Nawaz Sharif back in Pakistan: चुनाव जीतने के लिए नवाज शरीफ के हास्यास्पद दावे
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: October 24, 2023 10:16 IST2023-10-24T10:16:05+5:302023-10-24T10:16:56+5:30
Nawaz Sharif back in Pakistan: नवाज शरीफ जेल की सलाखों से बचने और अपनी जान की हिफाजत के लिए तत्कालीन सरकार के साथ गुप्त समझौते के तहत अपना देश छोड़ने पर विवश हुए थे.

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Nawaz Sharif back in Pakistan: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ तथाकथित स्व-निर्वासन में रहने के बाद स्वदेश लौटते ही ऐसे-ऐसे बयान दे रहे हैं, जिन्हें सुनकर हंसी भी आती है और उनके फिर सत्ता संभालने पर इस पड़ोसी मुल्क के भविष्य को लेकर डर भी लगता है.
नवाज शरीफ जेल की सलाखों से बचने और अपनी जान की हिफाजत के लिए तत्कालीन सरकार के साथ गुप्त समझौते के तहत अपना देश छोड़ने पर विवश हुए थे. दिवंगत सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ और नवाज शरीफ को एक जैसे हालात में खुद को बचाने के लिए देश छोड़ना पड़ा था. अगर उनकी पार्टी सत्ता में नहीं होती तो उनका स्वदेश लौटना लगभग असंभव होता.
शरीफ इस लिहाज से मुशर्रफ से ज्यादा भाग्यशाली रहे कि उन्हें जीते जी पाकिस्तान लौटने का मौका मिल गया जबकि पूर्व तानाशाह को आखिरी सांस तक स्वदेश लौटने का मौका नहीं मिल सका. अब शरीफ यह सपना देख रहे हैं कि निकट भविष्य में होने वाले आमचुनाव के बाद उनकी पार्टी सत्ता में लौटेगी और वह फिर से पाकिस्तान की बागडोर संभाल लेंगे.
इसी सपने के कारण शरीफ अति आत्मविश्वास का शिकार होकर ऐसे दावे कर रहे हैं जिन पर भरोसा करने के बजाय दुनिया में लोग उनकी हंसी ही उड़ाएंगे. शरीफ का दावा है कि पिछली सदी के अंत में जब भारत ने परमाणु परीक्षण किया था तो जवाबी परीक्षण करने से पाकिस्तान को रोकने के लिए अमेरिका ने उन्हें पांच अरब डॉलर देने की पेशकश की थी.
उनका दावा है कि अमेरिका के अलावा पाकिस्तान के अन्य मित्र देशों ने भी उन पर परमाणु परीक्षण न करने के लिए दबाव डाला था. शरीफ का यह दावा बचकाना है कि अमेरिका की तत्कालीन बिल क्लिंटन सरकार को उन्होंने ठेंगा दिखाकर भारत को करारा जवाब देने के लिए परमाणु परीक्षण किया था.
उनका यह दावा भी हास्यास्पद है कि इसके लिए क्लिंटन प्रशासन ने पाकिस्तान को पांच अरब डॉलर की सहायता देने की पेशकश की थी. शरीफ का यह हथकंडा पाकिस्तान में अगले वर्ष जनवरी में संभावित आम चुनाव में जीत हासिल करने से जुड़ा हुआ है.
वास्तव में वह खुद को पाकिस्तानी जनता के सामने एक ऐसे महानायक के रूप में पेश करना चाहते हैं जिसने अपने देश के हितों की खातिर अमेरिका जैसी महाशक्ति तक की परवाह नहीं की. भारत ने 11 और 13 मई 1998 को परमाणु परीक्षण किए थे. इसकी तैयारियां इतनी गोपनीय थीं कि अमेरिका तक चकित रह गया था.
पाकिस्तान ने उसी महीने की 28 तारीख को जवाबी परमाणु परीक्षण किया था. भारत का परमाणु कार्यक्रम चीन तथा पाकिस्तान जैसे नापाक इरादों वाले अपने पड़ोसियों से आत्मरक्षा पर केंद्रित रहा है जबकि भारत के विरुद्ध खतरनाक इरादों के साथ पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम संचालित होता है.
पाकिस्तान में लोकतंत्र महज एक दिखावा और छलावा है. सरकार चाहे किसी भी पार्टी की रहे, सत्ता को तो पाकिस्तान की सेना ही नियंत्रित करती है. नवाज शरीफ की इतनी ताकत और हैसियत नहीं है कि वह परमाणु हथियार का परीक्षण करने जैसे संवेदनशील फैसले खुद करें. ऐसे सारे फैसले पाकिस्तान में सेना करती है.
नवाज शरीफ पिछली सदी के अंत में पाकिस्तानी सेना की अप्रत्यक्ष सहायता से प्रधानमंत्री बनने में सफल हुए थे. इसीलिए सेना की किसी भी बात को नजरअंदाज करना उनके लिए नामुमकिन रहा. उनके भाई शाहबाज शरीफ भी सेना के समर्थन से ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने और संसद भंग होने के पहले वह अपने बड़े भाई की स्वदेश वापसी का रास्ता साफ कर गए.
इसके लिए भी शाहबाज को सेना की हरी झंडी लेनी पड़ी. पांच अरब डॉलर की रकम कम नहीं होती. सन् 1947 में भारत से अलग होकर अस्तित्व में आने के बाद से ही पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति दयनीय रही है. 1947 से लेकर आज तक पाकिस्तान की जनता महंगाई, बेरोजगारी, कुपोषण, अशिक्षा, शुद्ध पेयजल, अच्छी सड़कों, अच्छे हवाई तथा सड़क नेटवर्क के लिए तरस रही है.
सेना के इशारों पर चलने वाली तमाम पाकिस्तानी सरकारों का ध्यान केवल हथियार खरीदने और परमाणु हथियार बनाने पर ही रहा. जनता की बुनियादी जरूरतों पर पाकिस्तानी सेना तथा उसकी कठपुतली सरकारों का कभी जोर ही नहीं रहा. पाकिस्तान एक-एक पैसे के लिए हमेशा मोहताज रहा.
कभी अमेरिका, कभी विश्व बैंक कभी अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष, कभी चीन तो कभी अन्य देशों के सामने हाथ फैलाता रहा. ऐसे में अमेरिका उसे पांच अरब डाॅलर की पेशकश करता तो उसे ठुकरा देना पाकिस्तानी सेना या नवाज शरीफ के लिए संभव नहीं था.
सच तो यह है कि भारत के 1998 के परमाणु परीक्षण से पाकिस्तान बौखला गया था और झूठी शान की खातिर उसने जवाबी परीक्षण किया. शरीफ अगला चुनाव जीतने के लिए ऐसे कई झूठे और हास्यास्पद दावे कर सकते हैं. पाकिस्तान की जनता उन पर शायद ही भरोसा करे.