Bangladesh News Live Updates: 5 अगस्त 2024 ही नहीं 25 फरवरी 2009 को भी पीएम शेख हसीना को ऐसी ही स्थिति...

By हरीश गुप्ता | Updated: August 15, 2024 13:22 IST2024-08-15T13:21:58+5:302024-08-15T13:22:53+5:30

Bangladesh News Live Updates: प्रधानमंत्री की मंजूरी मिलने के बाद प्रणब मुखर्जी ने कैबिनेट सुरक्षा समिति की बैठक बुलाई और भारत ने उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपने सैनिकों को ढाका भेजने का फैसला किया.

Bangladesh News Live Updates PM Sheikh Hasina Army alert help Hasina Not only 5 August 2024, but also 25 February 2009 face similar situation blog harish gupta | Bangladesh News Live Updates: 5 अगस्त 2024 ही नहीं 25 फरवरी 2009 को भी पीएम शेख हसीना को ऐसी ही स्थिति...

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Highlightsसरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण लागू करने की घोषणा की थी.बीएनपी और जमात का समर्थन पाने वाले छात्र उनका इस्तीफा मांग रहे थे. भारत के लिए भी मुश्किल समय था क्योंकि वह अभी-अभी 26/11 के हमलों से उबरा था.

Bangladesh News Live Updates: 5 अगस्त 2024 को बांग्लादेश में जो हुआ, वह कोई नई बात नहीं है. 25 फरवरी 2009 को भी बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ा था और उन्होंने ‘काका बाबू’ को फोन करके तत्काल भारतीय मदद मांगी थी, क्योंकि बांग्लादेश राइफल्स (बीडीआर) के अधिकारियों ने विद्रोह कर दिया था और सेना दुविधा में थी. वह प्रणब मुखर्जी को ‘काका बाबू’ कहकर बुलाती थीं जो मनमोहन सिंह सरकार में वित्त मंत्री थे. मुखर्जी कैबिनेट का अस्थायी प्रभार संभाल रहे थे क्योंकि प्रधानमंत्री एक महीने पहले गंभीर हृदय शल्य चिकित्सा के बाद बिस्तर पर आराम कर रहे थे. प्रधानमंत्री की मंजूरी मिलने के बाद प्रणब ने कैबिनेट सुरक्षा समिति की बैठक बुलाई और भारत ने उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपने सैनिकों को ढाका भेजने का फैसला किया.

भारत ने 26 फरवरी की शाम तक पश्चिम बंगाल के कलाईकुंडा वायुसेना स्टेशन पर 1000 पैराट्रूपर्स तैनात किए और बांग्लादेश में लैंडिंग ऑपरेशन का नेतृत्व करने के लिए एक बटालियन तैयार की. 2009 में छात्रों के विरोध प्रदर्शन की वजह यह भी थी कि आम चुनावों के जरिये प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद शेख हसीना ने ‘मुक्ति-योद्धाओं’ (1971 की आजादी की लड़ाई लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानी) के बच्चों और नाती-पोतों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण लागू करने की घोषणा की थी.

बीएनपी और जमात का समर्थन पाने वाले छात्र उनका इस्तीफा मांग रहे थे. ये खुलासे सामरिक मामलों के वरिष्ठ विशेषज्ञ अविनाश पालीवाल ने अपनी किताब ‘इंडियाज नियर ईस्ट : ए न्यू हिस्ट्री’ में किए हैं और वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने भी इसकी पुष्टि की है. यह भारत के लिए भी मुश्किल समय था क्योंकि वह अभी-अभी 26/11 के हमलों से उबरा था.

दक्षिण में श्रीलंका का गृह युद्ध अपने अंतिम चरण में था. भारत पूर्व में एक और युद्ध नहीं झेल सकता था और लोकसभा चुनाव घोषित होने वाले थे. लेकिन मिशन सम्पन्न हुआ और हसीना विद्रोह से बच गईं. लेकिन 2024 में अलग ही हुआ.

