ट्रम्प-पुतिन वार्ता की आसान नहीं हैं चुनौतियां
By शोभना जैन | Updated: March 22, 2025 07:30 IST2025-03-22T07:29:12+5:302025-03-22T07:30:16+5:30
उधर यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने इस बातचीत के बाद कहा कि स्थाई शांति के किसी भी प्रस्ताव को उसका समर्थन रहेगा.

ट्रम्प-पुतिन वार्ता की आसान नहीं हैं चुनौतियां
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की रूस के व्लादिमीर पुतिन के साथ हाल ही में फोन पर हुई अप्रत्याशित रूप से लंबी बातचीत के बाद, राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन के ऊर्जा केंद्रों पर हमले रोकने पर सहमति तो जताई लेकिन यूक्रेन में तत्काल और पूर्ण युद्ध विराम को खारिज कर दिया.
हालांकि इस सहमति के चंद घंटों बाद ही यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने पुतिन पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि रूस ने रात में किए हमले में नागरिक बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया. यह फोन वार्ता दो राष्ट्राध्यक्षों के बीच सामान्यतः होने वाली बातचीत से कहीं ज्यादा लंबी रही. लेकिन माना जा रहा है कि पुतिन अपने पक्ष से ज्यादा झुकने को राजी नहीं थे.
इसे इस बात से समझा जा सकता है कि एक माह तक यूक्रेन के ऊर्जा ठिकानों पर हमले रोकने की पेशकश के बावजूद पुतिन की बातचीत से इस समय पूर्ण युद्ध विराम की संभावना नजर नहीं आई. उधर यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने इस बातचीत के बाद कहा कि स्थाई शांति के किसी भी प्रस्ताव को उसका समर्थन रहेगा. ऐसे में फिलहाल तो यही लगता है कि यूक्रेन में शांति बहाल करने की डगर बहुत लंबी है.
जून 2024 में व्लादिमीर पुतिन ने युद्ध विराम के लिए अपनी जो मुख्य शर्तें बताई थीं, उसमें उन्होंने मांग की थी कि यूक्रेन लुहांस्क, दोनेत्स्क, खेरसॉन और जापोरिज्जिया क्षेत्रों से अपने सैनिकों को हटा ले. इसके अलावा, उन्होंने मांग की थी कि यूक्रेन को नाटो में शामिल होने से प्रतिबंधित किया जाए और रूस पर लगे प्रतिबंध हटाए जाएं. लेकिन इन शर्तों में से कोई भी सऊदी अरब में हुए युद्ध विराम समझौते का हिस्सा नहीं थी. इसके विपरीत, यूक्रेन के साथ अमेरिकी हथियारों की सप्लाई और खुफिया जानकारी साझा करने की बहाली ने पुतिन को परेशान कर दिया है.
तीन सालों तक पश्चिमी जगत में अलग-थलग पड़े रहने और उससे पहले एक लंबे अंतराल तक कड़वाहट वाले रिश्तों के बाद रूस और अमेरिका के बीच सीधे बात हो रही है. देखना होगा कि इस बातचीत पर यूरोपीय देशों की क्या प्रतिक्रिया होती है. बहरहाल यूक्रेन (कुछ हद तक रूस में भी) भारी खूनखराबे और तबाही के बाद स्थाई शांति की संभावना फिलहाल तो नजर नहीं आती है. आगे की डगर कठिन है, चुनौतियां अनेक हैं. डिप्लोमेसी में संवाद की बहुत महत्ता है. उम्मीद की जानी चाहिए कि संवाद के जरिये चरणबद्ध ढंग से तात्कालिक शांति और फिर स्थाई शांति स्थापित हो सकेगी.