ब्लॉग: अफगानिस्तान में खराब होती महिला शिक्षा की स्थिति, तालिबान के खिलाफ दुनिया बरते कड़ाई

By शोभना जैन | Published: December 23, 2022 11:14 AM2022-12-23T11:14:03+5:302022-12-23T11:16:24+5:30

अगस्त 2021 में तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लेने के बाद उदारवादी शासन का वादा किया था लेकिन धीरे-धीरे तालिबान प्रशासन पुराने ढर्रे पर लौट रहा है. महिलाओं के अधिकारों और देश में उनकी आजादी के साथ मानवाधिकारों का हनन शुरू कर दिया गया है.

Situation of women education getting worse in Afghanistan, world need to strict action against Taliban | ब्लॉग: अफगानिस्तान में खराब होती महिला शिक्षा की स्थिति, तालिबान के खिलाफ दुनिया बरते कड़ाई

महिला शिक्षा के विरोधी तालिबान के प्रति दुनिया बरते कड़ाई (फाइल फोटो)

अफगानिस्तान के एक मेडिकल कॉलेज में पढ़नेवाली एक छात्रा डबडबाई आंखों से जब यह सवाल पूछती है, ‘क्या मुझे कालीन बुनकर और कढ़ाई करके जोड़े पैसों से डॉक्टर बनने का कोई हक नहीं है.’ वहीं के एक विश्वविद्यालय की एक अन्य छात्रा भावविहीन चेहरे से जब बुदबुदाती है ‘उन्होंने उस इकलौते पुल को तोड़ दिया है, जो मुझे मेरे भविष्य से जोड़ सकता था.’ तो निश्चय ही ये टिप्पणियां किसी को भी हिला देती हैं, जो कि इसी मंगलवार को तालिबान प्रशासन द्वारा युवतियों की विश्वविद्यालयीन शिक्षा पर रोक लगाने के बाद जारी एक फरमान के बाद बाद सुनने को मिलीं. 

इस फरमान से यह साफ जाहिर है कि 2.0 का तालिबान प्रशासन उदार प्रशासन देने का अपना नकाब उतार कर नब्बे के दशक वाले मानवाधिकारों का हनन कर बर्बरता का तांडव करने वाले तालिबान के अपने असली रूप में आ गया है. 

पिछले साल अगस्त 2021 में भले ही देश से अमेरिका के जाने के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लेने के बाद उदारवादी शासन का वादा किया था लेकिन धीरे-धीरे तालिबान प्रशासन ने दोहा वार्ता में मिलीजुली सरकार बनाने सहित किए गए तमाम वादों की धज्जियां उड़ाकर महिलाओं के अधिकारों और देश में उनकी आजादी के साथ मानवाधिकारों का हनन शुरू कर दिया है. 

भारत ने ऐसी बर्बरताओं पर गहरी चिंता जताई है और कहा है कि भारत सदैव ही अफगानिस्तान में महिला शिक्षा का निरंतर समर्थक रहा है. उसका सदैव ही अफगानिस्तान में एक समावेशी, प्रतिनिधि सरकार पर जोर रहा है, जिसमें महिलाओं सहित सभी अफगान नागरिकों की हिस्सेदारी हो. भारत का यह बयान इसलिए भी अहम है कि तालिबान ने दोहा वार्ता में किए गए वादे के बावजूद अभी तक सभी को साथ लेकर समावेशी सरकार नहीं बनाई है.

निश्चय ही ऐसे बढ़ते तालिबानी फरमानों और दमनचक्र के मद्देनजर अब भारत सहित विश्व समुदाय को तालिबान प्रशासन के साथ रिश्तों के स्वरूप को लेकर दोबारा विचार कर उसे कड़े संदेश देने होंगे.

तालिबान के इस फरमान की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा हो रही है और देश में युवाओं में भी इससे क्षोभ है. अफगानिस्तान के उच्च शिक्षा मामलों के मंत्री ने मंगलवार को इसकी घोषणा की और कहा कि ये तुरंत प्रभाव से लागू होगा और अनिश्चित काल के लिए लागू होगा. 

इस फैसले से महिलाओं की शिक्षा पर प्रतिबंध और बढ़ेगा क्योंकि गत वर्ष ही तालिबान की वापसी के बाद लड़कियों के सेकेंडरी स्कूल में दाखिला लेने पर रोक लगा दी गई थी. राजधानी काबुल में कुछ महिलाओं, युवाओं ने घरों से बाहर आकर इस फैसले के खिलाफ प्रदर्शन भी किया.

Web Title: Situation of women education getting worse in Afghanistan, world need to strict action against Taliban

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