ब्लॉग: आदित्य-एल-1, सूर्य को जानने की जिज्ञासा है

By प्रमोद भार्गव | Published: August 28, 2023 10:44 AM2023-08-28T10:44:52+5:302023-08-28T10:51:05+5:30

चंद्रयान-3 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतारने के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अपने आदित्य-एल-1 को सूर्य की कक्षा में पहुंचाने के अभियान में जुट गया है।

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फाइल फोटो

Highlightsइसरो चंद्रयान-3 के बाद आदित्य-एल-1 को सूर्य की कक्षा में पहुंचाने के अभियान में जुट गया हैइसरो 2 सितंबर को आदित्य-एल-1 को प्रक्षेपित करेगायदि अभियान सफल रहता है तो भारत सूर्य का अध्ययन करने वाला विश्व में चौथा देश हो जाएगा

चंद्रयान-3 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतारने के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अपने आदित्य-एल-1 को सूर्य की कक्षा में पहुंचाने के अभियान में जुट गया है। इस यान को 2 सितंबर को प्रक्षेपित किया जाएगा। यदि इस अभियान में भारत सफल हो जाता है तो वह सूर्य का अध्ययन करने वाला चौथा देश हो जाएगा।

इसके पहले अमेरिका, रूस और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी सूर्य पर शोध कर चुके हैं। इस अभियान का लक्ष्य सूर्य के प्रकाश मंडल (फोटोस्फेयर) और कोरोनामंडल (क्रोमोस्फेयर) के बीच की परत की गतिशीलता, तापमान, कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) और अंतरिक्ष मौसम समेत कई दूसरे पहलुओं का वैज्ञानिक अध्ययन करना है।

आदित्य एल सात पेलोड विद्युत चुंबकीय और चुंबकीय क्षेत्र परखने वाले उपकरण अपने साथ लेकर जाएगा। ये उपकरण सूर्य के अध्ययन के उद्देश्य को पूरा करेंगे। यह अभियान शत-प्रतिशत स्वदेशी है और इसके प्रक्षेपण में करीब चार माह लगेंगे।

यह पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर एक विशेष स्थान लैंग्रेज बिंदु-1 पर पहुंचेगा। यहां पृथ्वी और सूर्य के गुरुत्वाकर्षण बल खत्म हो जाते हैं। अतएव यहां शोध के अध्यन के लिए आदित्य-एल को ज्यादा ऊर्जा की जरूरत नहीं पड़ेगी इसलिए इसे सूरज के विकिरण पराबैंगनी और एक्स किरणों तथा सूरज से निकलने वाली तीव्र ज्वालाओं का पृथ्वी के वायुमंडल पर क्या असर पड़ता है, यह जान लेने में आसानी होगी।

आदित्य जिन सात पेलोड को अपने साथ लेकर जाएगा वे  सीधे सूर्य की गतिविधियों और कार्यप्रणाली पर नजर रखेंगे। तीन पेलोड सूर्य से निकलने वाली लपटों, उनमें अंतर्निहित कणों, सौर विकरण का अध्ययन करते हुए निष्कर्ष व आंकड़े इसरो को भेजेंगे। एल-1 बिंदु पर अध्ययन करने वाला यह विश्व का दूसरा अभियान है। इसके पहले 1995 में यूरोपियन अंतरिक्ष एजेंसी ने सोलर तथा हीलियोस्पोरी आब्जर्वेटरी इसी लैंग्रेज बिंदु पर भेजा था।

Web Title: Blog: Aditya-L-1, Curiosity about the Sun

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