मुत्ताकी से पूछिए कि लड़कियों को स्कूल क्यों नहीं जाने देते?

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: October 9, 2025 20:03 IST2025-10-09T20:03:04+5:302025-10-09T20:03:04+5:30

तालिबान के विदेश मंत्री को यह स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए कि अफगानिस्तान की आधी आबादी के साथ जो दुर्दांत रवैया उन्होंने अपना रखा है, वह किसी भी रूप में स्वीकार नहीं है.

Afghanistan's Foreign Minister Amir Khan Muttaqi Girl Education issue in Taliban state | मुत्ताकी से पूछिए कि लड़कियों को स्कूल क्यों नहीं जाने देते?

मुत्ताकी से पूछिए कि लड़कियों को स्कूल क्यों नहीं जाने देते?

अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी गुरुवार को भारत तशरीफ ला रहे हैं. वैसे तो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने उन्हें आतंकवादियों की सूची में डाल रखा है लेकिन भारत आने के लिए उन्हें अनुमति मिल गई. यह कहना जरा मुश्किल है कि वे भारत क्यों आ रहे हैं. उनकी मंशा क्या है और भारत उनसे क्या चाहता है. हालात का विश्लेषण करें तो भारत और अफगानिस्तान, दोनों को ही एक दूसरे की जरूरत है. 

तालिबान और पाकिस्तान में इस वक्त दुश्मनी जड़ें जमा चुकी है और भारत के साथ अफगानियों का पुराना प्यार है. आज भी अफगानिस्तान में भारतीयों को अपना माना जाता है. ये सारी बातें अच्छी हैं. तालिबान का भी भारत के प्रति रवैया ठीक ही रहा है लेकिन असली सवाल यह है कि तालिबान ने अफगानिस्तान में जिस तरह से लड़कियों की शिक्षा पर पाबंदी लगा दी है, वह बेहद अमानवीय है. 

लड़कियां वहां माध्यमिक स्तर की पढ़ाई भी नहीं कर सकतीं. 25 लाख से ज्यादा बच्चियां पढ़ना चाहती हैं लेकिन तालिबान इसकी इजाजत नहीं देता. यहां तक कि छिप-छिपाकर यदि लड़कियों को बढ़ाने की कोशिश की जाती है तो उसे कड़ा दंड दिया जाता है. कई बार मौत के घाट भी उतार दिया जाता है. दुनिया के तमाम देश तालिबान की इस हरकत का विरोध करते रहे हैं लेकिन तालिबान सुनने को तैयार नहीं है. 

वह इस बात से घबराता है कि लड़कियां यदि पढ़-लिख जाएंगी तो समाज को जाहिल बनाए रखना मुश्किल होगा. तालिबान जैसा संगठन जहालत की बुनियाद पर ही फलता-फूलता है. लड़कियों को शिक्षा से वंचित करना एक बड़ा कारण है जिससे दुनिया के अन्य देश तालिबान शासन को मान्यता नहीं दे रहे हैं. अभी केवल रूस ही ऐसा देश है जिसने तालिबानी शासन को मान्यता दी है. यहां तक कि पाकिस्तान और चीन ने भी मान्यता नहीं दी है. 

भारत ने भी इस मामले से खुद को दूर ही रखा है लेकिन भौगोलिक कारणों से अफगानिस्तान के साथ दोस्ती बनाए रखना भारत की जरूरत है. निश्चित रूप से इस दिशा मे भारत ने कदम उठाए हैं और उसके बेहतर परिणाम भी दिख रहे हैं लेकिन भारत को उन लड़कियों के प्रति भी अपनी जिम्मेदारी का एहसास होना चाहिए जिनकी जिंदगी तालिबान ने तबाह कर रखी है. 

तालिबान जब पहली बार सत्ता में आया था तब भी उसने शरिया शासन के नाम पर लड़कियों को घरों में कैद कर दिया था. दूसरी बार भी उसने यही किया है. दुनिया को यह समझना होगा कि केवल राजनीतिक फायदे के लिए हर कदम नहीं उठाया जाता. कुछ कदम इंसानियत के लिए भी उठाना चाहिए. तालिबान के विदेश मंत्री को यह स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए कि अफगानिस्तान की आधी आबादी के साथ जो दुर्दांत रवैया उन्होंने अपना रखा है, वह किसी भी रूप में स्वीकार नहीं है.

Web Title: Afghanistan's Foreign Minister Amir Khan Muttaqi Girl Education issue in Taliban state

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