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Israel-Hamas war: गाजा में क्या ट्रम्प टॉवर खड़े होंगे...?

By विजय दर्डा | Updated: February 10, 2025 05:49 IST

Israel-Hamas war: ट्रम्प के दामाद जैरेड कुशनर ने कहा कि गाजा का समुद्री किनारा बहुत कीमती है

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ठळक मुद्देरिवेरा दरअसल इटली का एक शब्द है, जिसका मतलब है कोस्टलाइन यानी समुद्री तट.बयानों को देखें तो यही सवाल पैदा होता है कि क्या गाजा में ट्रम्प टाॅवर खड़े होंगे?गाजा को लेकर इस अमेरिकी सोच या योजना की किसी को कोई भनक तक नहीं थी.

Israel-Hamas war:इजराइल-हमास युद्ध में करीब-करीब नेस्तनाबूद हो चुकी गाजा पट्टी को लेकर ट्रम्प के दो बयानों और उनके दामाद तथा पूर्व सलाहकार जैरेड कुशनर के एक बयान को मिलाकर देखिए तो स्थिति आपको स्पष्ट होती हुई नजर आएगी. ट्रम्प ने अभी हाल ही में कहा था कि गाजा वास्तव में ध्वस्त करने की जगह है. उसके बाद दूसरा बयान आया कि गाजा पर नियंत्रण के लिए अमेरिका तैयार है और हम गाजा को मिडिल ईस्ट का रिवेरा बनाने पर फोकस करेंगे. रिवेरा दरअसल इटली का एक शब्द है, जिसका मतलब है कोस्टलाइन यानी समुद्री तट.

फ्रेंच रिवेरा और इटैलियन रिवेरा दुनियाभर में अपने पर्यटन के लिए जाने जाते हैं. इस बीच ट्रम्प के दामाद जैरेड कुशनर ने कहा कि गाजा का समुद्री किनारा बहुत कीमती है. इसे सही तरीके से विकसित किया जाए तो यह मोनाको से भी ज्यादा बेहतर और खूबसूरत हो सकता है. इन तीन बयानों को देखें तो यही सवाल पैदा होता है कि क्या गाजा में ट्रम्प टाॅवर खड़े होंगे?

डोनाल्ड ट्रम्प रियल एस्टेट कारोबारी रहे हैं और दुनिया में कई स्थानों पर उनकी कंपनी के लग्जरी ट्रम्प टाॅवर खड़े हैं. लेकिन क्या गाजा में अमेरिकी कब्जा संभव है? कानूनी रूप से तो बिल्कुल नहीं लेकिन अमेरिका अंतरराष्ट्रीय कानूनों की परवाह कभी करता कहां है? ...और सवाल है कि उसे रोके कौन? वास्तव में गाजा को लेकर इस अमेरिकी सोच या योजना की किसी को कोई भनक तक नहीं थी.

इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अमेरिकी दौरे पर पहुंचे. ट्रम्प और नेतन्याहू के बीच मंत्रणा हुई और ट्रम्प का यह बयान सामने आया. ट्रम्प ने यह भी कहा कि फिलिस्तीनी गाजा पट्टी में इसलिए लौटना चाहते हैं क्योंकि उनके पास कोई विकल्प नहीं है. गाजा खंडहर में तब्दील हो चुका है और फिलिस्तीनियों को किसी दूसरी जगह बसाकर उन्हें शांति से जीवन जीने का मौका देना चाहिए.

गाजा पर नियंत्रण के बाद अमेरिका बिना फटे बमों को बेकार करेगा, पूरे इलाके का पुनर्निर्माण करेगा और नौकरियां पैदा करेगा. इसे ऐसी जगह बनाएगा जिस पर मध्यपूर्व का इलाका गर्व कर सकेगा. ट्रम्प चाहते हैं कि इस इलाके के लोगों को जॉर्डन, मिस्र और अन्य अरब देश अपने यहां जगह दें.

क्या यह संभव है? और सवाल यह है कि गाजा पट्टी से फिलिस्तीनी क्यों दूसरी जगह जाएं? वह इलाका फिलिस्तीनियों का घर है, उन्हें बेघर करने की बात ट्रम्प कर ही क्यों रहे हैं. फिलिस्तीनियों के प्रति सहानुभूति का इजहार तो तब होता जब वे कहते कि इस इलाके को शांति की राह पर ले जाएंगे और यहां के लोगों को जीने का नैसर्गिक अधिकार दिलवाएंगे.

