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अवधेश कुमार का ब्लॉगः आतंकवाद विरोधी लड़ाई की बड़ी सफलता

By अवधेश कुमार | Updated: October 30, 2019 09:39 IST

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा टीवी पर लाइव प्रसारण के दौरान बगदादी की मौत की घोषणा किए जाने पर पूरी दुनिया ने राहत की सांस ली. बगदादी की तरह का क्रूर और वहशी आतंकवादी सरगना दुनिया ने इससे पहले शायद नहीं देखा था.

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अमेरिका ने अन्य नामी आतंकवादियों को भी मौत के घाट उतारा है जिसमें मुल्ला उमर से लेकर ओसामा का बेटा हमजा बिन लादेन शामिल हैं, किंतु 2 मई 2011 को ओसामा और अब 27 अक्तूबर को बगदादी को मार डालना इतिहास का ऐसा अध्याय है जिसे आतंकवाद विरोधी युद्ध की सबसे बड़ी सफलता के रूप में याद किया जाएगा. 

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा टीवी पर लाइव प्रसारण के दौरान बगदादी की मौत की घोषणा किए जाने पर पूरी दुनिया ने राहत की सांस ली. बगदादी की तरह का क्रूर और वहशी आतंकवादी सरगना दुनिया ने इससे पहले शायद नहीं देखा था.

 बगदादी के नेतृत्व वाला आईएस पहला आतंकवादी संगठन था जिसने इराक और सीरिया में 88 हजार वर्ग किमी तक के इलाके को नियंत्रित किया हुआ था. इराक के 40 प्रतिशत हिस्से पर इसका कब्जा था. अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा था जिसका स्रोत अल-कायदा था. ओसामा बिन लादेन ने स्वयं को खलीफा घोषित नहीं किया था. 

बगदादी इसीलिए अल-कायदा से अलग हुआ क्योंकि वह जल्दी से खिलाफत का लक्ष्य हासिल करना चाहता था. बगदादी अपने इलाके में उसी तरह शासन, संघर्ष और व्यवहार कर रहा था जैसा हमने मध्यकालीन इतिहास में पढ़ा है. बगदादी ने कब्जे के दौरान बड़े पैमाने पर नरसंहार करवाया और इनका वीडियो दहशत फैलाने के लिए सोशल मीडिया पर डाल दिया. 

2014 में इराक के सिंजार क्षेत्न पर कब्जा करने के बाद उसका वहशीपन दुनिया के सामने आया जब उसने यजीदी धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय की हजारों महिलाओं और लड़कियों को बंधक बनाया और उन्हें यौन गुलाम बनने के लिए मजबूर किया. बाजार लगाकर उन्हें बेचते हुए वीडियो जारी किया. पंक्तियों में खड़ा कर जिस क्रूरता से वह विरोधियों की हत्याएं करता था, उसकी कल्पना से ही सिहरन होती है.

निस्संदेह इराक और सीरिया से आईएस की पराजय एवं बगदादी के अंत के साथ आधुनिक दुनिया में क्रूरता के एक अध्याय का अंत हुआ है. इसे आतंकवाद को अब तक का सबसे बड़ा धक्का कह सकते हैं. किंतु आतंकवाद का खतरा खत्म हो गया ऐसा मानना गलत होगा. अभी भी आईएस आतंकवादी हैं. आईएस नाइजीरिया से लेकर फिलीपींस तक सक्रिय है. जैसे ओसामा मरने के बावजूद आतंकवादियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है, बगदादी का प्रभाव उससे ज्यादा है. 

बगदादी ने संघर्ष में अपने प्रवक्ता से लोन वुल्फ यानी अकेले जो भी संसाधन मिले उसी से हमला करने का जो बयान दिलवाया वह पूरी दुनिया में फैल चुका है. अनेक देश उसके शिकार हुए हैं. आईएस के सहयोगी संगठन मिस्र और लीबिया में भी हमले करते रहे हैं. इस तरह खतरा अभी भी है. हां, बगदादी के मारे जाने के बाद उस तरह का आकर्षण और हिंसा की प्रेरणा का जिंदा स्रोत अवश्य खत्म हो गया है.

टॅग्स :आतंकवादीआईएसआईएसअमेरिकाडोनाल्ड ट्रंप
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