ब्लॉग: पाकिस्तान में फैलेगी विद्रोह की चिंगारी ?
By विकास मिश्रा | Updated: August 30, 2023 10:30 IST2023-08-30T10:25:28+5:302023-08-30T10:30:23+5:30
पाकिस्तानी सोशल मीडिया चैनलों ने वाकई कमाल कर रखा है। अपनी ओर से बिना कुछ कहे ये चैनल वहां की सरकार के खिलाफ आक्रोश को हवा देकर विद्रोह की चिंगारी फैलाने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं।

फाइल फोटो
पाकिस्तानीसोशल मीडिया चैनलों ने वाकई कमाल कर रखा है। अपनी ओर से बिना कुछ कहे ये चैनल वहां की सरकार के खिलाफ आक्रोश को हवा देकर विद्रोह की चिंगारी फैलाने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। खासकर भारत के चंद्रयान-3 की सफलता के बाद यह सिलसिला तेजी से शुरू हुआ है।
पाकिस्तान के इन सोशल मीडिया चैनलों को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है। एक तो वो जो जाने माने पत्रकार हैं, विश्लेषक हैं, जो पाकिस्तानी फौज का शिकार होने से बचने के लिए दुनिया के दूसरे देशों में रह रहे हैं। इनमें आरजू काजमी, कमर चीमा और ताहिर गोरा जैसे लोग शामिल हैं।
पाकिस्तानी हुक्मरानों को बेनकाब करने का काम ये अरसे से कर रहे हैं। ये लोग अपने चैनलों पर पाकिस्तान को जानने वाले विशेषज्ञों को बुलाते हैं। गंभीर विश्लेषण करते हैं और लोगों को बताने की कोशिश करते हैं कि पाकिस्तानी हुक्मरानों ने किस तरह से देश को लूटा है और आम आदमी को बेसहारा छोड़ दिया है।
ऐसे में वे सवाल खड़ा करते हैं कि भारत सहित दुनिया का हर मुल्क विज्ञान का काम अपने वैज्ञानिकों को सौंपता है तो फिर पाकिस्तान ने अपनी अंतरिक्ष एजेंसी का चीफ किसी रिटायर्ड फौजी को क्यों बना रखा है?
सोशल मीडिया पर दूसरा और बड़ा वर्ग है युवाओं का जो आम आदमी से बातें करता है। उनसे सवाल पूछता है और आम आदमी के दर्द को सामने लाने की कोशिश करता है। इन चैनलों को आप देखें, सुनें तो अंदाजा हो जाएगा कि हुक्मरानों के खिलाफ आम आदमी के भीतर कितना गुस्सा है। फौज को लेकर कितनी नफरत है।
ये चैनल उन मदरसों को भी बेनकाब करते हैं जो पाकिस्तान में जहालत फैला रहे हैं। इन मदरसों के बच्चों को अभी-अभी बताया गया है कि चांद पर जाना हराम है। ये धरती को चपटा मानते हैं और इन्हें सिखाया गया है कि धरती स्थिर है और सूरज इसके चारों ओर घूमता है। इन्हें पढ़ाया गया है कि चांद को रौशनी के लिए बनाया गया है।
जरा सोचिए कि बच्चों को इस तरह जाहिल बनाया जाएगा तो वह देश विज्ञान के क्षेत्र में तरक्की के बारे में सोच भी कैसे सकता है? बहरहाल, सवाल यह है कि गरीबी, भुखमरी और जहालत से जूझ रहे पाकिस्तान में क्या सोशल मीडिया विद्रोह की चिंगारी फैला पाने में सफल हो पाएगा? वक्त का इंतजार कीजिए, सोशल मीडिया अपना काम बखूबी कर रहा है।