रिश्तों में तिल-गुड़ की मिठास घोलता लोहड़ी का पर्व

By नरेंद्र कौर छाबड़ा | Updated: January 13, 2025 06:59 IST2025-01-13T06:59:20+5:302025-01-13T06:59:57+5:30

इस घटना के बाद से दुल्ला को भट्टी के नायक की उपाधि दी गई

festival of Lohri dissolves the sweetness of sesame and jaggery in relationships | रिश्तों में तिल-गुड़ की मिठास घोलता लोहड़ी का पर्व

रिश्तों में तिल-गुड़ की मिठास घोलता लोहड़ी का पर्व

उत्तर भारत के साथ ही आज सोमवार को देश के हर प्रदेश में लोहड़ी का पर्व बड़े उमंग, उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. लोहड़ी पर्व का विशेष महत्व किसानों के लिए है. पंजाब, हरियाणा में इन दिनों रबी की फसल लहलहाने लगती है. किसान ईश्वर का धन्यवाद करते हैं कि उनके खेत सोने जैसी फसल से लहलहा उठे हैं. धरती मां के प्रति इंसानों के प्रेम को दर्शाने वाला यह त्यौहार है.

लोहड़ी को शीत ऋतु के जाने और वसंत ऋतु के आगमन के तौर पर भी देखा जाता है. मकर संक्रांति से एक दिन पहले और पौष मास की अंतिम रात्रि के दिन इस त्यौहार को बड़े जोश और आनंद के साथ मनाया जाता है. रात्रि के समय लकड़ियों को बोन फायर के रूप में इकट्ठा किया जाता है तथा सभी स्त्री, पुरुष, बच्चे अग्नि देवता की पूजा करते हुए चक्कर लगाते हैं और उसमें पॉपकॉर्न, तिल, रेवड़ी, मूंगफली आदि अर्पित करते हैं. अग्नि के माध्यम से फसलों का भोग लगाया जाता है और धन-समृद्धि के लिए ईश्वर से प्रार्थना की जाती है.

कहा जाता है मुगल काल में बादशाह अकबर के समय दुल्ला नाम का एक युवक पंजाब में रहता था. एक बार कुछ अमीर व्यापारी सामान के बदले इलाके की लड़कियों का सौदा कर रहे थे. तभी दुल्ला ने वहां पहुंचकर लड़कियों को मुक्त कराया और उन लड़कियों की शादी हिंदू लड़कों से करवाई. इस घटना के बाद से दुल्ला को भट्टी के नायक की उपाधि दी गई. इस पर एक गीत भी बनाया गया जिसे लोहड़ी पर जरूर गाया जाता है- सुंदर मुंदरिये हो, तेरा कौन विचारा हो...

समय परिवर्तन के साथ ही अब इस पर्व को मनाने के तौर-तरीकों में भी काफी परिवर्तन होने लगा है. सभी संबंधी मित्र इकट्ठे होते हैं. बधाइयों का आदान-प्रदान होता है. बढ़िया पौष्टिक खाना, सरसों का साग मक्के की रोटी, गजक, रेवड़ी, गुड़ से बने पदार्थ परोसे जाते हैं जो ठंड के मौसम में बहुत लाभकारी होते हैं. नई दुल्हन और नवजात शिशु के लिए पहली लोहड़ी को बहुत शुभ माना जाता है.

रिश्तों में मिठास तथा नई ऊर्जा भरने का कार्य यह त्यौहार करता है. जीवन की व्यस्तताओं, तनाव, आपाधापी आदि को कुछ समय के लिए दूर करके सभी उमंग उत्साह से, प्रेम से, सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में स्वयं को ताजगी से भरपूर महसूस करते हैं. कड़ाके की ठंड में अलाव के आसपास चक्कर लगाते हुए स्त्री-पुरुष, बच्चे सभी नृत्य करते हैं. भांगड़ा, गिद्दा तथा लोकगीत गाकर और ढोल की थाप पर मंत्रमुग्ध होकर नाचते हुए अपना आनंद और खुशियां प्रकट करते हैं. अब सामूहिक रूप से भी इस त्यौहार को बड़े पैमाने पर मनाया जाने लगा है.

Web Title: festival of Lohri dissolves the sweetness of sesame and jaggery in relationships

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