ब्लॉग: आखिर क्यों राजघाट पर कांप रहे थे मुशर्रफ के हाथ ?

By विवेक शुक्ला | Published: February 6, 2023 12:54 PM2023-02-06T12:54:51+5:302023-02-06T12:57:36+5:30

परवेज मुशर्रफ ने अपनी राजनीतिक आकांक्षाओं को परवान चढ़ाने के लिए कारगिल का युद्ध छेड़ा था. अपनी आत्मकथा में उन्होंने ये बात लिखी कि पाकिस्तानी सेना कारगिल युद्ध में शामिल थी. इससे पहले पाकिस्तान इससे इनकार करता रहा था।

Why Pervez Musharraf hands were trembling at RajGhat | ब्लॉग: आखिर क्यों राजघाट पर कांप रहे थे मुशर्रफ के हाथ ?

परवेज मुशर्रफ का निधन (फाइल फोटो)

परवेज मुर्शरफ पाकिस्तान की संभवत: पहली बड़ी शख्सियत थे, जो महात्मा गांधी की समाधि राजघाट में पहुंचे थे. यह 17 जुलाई 2001 की बात है. वे जब भारत आए तब उन्हें सारा भारत कारगिल की जंग की इबारत लिखने वाला मानता था. जाहिर है इस कारण उनसे देश नाराज था. 

बेशक, मुशर्रफ ने अपनी राजनीतिक आकांक्षाओं को परवान चढ़ाने के लिए कारगिल का युद्ध छेड़ा था. उस समय वह पाकिस्तान आर्मी के चीफ थे. अपनी आत्मकथा ‘इन द लाइन ऑफ फायर’ में उन्होंने लिखा है कि पाकिस्तानी सेना कारगिल युद्ध में शामिल थी. हालांकि इससे पहले पाकिस्तान इस तथ्य को छिपाता रहा था. 

दिल्ली में 1943 में जन्मे मुशर्रफ ने हार की शर्मिंदगी से बचने के लिए पूरी जिम्मेदारी तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पर डाल दी थी.

राजधानी दिल्ली के गिरधारी लाल मैटरनिटी अस्पताल में परवेज मुशर्रफ का जन्म हुआ था. परवेज मुशर्रफ की मां बेगम जरीन मुशर्रफ साल 2005 में दिल्ली आईं तो गिरधारी लाल मैटरनिटी अस्पताल में खासतौर पर गई थीं. वे वहां इसलिए पहुंची थीं ताकि अपने बच्चों के बर्थ सर्टिफिकेट ले लें. तब तक उनका पुत्र परवेज मुशर्रफ पाकिस्तान का राष्ट्रपति बन चुका था. 

जरीन मुशर्रफ और उनके बड़े बेटे जावेद को गिरधारी लाल मैटरनिटी अस्पताल मैनेजमेंट ने निराश नहीं किया था. इन्हें परवेज मुशर्रफ, जावेद और इनकी एक बहन के बर्थ सर्टिफिकेट दे दिए थे.

चूंकि दिल्ली उनका जन्म स्थान था इसलिए मुशर्रफ की उस पहली भारत यात्रा को लेकर जिज्ञासा का भाव भी था. वे जब इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर उतरे तो राजधानी दिल्ली में झमाझम बारिश हो रही थी. उनका राजधानी में पहला अहम कार्यक्रम राजघाट में जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देना था. वे जब राजघाट पहुंचे तब भी बारिश ने उनका पीछा नहीं छोड़ा था. 

खबरिया चैनलों से दिखाई जाने वाली तस्वीरों से साफ लग रहा था कि वे राजघाट में बेहद तनाव में थे. उन्होंने वहां पर विजिटर्स बुक में लिखा- महात्मा गांधी जीवनभर शांति के लिए कोशिशें करते रहे. कुछ ग्राफोलॉजिस्ट (हैंड राइटिंग के विशेषज्ञों) ने उनकी हैंड राइटिंग का अध्ययन करने के बाद दावा किया था कि मुशर्रफ के राजघाट पर विजिटर्स बुक पर लिखते वक्त हाथ कांप रहे थे और वे तनाव में थे.

आखिर क्या था उनके तनाव का कारण? क्या कारगिल जंग के लिए जिम्मेदार होने का अपराध बोध उनके मन में था? जो भी हो, परवेज मुशर्रफ के अड़ियल रवैये के कारण तब शिखर वार्ता पटरी से उतर गई थी. अब वे इस संसार से विदा हो गए हैं तो इतना तो कहना होगा कि उन्हें भारत कारगिल के आर्किटेक्ट के रूप में ही याद रखना चाहेगा.

Web Title: Why Pervez Musharraf hands were trembling at RajGhat

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे