अवधेश कुमार का ब्लॉगः बांग्लादेश में अपेक्षित थे परिणाम

By अवधेश कुमार | Updated: January 4, 2019 15:28 IST2019-01-04T15:28:50+5:302019-01-04T15:28:50+5:30

विपक्षी गठबंधन इस पर हायतौबा मचा रहा है. एनयूएफ के संयोजक ने चुनाव परिणामों को अस्वीकार करते हुए चुनाव आयोग से फिर से चुनाव कराने की मांग कर दी.

Avadhesh Kumar's blog: The results were expected in Bangladesh | अवधेश कुमार का ब्लॉगः बांग्लादेश में अपेक्षित थे परिणाम

फाइल फोटो

बांग्लादेश के आम चुनाव में प्रधानमंत्नी शेख हसीना की अवामी लीग ने जिस तरह की जीत हासिल की है वह उन सबको अचंभित कर गया है जो वहां की राजनीति पर गहराई से नजर नहीं रख रहे थे. पाकिस्तान तो इस चुनाव परिणाम से सकते में आ गया है. पाकिस्तान की आईएसआई वहां शेख हसीना की पार्टी को पराजित करना चाहती थी और उसने बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी या बीएनपी सहित उसके गठजोड़ में शामिल कट्टरपंथी समूहों को मदद करने की पूरी कोशिश की.

बांग्लादेश सरकार ने बाजाब्ता मतदान से 21-22 दिन पहले ढाका स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग पर दखल देने और चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने का आरोप लगाया था. संसदीय लोकतंत्न में लगातार तीसरी बार जीत और वह भी 298 सीटों के परिणाम में 288 सीटें हासिल कर लेना दुनिया की असाधारण विजयों में से एक है.  

विपक्षी गठबंधन इस पर हायतौबा मचा रहा है. एनयूएफ के संयोजक ने चुनाव परिणामों को अस्वीकार करते हुए चुनाव आयोग से फिर से चुनाव कराने की मांग कर दी.

बीएनपी के जनरल सेक्रेटरी मिर्जा फखरुल आलमगीर ने चुनावों को क्रूर मजाक बताया. इस समय बीएनपी की कमान उनके ही हाथों है. किंतु चुनाव आयोग इससे सहमत नहीं हुआ. आयोग ने स्वीकार किया कि देशभर में हिंसा की 100 शिकायतें मिली हैं. आम चुनाव के बीच हुई हिंसा में एक सुरक्षाकर्मी समेत 18 लोगों के मारे जाने की खबर है. बांग्लादेश के चुनावी इतिहास को देखते हुए इतनी हिंसा ज्यादा नहीं है.

 वैसे भी बांग्लादेश की राजनीति में ऐसा विपक्ष बचा कहां है जिसे आप विचारों पर आधारित प्रतिपक्षी राजनीतिक दल कह सकें. पूर्व प्रधानमंत्नी बेगम खालिदा जिया को भ्रष्टाचार के मामले में न्यायालय सजा सुना चुकी है और वो जेल में हैं. उनका स्वास्थ्य भी खराब है.

बहरहाल, यह परिणाम बांग्लादेश के हित में तो है ही, भारत के लिए भी पूरी तरह अनुकूल है. शेख हसीना स्वयं लंबे समय तक भारत में रही हैं. भारत के साथ उनका सहयोगात्मक व्यवहार रहा है. प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी और हसीना के बीच व्यक्तिगत संबंध भी मधुर हैं. बीएनपी का एजेंडा हमेशा भारत विरोधी था. खालिदा जिया ने पाकिस्तान को बहुत ज्यादा महत्व देना आरंभ कर दिया था. उनके काल में आतंकवादियों तक को संरक्षण प्राप्त था. उनकी पार्टी का अंत दक्षिण एशिया के हित में है. अब जब चौथी बार हसीना प्रधानमंत्नी बन चुकी हैं, भारत का भी दायित्व है कि उनके साथ किए वादे पूरे हों.

Web Title: Avadhesh Kumar's blog: The results were expected in Bangladesh

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