यह पूरे देश के लिए गर्व की बात है कि राष्ट्रमंडल 2030 की मेजबानी भारत करने जा रहा है. आधिकारिक तौर पर घोषणा हो चुकी है कि प्रतिष्ठित राष्ट्रमंडल खेल गुजरात के अहमदाबाद में आयोजित किए जाएंगे. हर चार साल में होने वाले कॉमनवेल्थ गेम में वो 72 देश हिस्सा लेते हैं जो इतिहास के किसी वक्त में ब्रिटिश उपनिवेश रहे हैं. भारत को इससे पहले 2010 में मेजबानी का मौका मिला था और उस मेजबानी पर भारत ने 70 हजार करोड़ रुपए खर्च किए थे जो अनुमानित 1600 करोड़ रुपए से ज्यादा थे.
2030 के राष्ट्रमंडल खेलों के लिए भारत लगातार कोशिश कर रहा था. भारत का मुकाबला नाइजीरिया से था. राष्ट्रमंडल खेल संस्था का दोनों के ही प्रस्ताव अच्छे लग रहे थे लेकिन भारत का प्रस्ताव ज्यादा बेहतर था. भारत ने अहमदाबाद शहर में मेजबानी का प्रस्ताव रखा था जिस शहर ने राष्ट्रमंडल भारोत्तोलन चैंपियनशिप, एशियाई एक्वेटिक चैंपियनशिप और फुटबॉल के एएफसी अंडर-17 एशियाई कप 2026 क्वालिफायर की मेजबानी की थी. इसके अलावा 2029 में विश्व पुलिस और अग्निशमन खेल अहमदाबाद, गांधीनगर और एकता नगर में आयोजित किए जाएंगे.
इसी शहर में एक लाख दर्शकों की क्षमता वाला सरदार वल्लभभाई पटेल खेल परिसर स्थित है. यहां तीन हजार लोगों के रहने की क्षमता वाला खेल गांव भी आकार लेने वाला है. सामान्य तौर पर यह सवाल पूछा जा सकता है कि राष्ट्रमंडल खेल 2030 में भारत में कराने से हमें क्या फायदा होगा? दरअसल इस तरह के आयोजन देश की प्रतिष्ठा से जुड़ा मामला होता है. भारत के लिए राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी हासिल करना इसलिए भी आवश्यक था क्योंकि भारत 2036 में होने वाले ओलंपिक खेलों की मेजबानी हासिल करने की भरपूर कोशिश कर रहा है. वैसे भी राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी भारत ने केवल एक बार 2010 में किया था. उसके पहले 1951 और 1982 में भारत ने एशियाड यानी एशियाई खेलों की मेजबानी की थी.
निश्चित रूप से इन तीनों प्रतिष्ठित आयोजनों ने भारत में खेल के प्रति लोगों को आकर्षित करने में बड़ी भूमिका निभाई. 2030 का राष्ट्रमंडल खेल भारत के लिए निश्चित ही नई उड़ान साबित होने वाली है. भारत को ग्लोबल स्पोर्ट्स हॉटस्पॉट बनना है तो इस तरह के आयोजन में सफलता हासिल करनी होगी. हमें उम्मीद करनी चाहिए कि 2036 के ओलंपिक की मेजबानी भी हमें मिलेगी और खेल की दुनिया में भारत अपना परचम लहराएगा.