धर्म की विसंगति के बजाय समानता पर ध्यान केंद्रित करें
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: November 2, 2021 03:23 PM2021-11-02T15:23:21+5:302021-11-02T15:24:08+5:30
हम सब मानवता के एक समान धागे से बंधे हुए हैं। खुले दिल और दिमाग से सोचने पर दिखेगा कि हम सबमें विसंगति की तुलना में समानता ज्यादा है। इसलिए विसंगति की बजाय समानता पर ध्यान केंद्रित करना जरूरी है।
लोकमत के नागपुर संस्करण की स्वर्ण जयंती के अवसर पर आयोजित राष्ट्रीय अंतरधर्मीय सम्मेलन में ‘धार्मिक सौहाद्र्र के लिए वैश्विक चुनौतियां और भारत की भूमिका’ विषय पर हुई परिषद में धर्मगुरुओं के संबोधन के संपादित अंश
अलग-अलग धर्मो में ईश्वर की संकल्पना और कुछ विचार भी अलग-अलग हैं, लेकिन उनमें समानता भी बहुत है। प्रत्येक धर्म का मानवता, सच्चाई और विश्वसनीयता पर विश्वास है। हर एक को साथ और शांतिपूर्ण माहौल में रहना है। हम सब मानवता के एक समान धागे से बंधे हुए हैं। खुले दिल और दिमाग से सोचने पर दिखेगा कि हम सबमें विसंगति की तुलना में समानता ज्यादा है। इसलिए विसंगति की बजाय समानता पर ध्यान केंद्रित करना जरूरी है।
कोरोना के अंधेरे में उम्मीद की किरण जगह-जगह देखने को मिली. अलग-अलग, उम्र, भाषा, पंथ के लोग जात-पात-पंथ न देखते हुए कोरोना पीड़ितों, विस्थापितों, गरीबों-जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे आए। भारतीयों की संवेदना, मानवता और एकता का सशक्त उदाहरण है। कोरोना महामारी के बाद भी वह कायम रहना चाहिए ताकि समाज की गलत प्रवृत्तियां हमें प्रभावित न कर पाएं।
भारत के तमाम विविधताओं से परिपूर्ण होने के बाद भी लोग यहां हजारों वर्षो से एकता और शांति के साथ रह रहे हैं। भारत की यह विरासत आगे भी कायम रहनी चाहिए। यह बड़ी जिम्मेदारी सभी धर्मो के धर्मगुरुओं पर है। एक परिवार में भी गलतफहमी हो जाने के बाद भी वह कहीं न कहीं एक सूत्र में बंधे होते हैं। भारत वसुधैव कुटुंबकम्की संकल्पना का अग्रदूत है। इसलिए भारत ही विश्व का नेतृत्व कर सामाजिक सौहाद्र्र की स्थापना करेगा। प्रत्येक धर्म में इंसान की प्रतिष्ठा महत्वपूर्ण है।
धार्मिक संघर्ष के अलावा पर्यावरण बदलाव और ग्लोबल वार्मिग की बड़ी चुनौतियां भी दुनिया के सामने हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक एशिया के देश इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले हैं। इसलिए आने वाली पीढ़ियों के लिए पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन करने की जरूरत है। इसके लिए सभी धर्म, पंथ के लोगों को अपनी धरती की रक्षा के लिए हाथों में हाथ थामना होगा।
कार्डिनल ओसवाल्ड ग्रेसियस
आर्चबिशप, मुंबई