अमेरिकी सत्ता के ‘खलनायक’ चार्ली चैपलिन और महात्मा गांधी

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: September 16, 2025 07:18 IST2025-09-16T07:17:46+5:302025-09-16T07:18:57+5:30

गांधी दर्शन पर 1936 की फिल्म ‘माॅडर्न टाइम्स’ अंधाधुंध अमानवीय मशीनीकरण का विरोध करती है.

Charlie Chaplin and Mahatma Gandhi the villains of American power | अमेरिकी सत्ता के ‘खलनायक’ चार्ली चैपलिन और महात्मा गांधी

अमेरिकी सत्ता के ‘खलनायक’ चार्ली चैपलिन और महात्मा गांधी

सुनील सोनी

कोई अचरज नहीं कि अर्नेस्ट हेमिंग्वे उन नोबल सम्मानित साहित्यकारों में से एक थे, जिनके खिलाफ जॉन एडगर हूवर के जमाने में एफबीआई ने सबसे मोटी फाइल बनाई थी. लगातार 48 साल तक एफबीआई के मुखिया रहे एडगर 1972 में अपनी मौत तक अमेरिका में सबसे ताकतवर शख्स बने रहे, जिसने अमेरिका में नागरिक अधिकारों के पक्ष में आवाज उठाने या लिखनेवाले हरेक शख्स को देशद्रोही करार देकर जासूसी करवाई, षड्‌यंत्र रचे और गोयबेल्स की तरह प्रोपोगंडा मशीन चलाई.

2010 में जब ब्रिटिश खुफिया एजेंसी के रहस्य सार्वजनिक किए गए, तो पता चला कि एफबीआई चाहती थी कि एमआई5 किसी भी तरह चार्ली चैपलिन को ‘रूसी जासूस’ साबित कर दे. 1946 में एफबीआई के जासूसों ने ‘खोज’ निकाला था कि चार्ली चैपलिन का नाम ‘इजराइल थार्नस्टीन’ है और वे बर्मिंघम के बजाय पूर्वी जर्मनी या फ्रांस में पैदा हुए थे. यूरोप और दक्षिण अफ्रीका तक जांच के बाद एमआई5 ने साबित कर दिया कि यह एफबीआई की गलतफहमी है.

चैप्लिन की एमआई5 फाइल संख्या पीएफ 710549 के निष्कर्ष में लिखा है : ‘‘हो सकता है कि चैपलिन कम्युनिस्ट समर्थक हों, पर हमारी संपूर्ण जांच मुताबिक बस ‘प्रगतिशील’ हैं.’’ 39 साल तक अमेरिका में रहने के बावजूद एफबीआई ने उन्हें 1953 में निर्वासित करके ही दम लिया. ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन से एफबीआई बनने के दो साल पहले ही 1922 में एडगर ने चैपलिन को संदिग्धों की सूची में डलवा दिया था, जिनकी फाइल 1946 तक सैकड़ों पन्ने मोटी हो चुकी थी.

तब तक एडगर के सब्र की इंतेहा हो चुकी थी, क्योंकि तब चैपलिन ने पॉब्लो पिकासो को चिट्ठी लिखकर अनुरोध किया था कि वे पेरिस में अमेरिकी दूतावास के सामने संगीतकार हैंस आइसलर के निर्वासन के विरोध में प्रदर्शन आयोजित करें. आइसलर ने पूर्वी जर्मनी का राष्ट्रगीत रचा था और वे बर्तोल्त ब्रेख्त के मित्र थे.

चौंकानेवाला, पर बुरा यह था कि जीवनभर जनपक्षधर रहे जॉर्ज ऑरवेल ने अपनी मृृत्यु से कुछ पहले ब्रिटिश विदेश मंत्रालय की खुफिया एजेंसी सूचना अनुसंधान विभाग को चैपलिन समेत 35 ऐसे नाम दिए, जिन्हें ‘गुप्त कम्युनिस्ट’ माना जा सकता था.

एफबीआई और एमआई5 के पास शायद महात्मा गांधी के नाम भी इससे भी कई गुना मोटी फाइल हो, जो 22 सितंबर 1931 को लंदन की मजदूरों की बस्ती में बहुत मनुहार के बाद डॉ. चुन्नीलाल कोटियाल के दोमंजिले घर पर चार्ली चैपलिन से मिले थे. उस मशहूर मुलाकात की शताब्दी पूरे होने में अभी छह साल शेष हैं, जिसे देखने के लिए हजारों लोग कैनिंग टाउन में ईस्ट इंडिया डॉक रोड के पास साधारण से घर के बाहर जुट गए थे.

गांधीजी को पता था कि दो साल पहले लंदन आ गए डॉ. कोटियाल गरीबों-मजदूरों की सेवा करते आए हैं. डॉ. कोटियाल फिंसबरी के पहले दक्षिण एशियाई मेयर भी बने, जिन्होंने ब्रिटेन में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा की संपूर्णता का आद्यविचार रखा और भारत की आजादी के बाद कर्मचारी स्वास्थ्य बीमा की अवधारणा को मूर्त रूप दिया. लंदन में बना ‘स्मारक उद्यान’ याद दिलाता है कि कई किताबें लिखनेवाले चैपलिन ने अपनी आत्मकथा में मुलाकात का जिक्र विस्मय से किया है. गांधीजी से उन्होंने पूछा कि वे मशीनों के विरोध में क्यों हैं, तो जवाब मिला, ‘‘मशीनों ने हमें इंग्लैंड पर निर्भर बना दिया है. इससे छुटकारे का यही उपाय है कि मशीन निर्मित सभी वस्तुओं का बहिष्कार कर दिया जाए.’’

चैपलिन ने फिर पूछा, ‘‘मान लीजिए कि भारत में रूस जैसी आजादी होती और आप बेरोजगारों के लिए दूसरा काम ढूंढ़ सकते और धन-संपदा का समान वितरण तय कर सकते, तब भी क्या आप मशीनों से घृणा करेंगे? तब क्या आप काम के कम घंटे और मजदूरों के लिए ज्यादा आराम के पक्षधर होंगे.’’ हाजिरजवाब गांधीजी ने कहा, ‘‘निश्चित रूप से.’’ दोनों को लगा कि वे समानुभूति से भरे समविचारी हैं. गांधी दर्शन पर 1936 की फिल्म ‘माॅडर्न टाइम्स’ अंधाधुंध अमानवीय मशीनीकरण का विरोध करती है.

चैपलिन का किरदार ‘द ट्रैम्प’ कारखाने में एक ही काम को बार-बार करते हुए मशीन के किसी पुर्जे में तब्दील हो जाता है. वहां उसकी इच्छा, भावना, रचनात्मकता, मानवीय गरिमा, यहां तक कि अस्तित्व भी निरर्थक है. ‘द ट्रैम्प’ के किरदार को 1914 में पहली फिल्म से लेकर चले चैपलिन ने ‘द डिक्टेटर’ में उसी के मार्फत वह रचा, जिसकी कोई दूसरी नजीर नहीं.

Web Title: Charlie Chaplin and Mahatma Gandhi the villains of American power

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