उद्धव के मुख्यमंत्री बनने का सवाल

जब शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे राष्ट्रीय राजधानी के तीन दिवसीय दौरे पर थे, तो उनका मिशन मुख्यमंत्री पद के पेचीदा मुद्दे पर सहयोगियों के साथ स्वतंत्र और स्पष्ट चर्चा करना था. राकंपा प्रमुख शरद पवार ने संजय राऊत के सफदरजंग लेन स्थित आवास पर उद्धव ठाकरे से मुलाकात करके अपनी पसंद का स्पष्ट संकेत दिया, लेकिन कांग्रेस नेतृत्व का सार्वजनिक रुख दुविधापूर्ण रहा.

महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं ने पार्टी हाईकमान को बताया था कि एमवीए का मुख्यमंत्री पद का चेहरा उसी के नाम पर तय होना चाहिए जो सबसे ज्यादा विधानसभा सीटें जीते. लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बाद राज्य कांग्रेस नेतृत्व ने अपना रुख कड़ा कर लिया और दावा किया कि उसी अनुपात में ज्यादा से ज्यादा विधानसभा टिकट दिए जाने चाहिए.

शिवसेना नेताओं ने कहा कि महायुति एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में चुनाव लड़ रही है और अगर यही रणनीति अपनाई जाती है तो इससे एमवीए को भी मदद मिल सकती है. हालांकि, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी महाराष्ट्र के लिए अपनी रणनीति को लेकर बहुत स्पष्ट हैं. उन्होंने संकेत दिया कि एमवीए का पहला मिशन महायुति को हर कीमत पर हराना है.

वह इस बात पर जोर नहीं दे रहे हैं कि मुख्यमंत्री कांग्रेस से ही होगा. अनौपचारिक रूप से, उद्धव ठाकरे को बताया गया है कि पार्टी सैद्धांतिक रूप से उनके सीएम बनने पर सहमत है. लेकिन अभी उन्हें मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने से एमवीए को कोई मदद नहीं मिलेगी. यह भी तय किया गया है कि एमवीए संयुक्त रैलियां करेगा और निकट समन्वय में काम करेगा.

हां अगर इससे गठबंधन को महत्वपूर्ण बढ़त हासिल करने में मदद मिलती है तो उद्धव ठाकरे को एमवीए का सीएम चेहरा भी घोषित किया जा सकता है. कुछ सर्वेक्षणों के अनुसार, एमवीए ने संकेत दिया है कि एमवीए 288 में से 165-170 सीटें जीत रहा है. भागीदारों को टिकट देने का मुद्दा जीतने की क्षमता के आधार पर होगा.

नए संसद परिसर से एनडीए सांसद भी नाराज

सरकार भले ही नए संसद भवन को लेकर उत्साहित हो और विपक्षी नेताओं की असहमति की आवाजों की परवाह किए बिना इसे वास्तुकला की उत्कृष्ट कृति के रूप में प्रदर्शित कर रही हो, लेकिन बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (बीएसी) का हिस्सा रहे सत्तारूढ़ गठबंधन के कुछ सांसदों ने शौचालयों की पर्याप्त संख्या की कमी की ओर इशारा किया है और कहा है कि कई बार कतारें लग जाती हैं.

यह भी महसूस किया गया है कि ब्रेक के समय भोजन या हल्के नाश्ते के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. उन्हें आश्चर्य है कि जब लोकसभा की सदस्य संख्या कम से कम 150-200 सांसदों तक बढ़ जाएगी और उन्हें पर्याप्त बुनियादी सुविधाएं नहीं मिलेंगी, तब क्या होगा.

जहां पत्रकार पहले से ही संसद के केंद्रीय कक्ष और अन्य क्षेत्रों में उनके प्रवेश और राजनीतिक बातचीत पर प्रतिबंध के बारे में शिकायत कर रहे हैं, वहीं अब सांसद भी इसमें शामिल हो रहे हैं. सुरक्षा और अन्य कारणों से पूर्व सांसदों और अन्य पूर्व गणमान्य व्यक्तियों के प्रवेश पर पहले ही प्रतिबंध लगा दिया गया है.

यह बताया गया है कि सांसदों की कैंटीन ठीक से खाना खाने और आराम से बैठने के लिए उपयुक्त नहीं है. नए संसद भवन परिसर में सांसदों के बीच भी राजनीतिक चर्चा संभव नहीं है. ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार इन मुद्दों से निपटने का रास्ता ढूंढ़ने की कोशिश कर रही है.

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