Pakistan Train Hijack: ट्रेन हाईजैक और खून की नदियां बहना?, बलूचों पर पाकिस्तान ने कितना जुल्म किया

By विजय दर्डा | Updated: March 17, 2025 05:01 IST2025-03-17T05:01:08+5:302025-03-17T05:01:08+5:30

Pakistan Train Hijack: ट्रेन हाईजैक के बाद मुझे वो प्रोफेसर्स याद आ रहे हैं और मैं सोच रहा हूं कि बलूचों पर पाकिस्तान ने कितना जुल्म किया है और निर्ममता के साथ खून की नदियां बहाई हैं.

Pakistan Train Hijack Jaffar Express Train hijacking and rivers of blood flowing BLOG Dr Vijay Darda How much oppression did Pakistan do on the Balochs | Pakistan Train Hijack: ट्रेन हाईजैक और खून की नदियां बहना?, बलूचों पर पाकिस्तान ने कितना जुल्म किया

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Highlightsविद्यार्थी से भी आप मिलेंगे, वह अलग बलूचिस्तान की मांग करेगा.बलूचिस्तान के मुद्दे पर खींच लिया है.बलूचिस्तान इलाके पर कलात रियासत का राज था.

Pakistan Train Hijack: साउथ एशियाई जर्नलिस्ट फोरम के चेयरमैन के नाते मैं पाकिस्तान गया था. तब मैं कुछ बलूच प्रोफेसर्स से मिला जिनमें एक मोहतरमा ने बड़े खूबसूरत जेवर पहन रखे थे, मैंने उसकी तारीफ की तो उन्होंने कहा कि हमारे यहां काम बहुत सुंदर होता है लेकिन हमारे बलूचों की बदकिस्मती है कि हमारा सबकुछ खो चुका है. तब पहली बार मुझे बलूचों की गहरी नाराजगी का एहसास हुआ था. उन्होंने मुझसे कहा था कि हमारे विश्वविद्यालय में आकर देखिए कि क्या हो रहा है. जिस विद्यार्थी से भी आप मिलेंगे, वह अलग बलूचिस्तान की मांग करेगा.

ट्रेन हाईजैक के बाद मुझे वो प्रोफेसर्स याद आ रहे हैं और मैं सोच रहा हूं कि बलूचों पर पाकिस्तान ने कितना जुल्म किया है और निर्ममता के साथ खून की नदियां बहाई हैं. पिछले सप्ताह एक ट्रेन का अपहरण करके बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने पूरी दुनिया का ध्यान एक बार फिर बलूचिस्तान के मुद्दे पर खींच लिया है.

क्या आपको पता है कि जब भारत और पाकिस्तान आजाद हुए थे तब बलूचिस्तान भी आजाद हुआ था. वह केवल 227 दिनों तक ही आजाद रह पाया. फिर पाकिस्तान ने उस पर कब्जा कर लिया! बलूच उसी आजादी की लड़ाई लड़ रहे हैं. कहानी को समझने के लिए आपको इतिहास के पिछले पन्ने पलटने होंगे. करीब डेढ़ सौ साल पहले बलूचिस्तान इलाके पर कलात रियासत का राज था.

1876 में  अंग्रेजों ने कलात रियासत के साथ एक समझौता किया जिसके तहत कलात को संरक्षित राज्य का दर्जा दिया गया. 1946 में जब यह तय हो गया कि भारत आजाद होने वाला है और पाकिस्तान नाम का एक मुल्क जन्म लेने वाला है तो कलात भी अलग मुल्क होने का दावा करने लगा. वहां के शासक मीर अहमद खान ने अंग्रेजों के समक्ष अपना पक्ष रखने के लिए मोहम्मद अली जिन्ना को अपना वकील बनाया.

भारत की आजादी से ठीक पहले 4 अगस्त 1947 को दिल्ली में एक बैठक हुई जिसमें लॉर्ड माउंटबेटन के साथ ही पंडित जवाहरलाल नेहरू, जिन्ना व मीर अहमद खान भी मौजूद थे. माउंटबेटन ने इस बात पर सहमति दी कि कलात अलग मुल्क बन सकता है. जिन्ना ने कलात, खरान, लास बेला और मकरान नाम के इलाके को मिलाकर बलूचिस्तान राष्ट्र बनाने की वकालत की.

11 अगस्त को कलात और मुस्लिम लीग के बीच समझौते के तहत कलात के खान ने 12 अगस्त 1947 को बलूचिस्तान को अलग देश घोषित किया लेकिन उसकी सुरक्षा पाकिस्तान के पास थी. मगर ब्रिटेन ने एक चाल चल दी. 12 सितंबर 1947 को उसने कहा कि बलूचिस्तान इस हालत में नहीं है कि वह एक आजाद मुल्क बन सके. ऐसा माना जाता है कि जिन्ना ने ही यह षड्यंत्र रचा था.

