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Microsoft Windows: हैवान के साये से कम्प्यूटर को बचाएं कैसे?

By विजय दर्डा | Updated: July 22, 2024 05:12 IST

Microsoft Windows outage: हर कम्प्यूटर चलाने वाले को यह अंदेशा रहता है कि कहीं कोई वायरस न आ जाए या कोई साइबर हमला न हो जाए इसलिए वह साइबर सुरक्षा सिस्टम का उपयोग करता है.

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ठळक मुद्देबड़ी-बड़ी कंपनियों, अस्पतालों और महत्वपूर्ण  प्रतिष्ठानों का काम ठप कर दिया.किसी ने सॉफ्टवेयर का अपडेट तैयार किया और उसे फ्लो कर दिया. कम्प्यूटर की भाषा में इसे ब्लू स्क्रीन ऑफ डेथ कहते हैं.

Microsoft Windows outage: शुक्रवार को दुनिया के सबसे बड़े कम्प्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ जो कुछ भी हुआ उसने मुझे एक पुरानी कहावत याद दिला दी..जब बाड़ ही खेत खाने लगे तो रखवाली कौन करे? दरअसल हुआ यही है. किसी ने भी माइक्रोसॉफ्ट पर साइबर हमला नहीं किया, किसी ने सिस्टम को हैक नहीं किया लेकिन पूरी दुनिया के लाखों-करोड़ों सिस्टम हैंग हो गए. सामान्य भाषा में कहें तो अटक गए. तकनीक के इस युग में ऐसी भीषण अटकन ने बैंकों, हवाई सेवाओं, बड़ी-बड़ी कंपनियों, अस्पतालों और महत्वपूर्ण  प्रतिष्ठानों का काम ठप कर दिया.

इस घटना से भविष्य के लिए कई बड़े सवाल खड़े हो गए हैं. चलिए सबसे पहले बिल्कुल सामान्य भाषा में समझते हैं कि हुआ क्या था? हर कम्प्यूटर चलाने वाले को यह अंदेशा रहता है कि कहीं कोई वायरस न आ जाए या कोई साइबर हमला न हो जाए इसलिए वह साइबर सुरक्षा सिस्टम का उपयोग करता है. एक कंपनी है क्राउडस्ट्राइक फाल्कन जिसका मुख्यालय ऑस्टिन, टेक्सास (अमेरिका) में है और उसका सॉफ्टवेयर कॉर्पोरेट सिस्टम पर बैकग्राउंड में रहता है, जो किसी भी वायरस और साइबर हमले का पता लगाता है.

माना जा रहा है कि इस कंपनी के 10 हजार से ज्यादा कर्मचारियों में से किसी ने सॉफ्टवेयर का अपडेट तैयार किया और उसे फ्लो कर दिया. कम्प्यूटर पर जैसे ही अपडेट दिखा, स्वाभाविक तौर पर लोगों ने एक्सेप्ट कर लिया. इसके साथ ही कम्प्यूटर का स्क्रीन नीला हो गया. कम्प्यूटर की भाषा में इसे ब्लू स्क्रीन ऑफ डेथ कहते हैं.

इसका मतलब है कि कम्प्यूटर किसी काम का नहीं रहा. माइक्रोसॉफ्ट का ऑपरेटिंग सिस्टम सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है और माइक्रोसॉफ्ट इस क्राउडस्ट्राइक साइबर सुरक्षा का इस्तेमाल करता है इसलिए पूरी दुनिया में हाहाकार की स्थिति पैदा हो गई. भारत में 200 से ज्यादा उड़ानें प्रभावित हुईं. अमेरिका में तो यह संख्या हजारों में थी. ब्रिटेन में रेल और हवाई यात्री परेशान हुए.

शेयर बाजार भी अछूता नहीं रहा. दुनिया के कई देशों में टीवी प्रसारण  बंद हो गया. भारत में विमान कंपनियों ने मजबूरी में हाथ से लिखे बोर्डिंग पास जारी किए. ज्यूरिख में तो विमानों की लैंडिंग भी नहीं हो पा रही थी. ऑस्ट्रेलिया, हांगकांग, थाईलैंड, हंगरी, इटली व तुर्किये में भी उड़ानें बाधित हुईं. यदि यह कोई साइबर हमला होता तो बात शायद उतनी चिंता की नहीं होती क्योंकि साइबर हमले से निपटने में पूरी दुनिया लगी हुई है. समस्या यह है कि साइबर हमले से निपटने वाला जो सिस्टम है, वही आत्मघाती साबित हुआ है. सवाल यह है कि क्या उस अपडेट को जारी करने से पहले जांचा-परखा नहीं गया?

