वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: भाजपा के लिए खतरे की घंटी 

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: January 13, 2019 20:45 IST2019-01-13T20:45:35+5:302019-01-13T20:45:35+5:30

अब नोटबंदी, जीएसटी, सीबीआई का तमाशा जैसे मुद्दे लोगों की जुबान पर हैं। बेरोजगारी और बेकारी बढ़ी है। इसीलिए गुजरात और गोवा जैसे प्रांतों में जैसे-तैसे भाजपा सरकारें बन पाईं और तीन हिंदी राज्यों में अच्छे काम के बावजूद भाजपा सरकारें हार गईं।

SP-BSP alliance dangerous for BJP in uttar pradesh 2019 election | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: भाजपा के लिए खतरे की घंटी 

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: भाजपा के लिए खतरे की घंटी 

उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा का गठबंधन सिर्फ प्रादेशिक राजनीति तक सीमित नहीं है। यह गठबंधन इतना शक्तिशाली है कि राष्ट्रीय राजनीति में भी गजब का उलट-फेर कर सकता है। कोई आश्चर्य नहीं कि 2014 में जो स्थिति उ।प्र। में विरोधी दलों की हुई, वही स्थिति 2019 में भाजपा की हो जाए। यानी संसद की 71-72 सीटें इस गठबंधन को चली जाएं और 5-7 सीटें भाजपा के पल्ले पड़ जाएं। यदि ऐसा हो गया या 50 सीटें भी भाजपा ने उ।प्र। में खो दीं तो केंद्र में उसकी सरकार बनना आसान नहीं होगा। 

अब नोटबंदी, जीएसटी, सीबीआई का तमाशा जैसे मुद्दे लोगों की जुबान पर हैं। बेरोजगारी और बेकारी बढ़ी है। इसीलिए गुजरात और गोवा जैसे प्रांतों में जैसे-तैसे भाजपा सरकारें बन पाईं और तीन हिंदी राज्यों में अच्छे काम के बावजूद भाजपा सरकारें हार गईं। ऐसी हालत में भाजपा के लिए 200 का आंकड़ा पार करना भी मुश्किल लग रहा है। सपा और बसपा गठबंधन की प्रबल सफलता की संभावना का प्रमाण हमें गोरखपुर और फूलपुर के संसदीय उपचुनावों से ही मिल गया था। लखनऊ की गद्दी पर बैठते ही भाजपा के मुख्यमंत्नी और उप-मुख्यमंत्नी अपनी खाली की गई ये दोनों सीटें हार गए, क्योंकि वहां सपा और बसपा एक हो गई थीं। अगले तीन-चार महीने में केंद्र और उ।प्र। की सरकारें ऐसा कौन-सा चमत्कार करेंगी कि वे अपनी आधी सीटें भी बचा पाएं? 

उधर बसपा की मायावती को सपा के अखिलेश ने अपनी पत्नकार-परिषद में काफी प्राथमिकता और इज्जत दी है। ऐसा लगता है कि दोनों नेताओं में खूब पटेगी। पुरानी रंजिशें विदा हो गईं। अखिलेश ने कहा कि अगला प्रधानमंत्नी उत्तर प्रदेश का ही होगा। मायावती का चेहरा इस टिप्पणी पर  खिल गया। अखिलेश ने जातिवाद के खिलाफ शंखनाद किया और मायावती ने ‘सर्व जनहिताय’ की बात कही। यानी इन दोनों पार्टियों ने अपने लक्ष्यों को ऊंचा उठाया है। यह गठबंधन कई अन्य प्रादेशिक गठबंधनों को भी जन्म दे सकता है। भाजपा के लिए यह गंभीर चुनौती की तरह उठ खड़ा हुआ है।

Web Title: SP-BSP alliance dangerous for BJP in uttar pradesh 2019 election