18 मार्च 1948 को जिन्ना ने कलात के बगल के हिस्से खरान, लास बेला और मकरान के सरदारों को प्रलोभन देकर अलग कर दिया. अब यह तय हो चुका था कि पाकिस्तान किसी भी सूरत में बलूचिस्तान को आजाद नहीं रहने देगा. सेना घुसने वाली थी तो मीर अहमद खान ने अपने सेनाध्यक्ष ब्रिगेडियर जनरल परवेज को सेना जुटाने और हथियार गोला-बारूद की व्यवस्था करने का हुक्म दिया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. 26 मार्च को पाकिस्तानी सेना ने बलूचिस्तान पर कब्जा कर लिया. इस तरह 227 दिनों की आजादी समाप्त हो गई.

एक मुल्क फिर से गुलाम हो गया! मगर असंतोष की ज्वाला भड़कते देर न लगी. मीर अहमद खान के भाई प्रिंस करीम खान ने उसी साल बगावत की लेकिन पाकिस्तानी सेना ने उस बगावत को तत्काल कुचल दिया. लेकिन जब भी मौका मिला बलूचों ने पाकिस्तान के खिलाफ हर तरह से जंग छेड़ने की कोशिश जरूर की. सन् 2005 के पहले चार विद्रोह हो चुके थे.

पांचवां विद्रोह 2005 में हुआ जब राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के एक खासमखास सैन्य अधिकारी ने एक बलूच महिला चिकित्सक के साथ रेप किया. उस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के बजाय उस महिला को ही प्रताड़ित किया गया. इस घटना ने बुगती जनजाति के मुखिया नवाब अकबर खान बुगती को झकझोर दिया.

वे पाकिस्तान के रक्षा मंत्री रह चुके थे लेकिन उस वक्त बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी का नेतृत्व कर रहे थे. उस वक्त बलूचों ने पांचवां विद्रोह किया लेकिन पाकिस्तानी सेना ने अकबर बुगती के घर पर बमबारी की जिसमें 67 लोग मारे गए. इससे बलूच और भड़क गए. पाकिस्तान सरकार के खिलाफ संघर्ष और तेज हो गया लेकिन 2006 में अकबर बुगती और उनके दर्जनों साथियों की हत्या कर दी गई.

ऐसा माना जाता है कि केवल पिछले डेढ़ दशक में पाकिस्तानी सेना ने पांच हजार से ज्यादा बलूचों को या तो मार दिया है या फिर गायब कर दिया है. आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि बलूचिस्तान भौगोलिक रूप से पाकिस्तान का 44 फीसदी हिस्सा है.  जबकि वहां की आबादी केवल डेढ़ करोड़ ही है. यह इलाका सोना, तांबा, तेल और ढेर सारे अन्य खनिजों से भरा हुआ है.

खनिज दोहन के लिए वहां चीन भी पहुंच चुका है लेकिन वह इलाका आज भी गरीबी से जूझ रहा है. वहां के लोगों के साथ पाकिस्तान वास्तव में गुलामों जैसा व्यवहार करता है. यही कारण है कि चीन के प्रोजेक्ट से लेकर ग्वादर पोर्ट तक का बलूच विरोध कर रहे हैं. हर विरोध को और अधिक अत्याचार से कुचलने की कोशिश की जाती है.

ऐसे में यदि बलूच ट्रेन हाइजैक कर रहे हैं तो उनकी बात भी दुनिया को सुननी होगी. मगर दुर्भाग्य है कि पाकिस्तान जुल्म किए जा रहा है और बलूचों के विद्रोह को हवा देने के लिए भारत को दोषी ठहरा रहा है. बलूच सब जानते हैं कि पाकिस्तान कितना झूठ बोल रहा है. इसीलिए पाक के पीएम को डर लग रहा है कि पाकिस्तानी सेना की बलूच रेजिमेंट किसी दिन विद्रोह न कर दे.

उनके बलूचिस्तान दौरे की वजह भी यही है. मैं तो पाकिस्तान से यही कहूंगा कि जनाब भारत पर उंगली उठाने से पहले अपना घर देखिए. आप कहां हैं और हम कहां हैं? बलूचिस्तान में आप कब तक खून की नदियां बहाते रहेंगे? बलूच बहादुर कौम हैं. वे आपकी सत्ता एक न एक दिन उखाड़ फेंकेंगे

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