Bangladesh Violence: मुझे यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि बांग्लादेश में कट्टरपंथी ताकतें इस वक्त भारत के खिलाफ भयानक आग उगल रही हैं. भारतीय उच्चायोग की सुरक्षा खतरे में है. एक दिन के लिए वीजा आवेदन केंद्रों को बंद भी करना पड़ा. नई दिल्ली में बांग्लादेशी उच्चायुक्त रियाज हमीदुल्लाह को तलब करके भारत ने अपनी चिंता सख्त स्वरों में बता दी है. लेकिन ऐसा लगता है कि वहां के प्रमुख मोहम्म यूनुस हालात को और बिगाड़ने पर आमादा हैं. यूनुस ने फरवरी में चुनाव की घोषणा की है लेकिन इसी बीच उस शरीफ उस्मान हादी को नकाबपोशों ने गोली मार दी जो शेख हसीना के खिलाफ आंदोलन में प्रमुख चेहरा था. अब कहा जा रहा है कि उसकी हत्या करने वाले भारत भाग गए हैं. इसी बात को लेकर कट्टरपंथियों ने कोहराम मचा दिया है.
यहां तक कि एक हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई और उसके शव को पेड़ से लटका कर आग लगा दी गई मगर मो. यूनुस ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है. कट्टरपंथ के खिलाफ आवाज उठाने वाले दो अखबारों प्रथम आलो और डेली स्टार के दफ्तरों को आग के हवाले कर दिया गया. इस मामले में चुप्पी संदेह के घेरे में है.
दोनों अखबारों पर आरोप चस्पा कर दिया गया है कि वे भारत समर्थक हैं. दरअसल कट्टरपंथी चाहते हैं कि आग इतनी भड़का दी जाए कि भारत की बात कोई सुने ही नहीं. शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित करवा दिया गया है. इस बीच भारत ने कहा है कि उसके पड़ोस में निष्पक्ष व समावेशी चुनाव होना चाहिए.
समावेशी शब्द पर मो. यूनुस बौखलाए हुए हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि समावेशी का मतलब है कि अवामी लीग को भी चुनाव मैदान में होना चाहिए. जरा सोचिए कि बांग्लादेश को भारत ने पाकिस्तान के चंगुल से निकाल कर नए देश के रूप में जन्म दिया, उसी बांग्लादेश में खुलेआम भारत को तोड़ने के ख्वाबों का इजहार किया जा रहा है.
भ्रष्टाचार और तमाम तरह के आरोपों का दागी रिटायर्ड ब्रिगेडियर जनरल अब्दुल्लाहिल अमान आजमी बार-बार दोहराता है कि बांग्लादेश में शांति तभी आएगी जब भारत टुकड़ों में बंटेगा, नेशनल सिटिजन पार्टी का चीफ ऑर्गेनाइजर (दक्षिण), हसनत अब्दुल्लाह कहता है कि बांग्लादेश भारत के सेवेन सिस्टर्स (अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड और त्रिपुरा) को भारत से अलग कर देगा,
पहलगाम हमले के बाद रिटायर्ड मेजर जनरल फजलुर रहमान कहता है कि यदि भारत ने पाकिस्तान पर हमला किया तो चीन और पाकिस्तान के साथ मिलकर बांग्लादेश को सेवेन सिस्टर्स पर कब्जा कर लेना चाहिए और यूनुस मौन धारण किए रहते हैं? नहीं, वो मौन धारण नहीं किए बैठे हैं. आग लगाने वालों में वे खुद शामिल हैं. क्योंकि पाकिस्तान के असली पिट्ठू तो वही हैं.
आपको याद ही होगा कि चीन जाकर उन्होंने खुद कहा था कि भारत के सात राज्यों का अभिभावक बांग्लादेश है क्योंकि ये राज्य लैंड लॉक्ड हैं, और चीन को बांग्लादेश में अपना व्यापार फैलाना चाहिए. अब ऐसे बेवकूफी भरे बयानों पर आप क्या कहेंगे? उन्हें कौन याद दिलाए कि बांग्लादेश की 94 प्रतिशत सीमा भारत से लगती है और उसी को धमकाने की कोशिश कर रहे हैं?
ये मोे. यूनुस की सोची-समझी चाल है कि भारत के खिलाफ इतना जहर घोल दिया जाए कि कट्टरपंथी ताकतें बांग्लादेश में चुनकर आएं और फिर सत्ता पाकिस्तानी हैंडलर्स के पास चली जाए. मैं जब हैंडलर्स शब्द का उपयोग कर रहा हूं तो इसमें पाकिस्तानी आर्मी, खुफिया एजेंसी आईएसआई और पूरे पाकिस्तान में फैले आतंकी संगठन शामिल हैं.
अभी जो भारत के विरोध में वहां हालात पैदा किए जा रहे हैं, उसका कारण कट्टरपंथियों का यह डर है कि ऐसे लोग चुनकर न आ जाएं जो शेख हसीना से हमदर्दी रखते हैं. शेख हसीना ने अपने कार्यकाल में इस्लामी कट्टरपंथियों की जबर्दस्त नकेल कस रखी थी और पाकिस्तान को तो उन्होंने पास भी नहीं फटकने दिया.
अब आतंकवादियों को पालने वालों ने उनके लिए ही मौत की व्यवस्था कर दी है लेकिन शेख हसीना तो हाथ आएंगी नहीं! वो तो दिल्ली में हैं! बांग्लादेश मांग कर रहा है कि शेख हसीना को उसे सौंप दिया जाए लेकिन सवाल है कि क्यों? दोस्त से दगाबाजी भारत के खून में नहीं है. हम शेख हसीना के साथ खड़े हैं औैर खड़े रहेंगे.
कट्टरपंथी चाहते हैं कि भारत को भयभीत किया जाए. इसीलिए ढाका में भारतीय उच्चायोग की ओर प्रदर्शनकारियों ने मार्च किया था. उनका इरादा उच्चायोग को तहस-नहस करने का था जिस तरह कि पाकिस्तान में 1979 में अमेरिकी दूतावास को आग के हवाले कर दिया गया था.
ढाका में आईएसआई उसी फिराक में है लेकिन मौजूदा दौर में बांग्लादेश की कमान थामे लोगों को समझ लेना चाहिए कि भारत भीतर तक घुस कर ठोंकने की ताकत रखता है. हम आतंकवादियों को निपटाना जानते हैं. तुम चाहे अमेरिका के पल्लू में छिपो, चीन की गोद में बैठो या पाकिस्तानियों से जुगलबंदी करो, तुम्हें बचाने कोई नहीं आएगा. तुम्हारी भलाई इसी में है कि अपनी औकात में रहो!
चलते चलते...
मैं अभी-अभी दिल्ली से लौटा हूं और वहां की आबोहवा को लेकर खासा परेशान हूं. दिल्ली के कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स 600 को पार कर गया है. एक्यूआई यदि 100 से ज्यादा हो तो हवा को अस्वास्थ्यकर माना जाता है. जरा सोचिए कि दिल्ली किस हाल में है. मेरे मन में बार-बार यह सवाल पैदा हो रहा है कि वैज्ञानिक दृष्टि से भारत इतना सक्षम हो चुका है तो क्या हम इस स्मॉग का कोई उपाय नहीं ढूंढ़ सकते? क्या लोगों को यूं ही मरने के लिए छोड़ दिया गया है?