बुद्ध पूर्णिमा पर रंगनाथ सिंह का ब्लॉग: 10 दिन की विपस्सना के बाद में अन्दर तक थिर गया था

By रंगनाथ सिंह | Published: May 16, 2022 10:06 AM2022-05-16T10:06:22+5:302022-05-16T11:42:35+5:30

बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर रंगनाथ सिंह मई, 2018 में एसएन गोयनका विपस्सना केंद्र में अपने 10 दिन के प्रवास का अनुभव साझा कर रहे हैं।

buddh purnima or buddh jayanti and my experience with sn goenka vipassana kendra meditation | बुद्ध पूर्णिमा पर रंगनाथ सिंह का ब्लॉग: 10 दिन की विपस्सना के बाद में अन्दर तक थिर गया था

गौतम बुद्ध का जन्म ईसा से चार सदी पहले लुम्बिनी में हुआ था। गया में उन्हें बोधि मिली, काशी में उन्होंने धम्म चक्र प्रवर्तन किया और कुशीनगर में निर्वाण प्राप्त किया।

Highlightsवैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा या बुद्ध जयंती के रूप में मनाया जाता है।मान्यता है कि इसी दिन गौतम बुद्ध का जन्म हुआ, उन्हें बोधि मिली और उनका महापरिनिर्वाण हुआ था।

आज बुद्ध पूर्णिमा है। वैशाख पूर्णिमा के दिन ही बुद्ध का जन्म हुआ, बोधि प्राप्त हुई और निर्वाण प्राप्त हुआ। अहिंसा, शाकाहार, योग, ध्यान और मठ जैसी चीजें भारत को बुद्ध की देन हैं। बुद्ध की शिक्षा उनके लिए है जो मानसिक दुखों से मुक्ति चाहते हैं।

साल 2018 में विपस्सना जाने से पहले मैं बुद्ध धर्म के बारे में किताबी बातें जानता था। महज 10 दिनों के विपस्सना से मैं अन्दर तक थिर गया था। 10 दिनों के विपस्सना का मुझपर दो-तीन महीने असर रहा। उसके बाद, मैं यही सोचता रहा कि यदि 10 दिन में मैं इतना बदल सकता हूँ तो कोई व्यक्ति साल-छह महीने यदि विपस्सना करे तो उसका क्या होगा!

विपस्सना के बाद मैं यह सोचकर हैरान था कि एक भारतीय ने ढाई हजार साल पहले चित्त को शान्त करने की अचूक टेकनिक पा ली थी। तमाम तरह के तकनीकी-वैज्ञानिक विकास के बाद भी मानव मन मनुष्य की सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। बुद्ध ने मन के परिष्कार का विज्ञान दुनिया को दिया।

कुछ साल पहले मुझे एक बुद्ध प्रतिमा उपहार में मिली। उपहार देने वाले को दिली साधुवाद देते हुए पैकेट खोलकर मूर्ति किताब की आलमारी में रख दी। तब से जब भी उस आलमारी के सामने से गुजरता हूँ काँच की दीवार के पीछे आँखें मूँदे बुद्ध मुझे देखते मिलते हैं। उन्हें देखते हुए देखकर बुद्ध-वचन का स्मरण हो आता है। प्रतीकों की शक्ति का मुझे व्यावहारिक अनुभव हुआ।

जिन्हें फर्क नहीं पड़ता उनकी कोई बात नहीं। जिन्हें फर्क पड़ता है कि आज बुद्ध पूर्णिमा है, कम से कम उन्हें इस एक दिन हर तरह के प्रमाद से बचना चाहिए। बुद्ध का सामाजिक सन्देश करुणा एवं मैत्री है। बुद्ध-वचन दूसरों को सुधारने का साधन नहीं हैं बल्कि खुद के परिष्कार का माध्यम हैं। नमो बुद्धाय।

Web Title: buddh purnima or buddh jayanti and my experience with sn goenka vipassana kendra meditation

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