किस राजनीतिक राह पर आगे बढ़ेंगे नीतीश कुमार?

By प्रदीप द्विवेदी | Published: December 29, 2020 09:07 PM2020-12-29T21:07:37+5:302020-12-29T21:08:51+5:30

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और राजद के वरिष्ठ नेता उदय नारायण चौधरी ने कहा है कि नीतीश अगर तेजस्वी को समर्थन देकर मुख्यमंत्री बना दें तो विपक्ष उन्हें 2024 में प्रधानमंत्री पद के लिए समर्थन दे सकती है.

Bihar Chief Minister Nitish Kumar has won the political battle of the 2020 assembly elections | किस राजनीतिक राह पर आगे बढ़ेंगे नीतीश कुमार?

कांग्रेस, जेडीयू जैसे दलों में सियासी जोड़तोड़ करके अपनी सियासी ताकत बढ़ाए.

Highlightsअरुणाचल प्रदेश में जेडीयू के सात में से छह विधायक भाजपा में शामिल हुए.चुनाव ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि यदि बीजेपी अकेले रहती है, तब भी वह अच्छी स्थिति में रहेगी.सियासी जोड़तोड़ का एक्सपर्ट बीजेपी नेतृत्व बिहार में भी खामोश नहीं बैठेगा.

सातवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण करके नीतीश कुमार ने 2020 के विधानसभा चुनाव की सियासी जंग तो जीत ली है, अब आगे क्या?

बीजेपी के साथ नीतीश कुमार ने सरकार बनाई है और सीएम बन गए है, लेकिन वे जानते हैं कि बीजेपी की राजनीतिक चालों के चलते वे अपनी मनमर्जी की सरकार नहीं चला सकते हैं, लिहाजा बड़ा सवाल यह है कि नीतीश कुमार के सामने कौन-कौन-सी राजनीतिक राहें हैं?

एक- वे सीएम बने रहे, लेकिन इस स्थिति में उन्हें पग-पग पर सियासी समझौते करने होंगे. इस दौरान भी सियासी जोड़तोड़ करके अपनी ताकत बढ़ाने का बीजेपी का कार्यक्रम चलता रहेगा और उसका सियासी झटका जेडीयू को भी लग सकता है.

दो- वे प्रदेश की सत्ता छोड़ कर केन्द्र में मंत्री बन जाएं और बिहार की सत्ता बीजेपी को सौंप दें. तीन- वे एनडीए से नाता तोड़ कर महागठबंधन में शामिल हो जाएं और आरजेडी के सियासी प्रस्ताव के अनुसार तेजस्वी को बिहार का सीएम बना कर 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए पीएम पद के उम्मीदवार बन जाएं.

देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश कुमार इन तीन राजनीतिक राह में से किसी एक राह पर आगे बढ़ते हैं या फिर अपनी सियासी आदत के अनुसार कोई नई राजनीतिक राह पकड़ कर सबको चौंकाते हैं? बीजेपी नीतीश कुमार के साथ सियासी बेईमानी तो लंबे समय से कर रही थी, लेकिन ऐसा कोई प्रत्यक्ष कारण नहीं था कि वे नैतिकता के आधार पर उसका साथ छोड़ पाते.

लेकिन, अरुणाचल प्रदेश में जेडीयू के सात में से छह विधायकों को बीजेपी में शामिल करके बीजेपी ने नीतीश कुमार को यह प्रत्यक्ष अवसर दे दिया है कि वे चाहें तो एनडीए से अलग हो सकते हैं.
सियासी समय की नज़ाकत देखते हुए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और राजद के वरिष्ठ नेता उदय नारायण चौधरी ने कहा है कि नीतीश अगर तेजस्वी को समर्थन देकर मुख्यमंत्री बना दें तो विपक्ष उन्हें 2024 में प्रधानमंत्री पद के लिए समर्थन दे सकती है.

इस वक्त बिहार में जो राजनीतिक हालात हैं, उनमें साफ हैं कि यदि नीतीश कुमार एनडीए से हट गए, तो बिहार की सत्ता बीजेपी के पास नहीं रहेगी, लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि यदि बीजेपी अकेले रहती है, तब भी वह अच्छी स्थिति में रहेगी.

यही नहीं, सियासी जोड़तोड़ का एक्सपर्ट बीजेपी नेतृत्व बिहार में भी खामोश नहीं बैठेगा. उसकी कोशिश रहेगी कि वह कांग्रेस, जेडीयू जैसे दलों में सियासी जोड़तोड़ करके अपनी सियासी ताकत बढ़ाए.
इस वक्त तो सत्ता की चाबी नीतीश कुमार के पास है, किंतु यदि बीजेपी सियासी जोड़तोड़ में कामयाब हो गई, तो नीतीश कुमार सियासी मुख्यधारा में बेअसर हो जाएंगे, लिहाजा नीतीश कुमार बीजेपी से राजनीतिक रिश्तों को लेकर जितना जल्दी फैसला करेंगे, फायदे में रहेंगे.

उधर, यदि नीतीश कुमार महागठबंधन के साथ आ जाते हैं, तो राजद को दोहरा लाभ होगा, एक तो उसे बिहार की सत्ता मिल जाएगी और दूसरा अगले लोकसभा चुनाव में एनडीए के खिलाफ बिहार में सशक्त मोर्चा तैयार हो जाएगा. याद रहे, किसी समय नीतीश को प्रधानमंत्री पद का सशक्त दावेदार माना जाता था, लेकिन बाद में जेडीयू के प्रबल राष्ट्रीय आधार के अभाव में नरेंद्र मोदी ने उन्हें मात दे दी थी.

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि नीतीश कुमार चाहें या न चाहें, बीजेपी अपने राजनीतिक लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ती रहेगी और यदि तब भी नीतीश कुमार बीजेपी के साथ ही रहे तो भविष्य में वे राजनीतिक तौर पर न केवल कमजोर होंगे, वरन सियासत में अप्रासंगिक भी हो सकते हैं!

Web Title: Bihar Chief Minister Nitish Kumar has won the political battle of the 2020 assembly elections

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