मध्यपूर्व में अमेरिका यदि गाजा पट्टी पहुंच जाता है तो उसे ईरान, चीन और रूस के खिलाफ एक स्टेशन मिल जाएगा. ट्रम्प चाहते हैं कि उस इलाके में अमेरिकी सेना रहे ताकि अमेरिका और मजबूत हो और इजराइल पर भी नजर रहे. ट्रम्प की मंशा को दुनिया समझ रही है. खासतौर पर मध्यपूर्व के देशों का बौखलाना स्वाभाविक है.

सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, मिस्र, फिलिस्तीनी अथॉरिटी, कतर और अरब लीग ने संयुक्त रूप से बयान जारी कर ट्रम्प की योजना को खारिज कर दिया. ट्रम्प की योजना तो टू नेशन थ्योरी को ही समाप्त कर देने की है. अब सवाल पैदा होता है कि क्या ट्रम्प अपनी इस नई सोच को क्रियान्वित करने के लिए सेना का इस्तेमाल कर सकते हैं?

यह सवाल पत्रकारों ने उनसे पूछ लिया था और उनका जवाब था कि अमेरिका इससे हिचकेगा नहीं! ट्रम्प हालांकि कहते रहे हैं कि वे दुनिया में कहीं भी युद्ध नहीं चाहते लेकिन ट्रम्प ऐसे व्यक्ति हैं जो अपने निर्धारित लक्ष्य के लिए किसी भी सीमा तक जा सकते हैं. गाजा पट्टी केवल 45 किलोमीटर लंबा और 6 से 10 किलोमीटर चौड़ाई वाला छोटा सा इलाका है जिसके तीन तरफ इजराइल का नियंत्रण है.

ट्रम्प इसकी अहमियत जानते हैं इसलिए यदि वे कब्जे की बात कर रहे हैं तो इसे केवल ट्रम्प की कल्पना कह कर खारिज नहीं किया जा सकता है. इसलिए कल्पना कीजिए कि ट्रम्प और इजराइल ने मिलकर इस पर अमल करना चाहा और गाजा में अपने सैनिक उतार दिए तो क्या होगा? मुझे लगता है कि एक भयानक स्थिति पैदा होगी क्योंकि अरब देश यह कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे.

तो क्या अरब देश अमेरिका से टकराएंगे? और टकराने वालों में कौन-कौन शामिल होगा? अमेरिका से लगातार दोस्ती बनाए रखने वाले सऊदी अरब की भूमिका क्या होगी? सऊदी अरब ने तो साफ कहा है कि ट्रम्प की योजना अरब देशों में स्थिरता को लेकर बड़ा खतरा पैदा करेगी. रूस और चीन का रुख क्या होगा?

उस इलाके में बड़ा दबदबा रखने वाले हमास और हिजबुल्लाह के साथ क्या कुछ देश लड़ाई में शामिल हो जाएंगे? यदि मध्यपूर्व में जंग शुरू हो गई तो बाकी दुनिया पर इसका क्या असर होगा? लेकिन ट्रम्प को ऐसे सवालों से क्या मतलब. वे तो बस अमेरिका फर्स्ट का बैनर लिए घूम रहे हैं. आगे-आगे देखिए, होता है क्या?

और अंत में

ट्रम्प साहब, प्रवासियों को आप निकाल रहे हैं. आप रुतबे वाले हैं, इसलिए प्रवासियों को हथकड़ी पहनाकर भेज रहे हैं, सेना के विमान में भेज रहे हैं. इससे दुनिया आहत हो रही है. जरा सोचिए कि यही सलूक यदि किसी अमेरिकी के साथ कोई देश करता तो क्या आपको वेदना नहीं होती? ट्रम्प साहब, बड़ा हम उसे मानते हैं जिसका दिल बड़ा हो, जो मानवीयता के प्रति बड़ी सोच रखता हो. इससे ज्यादा और क्या कहें!

टॅग्स :अमेरिकाडोनाल्ड ट्रंपइजराइलHamasMexico
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