कोई अकेला कर्मचारी तो इस तरह अपडेट फ्लो नहीं कर सकता! कहीं बड़ी चूक हुई है. मान लीजिए कि भविष्य में इससे भी बड़ी कोई चूक हो जाए तो फिर क्या होगा? यह सवाल अत्यंत गंभीर इसलिए है क्योंकि हम दैनिक जीवन की जरूरतों के लिए भी पूरी तरह से कम्प्यूटर पर आश्रित होते जा रहे हैं. निश्चित रूप से इसने हमारी जिंदगी को सुगम बना दिया है लेकिन सुरक्षा के मामले में कई बार ऐसी चूक हो जाती है कि ऐसा लगता है कि कम्प्यूटर पर हैवान का साया घूम रहा है. सुनामी के वक्त को शायद आप भूले नहीं होंगे.

जापान में जब सुनामी आई तो बिजली चली गई और लोगों के  स्वचालित घर नहीं खुल सके और हजारों-हजार लोग अपने घरों में कैद हो गए. बहुतों की जान भी चली गई. आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि साइबर हमले के मामले में भारत पहले पायदान पर है. एप्लिकेशन सुरक्षा कंपनी इंडसफेस की रिपोर्ट में बताया गया है कि 2023 में भारतीय वेबसाइट्स और ऐप्स पर हर दिन औसतन एक करोड़ से भी ज्यादा साइबर अटैक हुए. हमले दुनिया के हर हिस्से से हुए लेकिन यह माना जाता है कि उत्तरी कोरिया और चीन के हैकर इस मामले में शीर्ष पर हैं जो दुनिया के हर कम्प्यूटर को निशाने पर लेने की क्षमता रखते हैं.

निश्चय ही इनमें छोटे साइबर हमलों की तादाद ज्यादा थी और ज्यादातर हमले सुरक्षा सिस्टम के कारण नाकाम भी हो गए लेकिन कुछ बड़े साइबर हमलों ने भारत को परेशान भी किया. आपको याद ही होगा कि भारत के कई बड़े अस्पताल, यहां तक कि एम्स भी हमले की चपेट में आ गया था. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हेल्थकेयर की 100 फीसदी वेबसाइट तो बैंकिंग, फाइनेंस और बीमा की 90 फीसदी वेबसाइट्स पर साइबर अटैक हुआ. यहां तक कि डिफेंस पर भी अटैक हुए. सबसे बड़ी चिंताजनक बात है कि भारत में करीब 40 प्रतिशत बड़े उद्योग इन साइबर हमलों को रोकने में सक्षम नहीं हैं.

साइबर हमले और पैसों की वसूली के मामले बढ़ते जा रहे हैं. हैकर किसी कंपनी के कम्प्यूटर सिस्टम पर हमला करते हैं और उसे हैक कर लेते हैं. फिर डाटा वापस देने के लिए भारी-भरकम राशि की मांग रख देते हैं. शिकार कितनी राशि देता है, इसका आंकड़ा उपलब्ध नहीं है क्योंकि कोई बताता नहीं है. निश्चय ही इस साइबर हमले से नुकसान वाले देशों में हम अकेले नहीं हैं.

अमेरिकी विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2024 में साइबर हमलों से होने वाला नुकसान 9.5 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा का होगा. अमेरिका और भारत जैसे देश की सरकारें खुद का स्टोरेज सिस्टम रखती हैं लेकिन निजी कंपनियां दूसरों के स्टोरेज सिस्टम का इस्तेमाल करती हैं इसलिए सहज शिकार हो जाती हैं. एक चिंता मुझे बहुत सताती है कि क्या हम स्टार वार फिल्मों का जो फिक्शन देखते हैं, उस दिशा में बढ़ रहे हैं?

यदि हां तो वो लड़ाइयां कम्प्यूटर से लड़ी जाएंगी. क्या हम उसके लिए तैयार हैं? क्या हमारे रोबोट तैयार हैं? मैं मानता हूं कि आदमी अपनी जगह बना रहेगा लेकिन उसकी शक्तियां कम्प्यूटर कंट्रोल करेंगे. हमारी नई पीढ़ी को इसकी तैयारियों के लिए शिद्दत के साथ जूझना होगा. आत्मरक्षार्थ भी और जरूरत पड़ने पर आक्रमण के लिए भी. हमारे वैज्ञानिकों के सामने ये एक बड़ी चुनौती है.

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