गौरीशंकर राजहंस का नजरियाः भूटान को भारत के और करीब लाने का प्रयास 

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 17, 2019 11:41 AM2019-08-17T11:41:52+5:302019-08-17T11:41:52+5:30

भूटान की सीमा जो चीन की सीमा से सटी हुई है, उस क्षेत्र पर चीन कब्जा करने का प्रयास कर रहा है. भारत और भूटान के बीच एक संधि है जिसके मुताबिक विदेश और सुरक्षा के मामले में भूटान भारत की सलाह पर चलेगा.

Gaurishankar vision: an attempt to bring Bhutan closer to India | गौरीशंकर राजहंस का नजरियाः भूटान को भारत के और करीब लाने का प्रयास 

गौरीशंकर राजहंस का नजरियाः भूटान को भारत के और करीब लाने का प्रयास 

भूटान की सीमा जो चीन की सीमा से सटी हुई है, उस क्षेत्र पर चीन कब्जा करने का प्रयास कर रहा है. भारत और भूटान के बीच एक संधि है जिसके मुताबिक विदेश और सुरक्षा के मामले में भूटान भारत की सलाह पर चलेगा. चीन ने यह हरकत 2017 में की थी और जैसे ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसकी खबर लगी तथा भूटान के शासकों ने भारत से चीन की सेना को वहां से हटाने का आग्रह किया तो तुरंत भारतीय सेना भूटान और चीन की सीमा पर पहुंच गई और एक लंबे अरसे तक वहां चीन की सेना भी डटी रही. चीनी सेना ने आंख दिखाने का बड़ा प्रयास किया, परंतु भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों को पीछे हटने के लिए बाध्य कर दिया.
 
 पिछले अनेक वर्षो से भारत ने भूटान की नदियों से बहुत बड़े पैमाने पर पनबिजली बनाई है. उसका अधिकतर भाग भारत ने खरीद लिया और उस पैसे से भूटान की आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत हो गई. इस पनबिजली का बहुत बड़ा भाग भारत के राज्यों को दिया गया जिनमें पश्चिम बंगाल और बिहार हैं जिससे इनकी आर्थिक स्थिति भी बहुत मजबूत हो गई. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17-18 अगस्त को भूटान जाएंगे और वहां मंगदेछू पनबिजली परियोजना का उद्घाटन करेंगे. इस पनबिजली परियोजना से भूटान में 720 मेगावॉट बिजली पैदा होगी जो भूटान की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में बहुत सहायक होगी.  कई वर्ष पहले भारत और भूटान के बीच एक संधि हुई थी जिसमें यह प्रावधान था कि भारत बहुत सस्ती ब्याज दरों पर धन मुहैया कराकर भूटान में कई पनबिजली परियोजनाएं लगाएगा. पनबिजली परियोजनाओं से 10 हजार मेगावॉट बिजली का उत्पादन होगा. इस पनबिजली परियोजना पर लगभग 10 बिलियन डॉलर खर्च होने का अनुमान है. 

भूटान में पनबिजली की जो संभावनाएं हैं उससे भारत को यह विश्वास है कि वहां 30 हजार मेगावॉट तक बिजली का उत्पादन किया जा सकता है. परंतु अभी केवल 1400 मेगावॉट बिजली का उत्पादन हो रहा है. भारत ने भूटान को पक्का मित्र बनाने के लिए अन्य योजनाओं पर भी काम किया है. भूटान की राजधानी थिम्पू में एक छोटा सा हवाई अड्डा है उसे भारत ने भूटान को पूरी मदद देकर एक आधुनिक हवाई अड्डा बना दिया है जिसका नाम पारो हवाई अड्डा है. इसके अतिरिक्त भारत ने भूटान में एक प्रसारण केंद्र भी बना दिया है. 

भारत के हजारों इंजीनियर, टेक्नीशियन और मजदूर दिन-रात भूटान की विभिन्न परियोजनाओं में काम कर रहे हैं. चीन हर घड़ी भूटानी नागरिकों को भारतीय इंजीनियरों और मजदूरों के खिलाफ भड़काता रहा है, परंतु अभी तक चीन के बहकावे में भूटानी नागरिक नहीं आए हैं. इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रधानमंत्री की आगामी भूटान यात्र से भारत और भूटान के संबंध और मजबूत होंगे और चीन भूटान को लालच देने का जो प्रयास कर रहा है उसमें सफल नहीं हो पाएगा.

Web Title: Gaurishankar vision: an attempt to bring Bhutan closer to India

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