Digambar Jain Tirtha: जैन तीर्थ, जहां बजर का घंटा सजग बनाता है...

By शोभना जैन | Updated: November 1, 2024 13:21 IST2024-11-01T13:19:03+5:302024-11-01T13:21:29+5:30

Digambar Jain Tirtha: जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर की मूलनायक प्रतिमा के इस स्थल से प्रगट होने के उपरांत यह मंदिर निर्मित किया गया.

Digambar Jain Tirtha Jain pilgrimage where buzzer's bell makes one alert blog Shobhana Jain | Digambar Jain Tirtha: जैन तीर्थ, जहां बजर का घंटा सजग बनाता है...

सांकेतिक फोटो

Highlightsमैं बीत रहा हूं, ईश्वर ने तुम्हें नेक कामों के लिए भेजा है, जीवन व्यर्थ न करो.सदियों से चली आ रही बजर की परिपाटी जिस तरह बना कर रखी है, वह अनूठी है.इस प्रतिमा को ‘अपने बाबा’ के रूप में पूजते हैं.

Digambar Jain Tirtha: रात का नीरव सन्नाटा और उस सन्नाटे को चीर कर वक्त का ऐलान करता बजर का घंटा...राजस्थान के मशहूर रणथम्भौर बाघ अभयारण्य के निकट दिगंबर जैन परंपरा का सर्वाधिक पवित्र तीर्थ स्थल श्री महावीर जी एक ऐसा अनूठा पवित्र स्थल है जहां आधुनिकता के आज के दौर में भी मंदिर में समय की सूचना प्रहरी बजर का घंटा बजा कर देता है. दिन हो या आधी रात, प्रहरी हर आधे घंटे बाद बजर का घंटा बजाता है, लगता है समय मुनादी कर रहा है, ‘‘मैं बीत रहा हूं, ईश्वर ने तुम्हें नेक कामों के लिए भेजा है, जीवन व्यर्थ न करो.

निश्चय ही मंदिर प्रबंधन ने सदियों से चली आ रही बजर की परिपाटी जिस तरह बना कर रखी है, वह अनूठी है. जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर की मूलनायक प्रतिमा के इस स्थल से प्रगट होने के उपरांत यह मंदिर निर्मित किया गया. अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी पर देश-विदेश से लाखों की तादाद में आने वाले जैन श्रद्धालुओं के साथ ही विशेष तौर पर आसपास के जैनेतर लोगों का भी निरंतर तांता लगा रहता है, जो इस प्रतिमा को ‘अपने बाबा’ के रूप में पूजते हैं.

दीपावली पर भगवान महावीर के निर्वाण दिवस पर विशेष तौर पर भारी तादाद में जैन श्रद्धालु विशेष तौर पर मंदिर आकर भगवान महावीर की यहां प्रतिष्ठित मूल नायक की प्रतिमा पर चीनी या खांड का लड्डू चढ़ा कर अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं. श्रद्धालुओं को वर्ष में एक बार दीपावली की रात को प्रतिमा के चरण वंदन करने की पूजा का भी अवसर मिलता है.

मंदिर के उपाध्यक्ष सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी एस. के. जैन के अनुसार इस अवसर पर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विशेष प्रबंध किए जाते हैं. वैसे भगवान महावीर की अप्रैल माह में जन्म जयंती पर आयोजित रथ यात्रा मेले में भी लाखों श्रद्धालु जुटते हैं. इस रथ यात्रा की खासियत यह होती है कि इस रथ को जैन समाज के प्रतिनिधि नहीं अपितु स्थानीय मीणा गुर्जर समाज के प्रतिनिधि चलाते हैं.

यह सर्व धर्म समभाव का प्रेरणास्पद उदाहरण है. यह मंदिर सफेद संगमरमरों और लाल पाषाण के पत्थरों से बना है. रात के अंधेरे में दूधिया चांदनी में नहाया सा यह मंदिर एक सकारात्मक ऊर्जा बिखेरता दिव्य लोक सा लगता है. मंदिर न केवल दिगंबर जैन धर्मावलंबियों की आस्था का प्रमुख केंद्र है बल्कि आसपास के गुर्जर, मीणा व अन्य धर्मावलंबियों का आस्था केन्द्र भी है.

जहां वह आस्था से जुड़े अपने भावों की अभिव्यक्ति कभी बीसियों मील तक साष्टांग दंडवत प्रणाम से करते हुए मंदिर दर्शानार्थ आते हैं तो कभी अपने खेतों की अच्छी फसल की खुशी बाबा के साथ मनाते हुए घर से बनी रोटी मंदिर में भगवान महावीर की प्रतिमा की तरफ फेंक कर कहते हैं, ‘‘ले बाबा अपनी फसल की रोटी तू भी खा.’’

बरसों पहले मंदिर में एक भोले भक्त की यह तस्वीर आज भी लेखिका के मन के किसी कोने में जम सी गई है. मनोकामना पूरी होने पर पति और पत्नी की जोड़ी साष्टांग दंडवत करते हुए बीस किलोमीटर की दूरी तय करके मैले-कुचैले कपड़ों में भूखे पेट जब मंदिर में पहुंची तो ‘जय हो तेरी बाबा’ के गुंजन की प्रतिध्वनि से मंदिर गूंज उठा.

