ब्लॉग: बिन मौसम बरसात, आंधी-तूफान बदलते हुए पर्यावरण के बड़े खतरों की घंटी, नहीं चेते तो आने वाली पीढ़ियां नहीं करेंगी हमें माफ

By कलराज मिश्र | Published: June 5, 2023 11:24 AM2023-06-05T11:24:04+5:302023-06-05T11:27:43+5:30

पारिस्थितिकी संतुलन का बड़ा आधार है पेड़-पौधे और जीव-जंतुओं का सहज प्राकृतिक आवास. यह संतुलन यदि बिगड़ता है तो पर्यावरण को सीधे तौर पर नुकसान होता है.

World Environment Day 2023: Unseasonal rains, changing stormsbells of big threats to the environment | ब्लॉग: बिन मौसम बरसात, आंधी-तूफान बदलते हुए पर्यावरण के बड़े खतरों की घंटी, नहीं चेते तो आने वाली पीढ़ियां नहीं करेंगी हमें माफ

ब्लॉग: बिन मौसम बरसात, आंधी-तूफान बदलते हुए पर्यावरण के बड़े खतरों की घंटी, नहीं चेते तो आने वाली पीढ़ियां नहीं करेंगी हमें माफ

विश्व पर्यावरण दिवस पर इस बार माउंट आबू में हूं. अरावली की लंबी पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा यह पर्वतीय क्षेत्र जैव विविधता के कारण भी अपना विशिष्ट स्थान रखता है. राज्यपाल बनने के बाद तीसरी बार यहां आना हुआ है और लगता है, प्रकृति ने कितना कुछ हमें दिया है. पर यह जो बहुत सारा हमें मिला है, उसका महत्व नहीं समझते हुए अंधाधुंध दोहन कर हम उसे गंवाते जा रहे हैं. बिन मौसम बरसात, आंधी तूफान आदि बदलते हुए पर्यावरण के बड़े खतरों की घंटी जैसे ही हैं.

मुझे लगता है, जलवायु परिवर्तन का बड़ा कारण प्रकृति से मिली संपदा का बगैर सोचे अधिकाधिक दोहन और तेजी से जैव विविधता का धरती से लोप होना ही है. समय रहते अभी भी यदि हम नहीं चेते तो आने वाली पीढ़ियां कभी हमें माफ नहीं करेंगी. माउंट आबू प्राचीन भारत के सप्तकुल पर्वतों में से एक है. यहां घने जंगल, पहाड़ियां और उन पर उगने वाली विभिन्न जैविक औषधियों, जंगली जानवरों, पक्षियों की चहचहाहट में प्रकृति की सुगंध घुली है, पर जलवायु परिवर्तन का असर यहां भी हो रहा है. कारण शायद यह है कि यहां भी शहरीकरण तेजी से बढ़ रहा है और जो पारिस्थितिकी तंत्र है, उससे भी बहुत से स्तरों पर छेड़छाड़ की जाने लगी है. 

पारिस्थितिकी संतुलन का बड़ा आधार है पेड़-पौधे और जीव-जंतुओं का सहज प्राकृतिक आवास. यह संतुलन यदि बिगड़ता है तो पर्यावरण को सीधे तौर पर नुकसान होता है. वन सम्पदा व वनौषधियों का व्यापक स्तर पर अवैध दोहन होने के साथ ही कई बार लालच और व्यावसायिक हितों के चलते कुछ लोग जहां वनौषधियों के घने जंगल हैं, वहां से पौधे जड़ से ही उखाड़ कहीं और ले जाते हैं. यह किसी एक स्थान पर नहीं, हमारे देश के तमाम प्राकृतिक स्थलों पर हो रहा है. इसी से बहुत से वृक्ष, झाड़ियां, लताओं आदि की प्रजातियां तेजी से लोप होती जा रही हैं.

पर अभी भी जरूरी यह है कि जो कुछ बच गया है, उसे सहेजते हुए प्रकृति के संरक्षण के लिए हम मिलकर कार्य करें. पर्वतीय पर्यटन स्थलों या फिर वनाच्छादित विशेष स्थलों के प्रति आकर्षण स्वाभाविक है, पर ऐसे क्षेत्रों में पर्यटन प्रोत्साहन की गतिविधियां भी इस तरह से क्रियान्वित होनी चाहिए जिससे स्वच्छता के साथ पेड़-पौधों और वन्यजीवों के संरक्षण को सभी स्तरों पर सुनिश्चित किया जा सके. प्रयास किया जाए कि हरे-भरे वनों में मानवीय हस्तक्षेप कम-से-कम हो. 

यही नहीं, लोगों की प्रकृति और वन्यजीवों के संरक्षण में सीधे तौर पर भागीदारी हो, इसके अधिकाधिक प्रयास भी हों. कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के सोलर एनर्जी और अन्य वैकल्पिक उपायों के लिए आम जन को प्रोत्साहित कर जागरूकता अभियान चलाए जाने की भी आज बड़ी आवश्यकता है. पर्यावरण संरक्षण के लिए हरेक व्यक्ति का छोटे सा छोटा प्रयास भी कारगर हो सकता है, बशर्ते मन से किया जाए. वृक्ष लगाने, उनका संरक्षण करने के लिए सभी आगे आएं.

विश्व पर्यावरण दिवस पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता के लिए ही मनाया जाता है. इस दिवस पर वृहद स्तर पर यह बात समझने और समझाने की है कि वृक्ष एवं वनस्पतियां भूमि को उन्नत और उर्वरा ही नहीं बनाते बल्कि सबका भरण पोषण भी करते हैं. सच में प्रकृति वनों के जरिये हम सबकी सेवा ही तो करती है. जैसे-जैसे धरती पर वन कम होते जा रहे हैं, वैसे-वैसे पर्यावरण भी प्रदूषित होता जा रहा है. 

राष्ट्रीय वन नीति के अनुसार राष्ट्र के संपूर्ण भूभाग का एक तिहाई वन क्षेत्र होना चाहिए परंतु वन क्षेत्र पूरे देश में तेजी से घटते जा रहे हैं. याद रखें, पर्यावरण शुद्ध रहेगा तभी जीवन रहेगा, इसलिए वृक्ष लगाना और उनका संरक्षण हम सभी का सामूहिक दायित्व है. यही पर्यावरण शुद्धि का वह यज्ञ है, जिससे भावी जीवन सुखद, स्वस्थ रह सकता है. हम सभी को चाहिए कि इस यज्ञ में अधिकाधिक पेड़ लगाकर अपनी आहुति दें.

आइए विश्व पर्यावरण दिवस पर हम सभी प्रकृति और पर्यावरण की हमारी संस्कृति के संरक्षण का संकल्प लें. प्रकृति के आंतरिक संतुलन को क्षति पहुंचाए बगैर विकास की सोच को मूर्त रूप दें.

Web Title: World Environment Day 2023: Unseasonal rains, changing stormsbells of big threats to the environment

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