वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: विपक्षी एकता के लिए जुटे नायडू
By वेद प्रताप वैदिक | Published: November 3, 2018 01:03 PM2018-11-03T13:03:34+5:302018-11-03T13:03:34+5:30
तेलुगू देशम पार्टी के नेता चंद्रबाबू नायडू के भाजपा हटाओ के नारे का असली अर्थ है- मोदी हटाओ। मोदी हटाओ इसलिए कि भाजपा के विरुद्ध जितने भी आरोप लगाए जा रहे हैं, वे वास्तव में मोदी के विरुद्ध ही हैं।
तेलुगू देशम पार्टी के नेता चंद्रबाबू नायडू 2018 में वही नारा दे रहे हैं, जो 1967 में डॉ। राममनोहर लोहिया ने दिया था। लोहिया कहते थे, कांग्रेस हटाओ और नायडू कह रहे हैं, भाजपा हटाओ। उस समय प्रधानमंत्नी थीं इंदिरा गांधी और उन्हें प्रधानमंत्नी बने एक साल ही हुआ था जबकि अब प्रधानमंत्नी हैं- नरेंद्र मोदी, जिन्हें चार साल से ज्यादा हो गए हैं। इंदिराजी नेहरू परिवार की निरंतरता की प्रतीक थीं और मोदी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सिपाही रहे हैं।
नायडू के भाजपा हटाओ के नारे का असली अर्थ है- मोदी हटाओ। मोदी हटाओ इसलिए कि भाजपा के विरुद्ध जितने भी आरोप लगाए जा रहे हैं, वे वास्तव में मोदी के विरुद्ध ही हैं। जैसे नोटबंदी, जीएसटी, राफेल-सौदा, सीबीआई दंगल आदि के सारे काले टीके मोदी के माथे पर चिपकाए जा रहे हैं। समस्त सरकारी संस्थाओं को कमजोर करने की भी सारी जिम्मेदारी मोदी पर डाली जा रही है। माना यह जा रहा है कि देश में लोकतंत्न का गला घोंटा जा रहा है।
चंद्रबाबू नायडू अटलजी के वक्त भाजपा-गठबंधन की एकता में अग्रणी भूमिका निभा रहे थे। अब वे मोदी हटाओ गठबंधन के संयोजक बन गए हैं। वे बार-बार दिल्ली आ रहे हैं और लगभग सभी विरोधी नेताओं से मिल रहे हैं। वे अनुभवी तो हैं ही। इसीलिए उन्होंने अगले प्रधानमंत्नी के प्रश्न को टाल दिया। इस विरोधी गठबंधन में आधे दर्जन नेता ऐसे हैं, जिनके सीने में प्रधानमंत्नी पद धड़क रहा है। नायडू की कोशिश है कि सारे नेता मिलकर एक न्यूनतम साझा कार्यक्र म बनाएं।
यदि ऐसा हो गया तो समझ लीजिए कि मोदी का लौटना असंभव है। इस समय विरोधियों के पास न तो कोई ऐसा नेता है और न ही ऐसी नीति है, जो मोदी के लिए गंभीर चुनौती बन सके। यदि ऐसी चुनौती खड़ी हो गई तो यह असंभव नहीं कि मोदी सरकार अब इन बचे-खुचे कुछ महीनों में ऐसे चमत्कारी कदम उठा ले, जो उसकी डगमगाती नैया को बचा ले जाए।