श्री महावीर जी मंदिर राजस्थान में करौली जिले में है और सवाई माधोपुर शहर से 110 किमी दूर है. सर्वधर्म समभाव का प्रतीक यह सर्वोदय तीर्थ तीर्थंकरों की परंपरा में 24वें तीर्थंकर श्रीमहावीरजी की प्रतिमा का उद्‌भव स्थल है. वैशाली गणराज्य में लगभग 2600 वर्ष पूर्व चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को वैशाली कुंड ग्राम में जन्मे महावीर ने जनमानस में अहिंसा, अपरिग्रह और अनेकांत के मूल्यों की प्रतिष्ठा कर प्राणिमात्र के कल्याण का मार्ग प्रस्तुत किया है. अहिंसा परमो धर्म की एक ऐसी अवधारणा, जहां एक घाट से शेर और गाय पानी पी सकें.

भगवान महावीर की प्रतिमा के उद्भव स्थल पर एक रचनात्मक छतरी में भगवान महावीर के चरण चिन्ह प्रतिष्ठित हैं, मूर्ति निकालने वाले ग्वाले के वंशज इस पावन स्थल की देखरेख करते हैं. पहले चंदनपुर के नाम से जाना जाने वाला यह छोटा सा गांव कई सौ साल पहले मिट्टी से खुदाई के बाद महावीर की एक प्राचीन मूर्ति निकलने के बाद एक जैन धार्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध होi8okjmnh गया.

इसके बाद इसका नाम बदलकर श्री महावीर जी कर दिया गया. यह मूर्ति 200 साल पहले उसी स्थान से खोदी गई थी, जिसके बाद मंदिर का निर्माण किया गया था. इस प्रसिद्ध प्रतिमा की एक झलक पाने के लिए पूरे भारत से हजारों श्रद्धालु आते हैं. इस तीर्थ क्षेत्र के बारे में बताया जाता है कि लगभग 700 वर्ष पूर्व चंदन गांव में विचरण करने वाली एक गाय का दूध गंभीर नदी के पास एक टीले पर अपने आप ही झर जाता था. गाय जब कई दिनों तक बिना दूध के घर पहुंचती रही तो ग्वाले ने कारण जानने के लिए गाय का पीछा किया.

जब ग्वाले ने यह चमत्कार देखा तो उत्सुकतावश उसने टीले की खुदाई की. वहां भगवान महावीर की यह दिगंबर प्रतिमा प्रगट हुई. मुख्य द्वार के सम्मुख 52 फुट ऊंचा संगमरमर से निर्मित मान स्तंभ है जिसके शीर्ष पर 4 तीर्थंकरों की प्रतिमाएं है, मान स्तंभ यानी मान त्याग कर ही मंदिर में प्रवेश कीजिए, या यूं कहें मान का अभिमान न करें, उसे त्यागें और समदृष्टि के भाव से रहें.

कभी उनींदा सा रहा होगा यह गांव लेकिन आज इस मंदिर की वजह से यह गुलजार कस्बा बन चुका है, जिसे यहां बने अनेक मंदिरों की वजह से मंदिर नगरी कहा जाता है. सर्व धर्म समभाव का प्रतीक यह मंदिर अब केवल एक मंदिर नहीं है अपितु इसके आसपास पूरी नगरी बस चुकी है, जहा सैकड़ों स्थानीय लोगों को रोजगार मिल रहा है, जो शिक्षा, विशेष तौर पर स्त्री शिक्षा की अलख जगा चुका है,

समाज कल्याण के अनेक कार्यों से जुड़ा है. जैन विद्या संस्थान देश का प्रतिष्ठित शोध संस्थान है. मंदिर के युवा विशेष कार्याधिकारी विकास पाटनी बताते हैं प्रबंधन समिति विकास कार्यों का रोड मैप बना कर श्रद्धालुओं की सुविधा और क्षेत्र के विकास में तेजी से जुटी है. जैन विद्या संस्थान देश का प्रतिष्ठित शोध संस्थान है.

धीरे-धीरे शाम की सिंदूरी रोशनी अंधियारे में तब्दील हो रही है, भगवान महावीर की मुख्य प्रतिमा सहित मंदिर की सभी वेदियों पर प्रतिमाएं दीयों की रोशनी से दैदीप्यमान हो रही हैं. सामूहिक आरती हो रही है, तो कोई श्रद्धालु स्वाध्याय कर रहा है. दूसरी तरफ हर आधा घंटे बाद बजर लगातार समय बीतने का संदेश दे रहा है और इस सब के बीच में मंदिर के मुख्य द्वार के ऊपर लिखा अहिंसा परमो धर्म का मंत्र अचानक और भी रौशन हो उठा है.

Web Title: Digambar Jain Tirtha Jain pilgrimage where buzzer's bell makes one alert blog Shobhana Jain

पूजा पाठ से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे