता वाले कार्यकर्ताओं पर केंद्रित है. हांग के अनुसार युद्ध की यही अंतिम परिणति है, जिसका इतिहास साक्षी है और युद्ध का अंत नहीं हो रहा. नया अध्याय जुड़ता जा रहा है. इसकी पृष्ठभूमि कोरियाई युद्ध है.

मांस चाहे इंसान का हो या किसी अन्य जीव-जंतु का, हान कांग की आत्मा उससे जुड़ी हुई है. अपनी इस भावना को उन्होंने समाज से जोड़ा है, जो उनकी बेस्टसेलर किताब ‘दि वेजिटेरियन’ में उजागर हुई है. नोबल पुरस्कार से पहले इस उपन्यास पर हान कांग को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार मिला. इस पुस्तक की मुख्य पात्र एक महिला है, जो आलोचकों के अनुसार हान कांग स्वयं हैं.

यह महिला मांस खाना छोड़ देने का फैसला करती है, जिसके विभिन्न युद्ध परिणामों के इर्द-गिर्द ‘दि वेजिटेरियन’ घूमती है. कोरियाई भाषा में बुकर पुरस्कार पानेवाला यह पहला उपन्यास है.

Web Title: The tragedy of war is recorded in Han Kang's literature

विश्व से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे