Bangladesh Muhammad Yunus: बांग्लादेश की राजनीति में इस वक्त एक बड़ी आशंका पैदा हो रही है कि क्या मो. यूनुस खुद को बांग्लादेश का पहला तानाशाह बनाने के लिए परिस्थितियां और भूमिका तैयार कर रहे हैं? आशंका इसलिए जन्म ले रही है कि वे चुनाव टालने का हर नुस्खा आजमा रहे हैं. भारत-बांग्लादेश सीमा पर बेवजह की तनातनी इस आशंका को और मजूबत बनाती है. यूनुस चाहते हैं कि विवाद बढ़े और लोगों का ध्यान चुनाव की मांग से भटकाया जा सके. उनकी मंशा को बांग्लादेशी समझने लगे हैं. इसलिए नाराजगी बढ़ रही है.
यूनुस ने सत्ता संभालने के तत्काल बाद कहा था कि जल्दी ही बांग्लादेश में चुनाव करा लिए जाएंगे. बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी को यह उम्मीद जगी कि शेख हसीना के सत्ता से जाने के बाद उसका रास्ता साफ है. यूनुस ने उन्हें जेल से रिहा भी कर दिया लेकिन कुछ ही दिनों बाद गंभीर बीमारी की वजह से वे लंदन चली गईं. अब यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या वे लंदन से लौटेंगी?
क्या राजनीति में सक्रिय होंगी? यदि वे नहीं लौटती हैं तो इसका मतलब है कि यूनुस के लिए मैदान खाली है. दो कद्दावर नेताओं में से कोई भी उन्हें चुनौती देने के लिए अब मौजूद नहीं है लेकिन हकीकत यह है कि वे चुनाव होने ही नहीं देना चाहते हैं. शेख हसीना की पार्टी को उन्होंने तबाह कर दिया है. इधर खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी हालांकि लगातार मांग कर रही है कि चुनाव जल्दी से जल्दी कराए जाएं लेकिन यूनुस बहाने बना रहे हैं. अब उन्होंने और उनके लोगों ने एक नया पेंच डाल दिया कि मतदान की उम्र को 18 साल से घटाकर 17 साल किया जाना चाहिए.
इसका मतलब है कि नए सिरे से मतदाता सूची तैयार की जाएगी और फिर चुनाव की बात आएगी. इसमें अगले कई साल लग सकते हैं. बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने मतदान के लिए उम्र कम करने का विरोध किया है. माना यह जा रहा है कि यूनुस ने सत्ता संभालने के बाद यह तय कर लिया था कि फिलहाल चुनाव नहीं कराना है.
राजनीति में उनकी खुद की रुचि रही है. करीब 18 साल पहले उन्होंने कोशिश भी की थी लेकिन असफल हो गए थे. अब बिल्ली के भाग्य से छींका फूटा है और सत्ता सुख मिला है तो अपने पास से क्यों जाने दिया जाए? उनके भीतर तानाशाही के बीज पहले से रहे होंगे जो अब अंकुरित होने के लिए बेताब हैं. सत्ता में बने रहने के लिए चुनाव टालना ही सबसे बेहतर रास्ता है.
खुद को मजबूत करने के लिए सबसे पहले उन्होंने पाकिस्तान को अपने साथ लिया. वे यह भी भूल गए कि इसी पाकिस्तान के तानाशाहों और सैनिकों ने बांग्लादेश में नरसंहार किया था और वहां की महिलाओं की अस्मत लूटी थी. पाकिस्तान को साथ लेते ही उन्होंने उस भारत को आंखें दिखाना शुरू कर दिया जिसकी बदौलत बांग्लादेश का जन्म हुआ.
उनके सत्ता संभालते ही बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले शुरू हो गए और वे निर्लज्ज भाव से इनकार करते रहे. इतना ही नहीं वे भारत को धमकाने की कोशिश भी करते रहे. उनके सेना अध्यक्ष वकार-उज-जमां ने यहां तक कह दिया कि अब भारत से आमने-सामने और बराबरी के स्तर पर बात होगी. यह भाषा बताती है कि यूनुस और उनके संगी-साथी चाहते हैं कि भारत किसी तरह नाराज हो.
वे भारत को नाराज करने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं. जहरबुझी बयानबाजी से जब काम नहीं चला तो उन्होंने भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर हरकतें शुरू कर दीं. बीजीबी के नाम से पहचाने जाने वाले बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश ने सीमावर्ती इलाके में गुंडे मवालियों की सहायता से भारत के भीतर घुस कर रात में भारतीयों की फसलें कटवा दीं. एक जगह नहीं बल्कि कई जगह ऐसी घटनाओं को अंजाम दिया गया.
भारत-बांग्लादेश के बीच 4096 किलोमीटर लंबी सीमा है. अकेले पश्चिम बंगाल के साथ 2217 किलोमीटर की सीमा है. सीमा पर कंटीले तार लगाने का काम वर्षों से चल रहा है लेकिन अभी भी बहुत बड़ा इलाका खुला हुआ है. पश्चिम बंगाल से लगे इन्हीं खुले इलाकों में इन दिनों बांग्लादेशी उपद्रव कर रहे हैं.
उनकी चाहत है कि इससे भारत की बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स अपना आपा खो दे और हालात गंभीर तनाव का रूप ले ले. यदि ऐसा वास्तव में हो जाए तो बांग्लादेश के लोगों को भड़काया जा सकेगा कि भारत समस्या पैदा कर रहा है. एक बार लोग भारत के खिलाफ हो गए तो उस भावना का उपयोग करके चुनाव को टाला जा सकता है.
दरअसल इसी बहाने पाकिस्तान भी बांग्लादेश के कंधे पर बंदूक रखकर भारत को निशाना बनाना चाहता है. पूर्वोत्तर भारत की सीमा को चीन भी अस्थिर करने की लगातार कोशिश कर रहा है. पूर्वोत्तर के उग्रवादियों को चीन लगातार हथियार पहुंचा रहा है. यदि बांग्लादेश की सीमा पर भी स्थिति खराब होती है तो भारत के लिए एक और गंभीर समस्या खड़ी हो जाएगी.
यूनुस की एक और हरकत पर नजर डालिए तो आपको उनकी धूर्तता का अंदाजा हो जाएगा. हाल ही में उनके एक बेहद करीबी सलाहकार महफूज आलम ने सार्वजनिक तौर पर कहा कि भारत के कुछ इलाके बांग्लादेश में शामिल होने चाहिए.
इस तरह की बातों का बस एक ही उद्देश्य है कि किसी तरह भारत नाराज हो, तूफान पैदा हो और फिर यूनुस बांग्लादेशियों से कह सकें कि देश खतरे में है इसलिए अभी चुनाव की बात मत कीजिए! दुनिया का इतिहास उठा कर देखिए, तानाशाह ऐसी ही चाल चलते हैं. यूनुस में भी तानाशाह बनने के लक्षण दिखाई दे रहे हैं.