ब्लॉग: धन, गुणों और सहयोग की विलक्षण शक्ति देवी लक्ष्मी

By नरेंद्र कौर छाबड़ा | Updated: November 1, 2024 06:43 IST2024-11-01T06:43:45+5:302024-11-01T06:43:48+5:30

इसका कारण है कि वह अंधविश्वासों, रूढ़िवादिता के जाल में फंस चुका है और उसे तोड़ने का साहस उसमें नहीं है

Goddess Lakshmi unique power of wealth virtues and cooperation | ब्लॉग: धन, गुणों और सहयोग की विलक्षण शक्ति देवी लक्ष्मी

ब्लॉग: धन, गुणों और सहयोग की विलक्षण शक्ति देवी लक्ष्मी

हमारे देश के सभी त्यौहारों को मनाने के पीछे बहुत अलौकिक और आध्यात्मिक रहस्य छिपे हुए हैं परंतु मनुष्य उनके अलौकिक अर्थ को न समझ लौकिक रीति से ही इन्हें मनाते हैं इसलिए उन्हें अलौकिक सुख की अनुभूति नहीं हो पाती. दीपावली का त्यौहार भी ऐसा ही त्यौहार है, जिसके पीछे छिपे अर्थ को समझने की जरूरत है.

पहले नवरात्रि, फिर दशहरा और फिर दिवाली - इस क्रम से त्यौहारों के आने के पीछे एक आध्यात्मिक रहस्य है. नवरात्रि पर देवियों की पूजा करके अष्ट शक्तियों का आह्वान किया जाता है. यह माना जाता है कि नौ दिन तक पूजा कर देवियों से परमात्मा के द्वारा जो शक्तियां प्राप्त होती हैं उससे अपने भीतर की बुराइयों और विकारों को नष्ट किया जाता है, अर्थात रावण को समाप्त किया जाता है. और जब भीतर के अवगुण, विकार, बुराइयां समाप्त हो जाती हैं तो जीवन में खुशियां आती हैं. उन खुशियों का प्रतीक है दीप जलाकर दिवाली मनाना.

कार्तिक मास की अमावस्या को मनाए जाने वाले दीपावली पर्व का अर्थ है दीपों की पंक्ति. इस पर्व पर लक्ष्मी के आह्वान के लिए दीप जलाकर खूब रोशनी की जाती है. दीपक के लगातार जगने के लिए उसमें निरंतर घी या तेल का होना जरूरी है.

उसी प्रकार मनुष्य आत्मा की आत्मिक ज्योति जगते रहने के लिए भी उसमें ईश्वरीय ज्ञान का निरंतर बने रहना जरूरी है. जब बुझा हुआ दीपक किसी जले हुए दीपक के संपर्क में आता है वह भी जल उठता है. इसी तरह आत्मा भी सदा जागती जोत परमात्मा के संपर्क में आने से जग जाती है.

आज मनुष्य अज्ञान के अंधकार में इतना खो चुका है कि वह इन त्यौहारों के दिव्य संदेश की ओर कोई ध्यान नहीं देता. मकान, आंगन, गलियों की सफाई करके उन्हें सुंदर वस्तुओं से सजाता है, परंतु अपने आत्मा रूपी घर से विकार रूपी कचरे को फेंक कर दिव्य गुण रूप में सुंदरता से सजाने के प्रति उदासीन है. इसका कारण है कि वह अंधविश्वासों, रूढ़िवादिता के जाल में फंस चुका है और उसे तोड़ने का साहस उसमें नहीं है.

असल में इन सब का कारण हमारे भीतर छाया हुआ अज्ञान का अंधकार है जिसने हमारे विवेक को समाप्त कर दिया है. इस अज्ञान के अंधकार का मुख्य कारण है विकारों का समावेश. इन विकारों को दूर करने के लिए मन को भोग की प्रवृत्ति से हटाकर परमात्मा की दिव्य स्मृति में लगाना है.

यदि मनुष्य अपने जीवन में सत्संग, शुद्ध विचार, श्रेष्ठ कर्म जैसे गुणों को अपनाकर परमात्मा से बुद्धि योग लगा ले तो उसकी दिव्य ज्योति से अज्ञान के अंधकार को मिटाया जा सकता है और जीवन को दिव्य गुणों से सजाया जा सकता है. यही सच्ची दीपावली मनाने की सार्थकता है.
 

Web Title: Goddess Lakshmi unique power of wealth virtues and cooperation

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