शर्म अल-शेख शहरः कैसा शांति सम्मेलन जिसमें न इजराइल न हमास!
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: October 14, 2025 05:16 IST2025-10-14T05:16:46+5:302025-10-14T05:16:46+5:30
Sharm el-Sheikh city: मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सम्मेलन की सह-अध्यक्षता का दायित्व संभाला.

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Sharm el-Sheikh city: यह कितनी बड़ी विडंबना है कि गाजा में शांति के लिए मिस्र के शर्म अल-शेख शहर में जो शांति सम्मेलन आयोजित किया गया उसमें न तो इजराइल ने भाग लिया और न ही हमास का कोई प्रतिनिधि शामिल हुआ. बड़ी सीधी सी बात है कि यदि दो पक्षों में विवाद है और उनके बीच शांति स्थापित करने के लिए कोई प्रयास किया जा रहा है तो वह तभी सफल हो सकता है जब दोनों पक्ष उस शांति वार्ता में शामिल हों. लेकिन ऐसा नहीं हुआ है. मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सम्मेलन की सह-अध्यक्षता का दायित्व संभाला.
बीस से ज्यादा देशों के प्रतिनिधि इसमें मौजूद रहे. संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंतोनियो गुटेरेस भी सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे लेकिन न तो इजराइल आया और न ही हमास. इजराइल ने सुरक्षा कारणों से ऐसा किया जबकि हमास का कहना है कि शांति के लिए जो समझौता हुआ है, उसके कई बिंदु स्पष्ट नहीं हैं. इसका मतलब है कि दोनों ने अपने पत्ते संभाल कर रखे हैं.
इस बीच खबर आ रही है कि इजराइल ने अब तक 20 जिंदा बंधकों को रेड क्रॉस को सौंप दिया है. मृतकों के शव बाद में सौंपे जाएंगे. अब इजराइल की बारी है जिसे फिलिस्तीनी कैदियों और गाजा से पकड़े गए 1700 लोगों को रिहा करना है. इस शांति समझौते को लेकर अभी भी संशय बना हुआ है और इजराइल तथा हमास की पुरानी हरकतों का विश्लेषण करें तो स्थायी शांति मुश्किल ही लगती है.
यही कारण है कि दोनों ने ही शांति सम्मेलन से दूरी बनाए रखी है. कल को दोनों के बीच फिर मार-काट शुरू होती है तो वे यही कहेंगे कि शांति सम्मेलन में तो वे थे ही नहीं. इस शांति सम्मेलन को यदि भारतीय नजरिये से देखें तो भारत ने शांति सम्मेलन के प्रति समर्थन जताते हुए विदेश राज्यमंत्री कीर्तिवर्धन सिंह को वहां भेजा है.
हालांकि डोनाल्ड ट्रम्प और अब्देल फतह अल-सिसी, दोनों ने संयुक्त रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी शांति सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया था लेकिन यह आमंत्रण सम्मेलन से केवल 48 घंटे पहले दिया गया. स्वाभाविक है कि प्रधानमंत्री मोदी के लिए जाना संभव नहीं था. सवाल यह है कि केवल 48 घंटे पहले आमंत्रण का मतलब क्या है?
बहरहाल इस सम्मेलन के प्रतिफल पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं कि आगे क्या होता है? इतना तो तय है कि शांति तभी आ सकती है जब इजराइल और हमास दोनों ही झुकें! और फिलहाल ऐसा लग नहीं रहा हैै. दोनों की अकड़ अब भी कायम है.